सहकारी समितियों के 47 हजार खातेदार किसान हुए डिफाल्टर


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करनाल। जिले की सहकारी समितियां किसानों की सबसे बड़ी मददगार मानी जाती हैं, इसके बावजूद बड़ी संख्या में किसान सदस्य डिफाल्टर हो गए हैं। मौजूदा समय में जिले भर की 90 सहकारी समितियों से करीब पांच लाख किसान जुड़े हैं, इसमें से 47099 सदस्य डिफाल्टर हो गए हैं। जिन पर करीब 194 करोड़ रुपये का ऋण बकाया है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार इनमें साठ फीसदी संख्या ऐसे किसान सदस्यों की है, जो अब दुनिया में ही नहीं हैं। जिस कारण समितियों को बकाया ऋण की वसूली में भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
सहकारी समितियां ग्रामीण क्षेत्र में होती हैं, जहां से किसानों को बीज, खाद और नगद ऋण भी मिलता है। इसमें ऋण की प्रक्रिया की बात करें तो नावार्ड से हरको बैंकों को धन मिलता है, हरको बैंक जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों को धन देती है। जिला केंद्रीय सहकारी बैंक सहकारी समितियों को धन उपलब्ध कराती है, फिर सहकारी समितियां किसानों को ऋण देती हैं। इसमें किसानों को 1.12 लाख रुपये नकद देती हैं और शेष 37 हजार 500 रुपये की खाद, दवाएं, बीज आदि देती हैं। इसी तरह से सहकारी समितियों के कर्मचारी ही किसान सदस्यों से ऋण की वसूली करते हैं।
डेढ़ लाख रुपये तक का बिना ब्याज ऋण देती हैं समितियां
सहकारी समितियों द्वारा दो छमाही में ऋण दिया जाता है। किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट के अनुसार एक अप्रैल से 30 जून तक और दूसरी छमाही एक सिंतबर-2022 से 28 फरवरी 2023 तक होगी। किसान सदस्यों को डेढ़ लाख रुपये तक के ऋण को जिस छमाही में लेते हैं, उसी छमाही के अंतिम दिवस तक जमा करना होगा है। ये नियमित लेनदेन है, जिसमें कोई भी ब्याज सहकारी समितियों द्वारा किसानों से नहीं लिया जाता है, लेकिन जो किसान छमाही की तिथि बीत जाने के बाद भी ऋण की राशि को जमा नहीं कर पाता है तो उससे 18 प्रतिशत ब्याज देना होता है।
मृतकों के वारिसों, जमानियों से ऋण वसूलने की तैयारी
सहकारी समितियों के करीब साठ फीसदी से अधिक डिफाल्टर अब इस दुनिया में नहीं हैं। जिला केंद्रीय सहकारी बैंक द्वारा डिफाल्टरों को नोटिस जारी किए गए हैं। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि जिन डिफाल्टर खातेदारों की मृत्यु हो चुकी है, उनके वारिसों व उनके जमानियों से ऋण वसूली की तैयारी की जा रही है। इसके लिए समितियों के कर्मचारियों द्वारा घर-घर जाकर नोटिस वितरण के दौरान जानकारी प्राप्त की जा रही है।
वर्जन
जिले में सहकारी ऋण की डिफाल्टरों की संख्या 47099 है, जिन पर 194 करोड़ रुपये की बकायेदारी है। वसूली के लिए नोटिस जारी किए गए हैं। जो खातेदार अब दुनिया में नहीं है, उनके वारिसों व जमानियों से वसूली पर विचार किया जा रहा है।
– शीतल पानू, महाप्रबंधक जिला केंद्रीय सहकारी बैंक करनाल
वर्जन
बड़ी संख्या में सहकारी समितियों के सदस्य डिफाल्टर हो रहे हैं। इनमें से करीब साठ फीसदी तक की मृत्यु हो चुकी है। डिफाल्टर होने की वजह के पीछे ऋण माफी भी काफी हद तक जिम्मेदार है। फिलहाल जो दिशा निर्देश उच्चाधिकारियों के होते हैं, इसके आधार पर लगातार वसूली की जा रही है।
कुलदीप सिंह राणा, प्रदेशाध्यक्ष पैक्स कर्मचारी महासंघ हरियाणा

करनाल। जिले की सहकारी समितियां किसानों की सबसे बड़ी मददगार मानी जाती हैं, इसके बावजूद बड़ी संख्या में किसान सदस्य डिफाल्टर हो गए हैं। मौजूदा समय में जिले भर की 90 सहकारी समितियों से करीब पांच लाख किसान जुड़े हैं, इसमें से 47099 सदस्य डिफाल्टर हो गए हैं। जिन पर करीब 194 करोड़ रुपये का ऋण बकाया है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार इनमें साठ फीसदी संख्या ऐसे किसान सदस्यों की है, जो अब दुनिया में ही नहीं हैं। जिस कारण समितियों को बकाया ऋण की वसूली में भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

सहकारी समितियां ग्रामीण क्षेत्र में होती हैं, जहां से किसानों को बीज, खाद और नगद ऋण भी मिलता है। इसमें ऋण की प्रक्रिया की बात करें तो नावार्ड से हरको बैंकों को धन मिलता है, हरको बैंक जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों को धन देती है। जिला केंद्रीय सहकारी बैंक सहकारी समितियों को धन उपलब्ध कराती है, फिर सहकारी समितियां किसानों को ऋण देती हैं। इसमें किसानों को 1.12 लाख रुपये नकद देती हैं और शेष 37 हजार 500 रुपये की खाद, दवाएं, बीज आदि देती हैं। इसी तरह से सहकारी समितियों के कर्मचारी ही किसान सदस्यों से ऋण की वसूली करते हैं।

डेढ़ लाख रुपये तक का बिना ब्याज ऋण देती हैं समितियां

सहकारी समितियों द्वारा दो छमाही में ऋण दिया जाता है। किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट के अनुसार एक अप्रैल से 30 जून तक और दूसरी छमाही एक सिंतबर-2022 से 28 फरवरी 2023 तक होगी। किसान सदस्यों को डेढ़ लाख रुपये तक के ऋण को जिस छमाही में लेते हैं, उसी छमाही के अंतिम दिवस तक जमा करना होगा है। ये नियमित लेनदेन है, जिसमें कोई भी ब्याज सहकारी समितियों द्वारा किसानों से नहीं लिया जाता है, लेकिन जो किसान छमाही की तिथि बीत जाने के बाद भी ऋण की राशि को जमा नहीं कर पाता है तो उससे 18 प्रतिशत ब्याज देना होता है।

मृतकों के वारिसों, जमानियों से ऋण वसूलने की तैयारी

सहकारी समितियों के करीब साठ फीसदी से अधिक डिफाल्टर अब इस दुनिया में नहीं हैं। जिला केंद्रीय सहकारी बैंक द्वारा डिफाल्टरों को नोटिस जारी किए गए हैं। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि जिन डिफाल्टर खातेदारों की मृत्यु हो चुकी है, उनके वारिसों व उनके जमानियों से ऋण वसूली की तैयारी की जा रही है। इसके लिए समितियों के कर्मचारियों द्वारा घर-घर जाकर नोटिस वितरण के दौरान जानकारी प्राप्त की जा रही है।

वर्जन

जिले में सहकारी ऋण की डिफाल्टरों की संख्या 47099 है, जिन पर 194 करोड़ रुपये की बकायेदारी है। वसूली के लिए नोटिस जारी किए गए हैं। जो खातेदार अब दुनिया में नहीं है, उनके वारिसों व जमानियों से वसूली पर विचार किया जा रहा है।

– शीतल पानू, महाप्रबंधक जिला केंद्रीय सहकारी बैंक करनाल

वर्जन

बड़ी संख्या में सहकारी समितियों के सदस्य डिफाल्टर हो रहे हैं। इनमें से करीब साठ फीसदी तक की मृत्यु हो चुकी है। डिफाल्टर होने की वजह के पीछे ऋण माफी भी काफी हद तक जिम्मेदार है। फिलहाल जो दिशा निर्देश उच्चाधिकारियों के होते हैं, इसके आधार पर लगातार वसूली की जा रही है।

कुलदीप सिंह राणा, प्रदेशाध्यक्ष पैक्स कर्मचारी महासंघ हरियाणा

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