शहर के हर आदमी की जीत और एसी कमरों में बैठकर राजनीति करने वालों की हार : महलावत


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बावल नगर पालिका के चेयरमैन और 13 वार्ड पार्षदों के बड़े चौंकाने वाले नतीजे सामने हैं। बावलवासियों ने भाजपा प्रत्याशी शिवनारायण के बहाने सहकारिता मंत्री डॉ. बनवारी लाल को पटखनी दे दी। कांग्रेस समर्थित नए चेयरमैन वीरेंद्र सिंह महलावत ने इस चुनाव में मिली जीत को बावल 84 और बावल शहर के हर आदमी की जीत बताने के साथ ही एसी कमरों में बैठकर राजनीति करने वालों की हार बताया। साफ है कि उनकी जीत बावल की जनता के सियासी मूड के बदलने का गहरा संकेत देती है। उधर एक कड़ा सच यह भी है कि बावल नगर पालिका के नए चेयरमैन विरेंद्र सिंह के समर्थक जो नगर पार्षद बनने का सपना लेकर चुनाव में उतरे, वे अपनी जीत दर्ज नहीं कर सके।
उधर भाजपा और जजपा समर्थित उम्मीदवारों क्रमश: मास्टर शिवनारायण और दीनदयाल सैनी की लुटिया डुबोने में बावल वासियों के साथ – साथ भाजपा – जजपा गठबंधन के नेता भी बराबर के हिस्सेदार हैं। अगर इनकी ओर से इस चुनाव को लेकर दोनों पार्टियों में गठबंधन होने को लेकर पहले घोषणा कर दी जाती तो चुनाव परिणाम में काफी बदलाव देखने को मिलते। समय रहते गठबंधन नहीं करना और बाद में दोनों पार्टियों के नेताओं का अपने – अपने प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार में जुटे रहना, बावल की जनता को यह साफ संदेश दे गया कि इनका गठबंधन केवल सियासी और मजबूरी वाला है। इसका गहरा असर इस मतदान पर पड़ा। नामांकन के वक्त के भाजपा उम्मीदवार के साथ सहकारिता मंत्री डॉ. बनवारी लाल और भाजपा जिलाध्यक्ष हुकुमचंद यादव समेत अन्य नजर आए। बावल में पार्टी प्रत्याशी के चुनाव प्रचार के लिए भाजपा टीम उतरी मगर अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सकी। सहकारिता मंत्री डॉ. बनवारी लाल के प्रति बावलवासियों की नाराजगी ने भाजपा प्रत्याशी शिवनारायण की जीत को शक के घेरे में ला दिया। उधर केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का अचानक कोरोना ग्रस्त होने की वजह से चुनाव प्रचार में नहीं आए।
राव की बेटी आरती राव हो या फिर कोई बड़ा चेहरा चुनाव प्रचार में नहीं आने का खामियाजा भाजपा उम्मीदवार को उठाना पड़ा। भाजपा उम्मीदवार शिवनारायण की ओर से उनकी हार का ठीकरा पार्टी में कलह पर फोड़ने से जिले में भाजपा संगठन में गुटबाजी हावी होने की चर्चाओं को फिर हवा मिल गई है।
बता दें, इससे पहले विधानसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के समर्थक सुनील मूसेपुर को रेवाड़ी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार बनाया गया। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके लिए चुनाव प्रचार में आए मगर भाजपा की अंदरूनी गुटबाजी की वजह से मूसेपुर यह चुनाव हार गए और कांग्रेस के चिरंजीव राव विधानसभा का चुनाव जीत गए। उसके बाद नए जिलाध्यक्ष मास्टर हुक्म सिंह यादव के मार्गदर्शन में जिले में भाजपा बावल नगर पालिका का आम चुनाव लड़ी और चेयरमैन पद पर पार्टी निशान पर यह चुनाव लड़ने के बाद हार गई। इस हार के पीछे सहकारिता मंत्री डॉ. बनवारी लाल ने चुनाव प्रचार के लिए कम समय मिलना और अग्निपथ योजना को लेकर युवाओं में विरोध होने की बात कही है।
अब देखना यह होगा कि भाजपा हाईकमान इस हार को किस नजरिया से लेता है। निकाय चुनाव में भाजपा प्रदर्शन को लेकर मंथन बैठक में बावल नगर पालिका चेयरमैन पद के चुनाव में पार्टी उम्मीदवार की हार, वह भी सहकारिता मंत्री डॉ. बनवारी लाल और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के गृह जिले में, इसका नजला किसी न किसी पर जरूर गिरेगा। उधर प्रदेश में पंचायतीराज संस्थाओं, जिला परिषद, पंचायत समिति और ग्राम पंचायतों के आम चुनाव की पटकथा इन दिनों लिखी जा रही है जिसके लिए सरकार की ओर से वार्ड आरक्षण कराया जा रहा है। ऐसे में बावल विधानसभा क्षेत्र में बावल नगर पालिका के चेयरमैन पद पर भाजपा की हार का कितना असर पड़ेगा और कांग्रेस कितनी मजबूत होगी, यह आने वाले समय में पता चल पाएगा। फिलहाल कांग्रेस कार्यकर्ता इस जीत को अपनी पार्टी की जीत मानकर खुश हैं और इसे बावल विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की शुरूआती जीत माना जा रहा है।

बावल नगर पालिका के चेयरमैन और 13 वार्ड पार्षदों के बड़े चौंकाने वाले नतीजे सामने हैं। बावलवासियों ने भाजपा प्रत्याशी शिवनारायण के बहाने सहकारिता मंत्री डॉ. बनवारी लाल को पटखनी दे दी। कांग्रेस समर्थित नए चेयरमैन वीरेंद्र सिंह महलावत ने इस चुनाव में मिली जीत को बावल 84 और बावल शहर के हर आदमी की जीत बताने के साथ ही एसी कमरों में बैठकर राजनीति करने वालों की हार बताया। साफ है कि उनकी जीत बावल की जनता के सियासी मूड के बदलने का गहरा संकेत देती है। उधर एक कड़ा सच यह भी है कि बावल नगर पालिका के नए चेयरमैन विरेंद्र सिंह के समर्थक जो नगर पार्षद बनने का सपना लेकर चुनाव में उतरे, वे अपनी जीत दर्ज नहीं कर सके।

उधर भाजपा और जजपा समर्थित उम्मीदवारों क्रमश: मास्टर शिवनारायण और दीनदयाल सैनी की लुटिया डुबोने में बावल वासियों के साथ – साथ भाजपा – जजपा गठबंधन के नेता भी बराबर के हिस्सेदार हैं। अगर इनकी ओर से इस चुनाव को लेकर दोनों पार्टियों में गठबंधन होने को लेकर पहले घोषणा कर दी जाती तो चुनाव परिणाम में काफी बदलाव देखने को मिलते। समय रहते गठबंधन नहीं करना और बाद में दोनों पार्टियों के नेताओं का अपने – अपने प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार में जुटे रहना, बावल की जनता को यह साफ संदेश दे गया कि इनका गठबंधन केवल सियासी और मजबूरी वाला है। इसका गहरा असर इस मतदान पर पड़ा। नामांकन के वक्त के भाजपा उम्मीदवार के साथ सहकारिता मंत्री डॉ. बनवारी लाल और भाजपा जिलाध्यक्ष हुकुमचंद यादव समेत अन्य नजर आए। बावल में पार्टी प्रत्याशी के चुनाव प्रचार के लिए भाजपा टीम उतरी मगर अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सकी। सहकारिता मंत्री डॉ. बनवारी लाल के प्रति बावलवासियों की नाराजगी ने भाजपा प्रत्याशी शिवनारायण की जीत को शक के घेरे में ला दिया। उधर केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का अचानक कोरोना ग्रस्त होने की वजह से चुनाव प्रचार में नहीं आए।

राव की बेटी आरती राव हो या फिर कोई बड़ा चेहरा चुनाव प्रचार में नहीं आने का खामियाजा भाजपा उम्मीदवार को उठाना पड़ा। भाजपा उम्मीदवार शिवनारायण की ओर से उनकी हार का ठीकरा पार्टी में कलह पर फोड़ने से जिले में भाजपा संगठन में गुटबाजी हावी होने की चर्चाओं को फिर हवा मिल गई है।

बता दें, इससे पहले विधानसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के समर्थक सुनील मूसेपुर को रेवाड़ी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार बनाया गया। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके लिए चुनाव प्रचार में आए मगर भाजपा की अंदरूनी गुटबाजी की वजह से मूसेपुर यह चुनाव हार गए और कांग्रेस के चिरंजीव राव विधानसभा का चुनाव जीत गए। उसके बाद नए जिलाध्यक्ष मास्टर हुक्म सिंह यादव के मार्गदर्शन में जिले में भाजपा बावल नगर पालिका का आम चुनाव लड़ी और चेयरमैन पद पर पार्टी निशान पर यह चुनाव लड़ने के बाद हार गई। इस हार के पीछे सहकारिता मंत्री डॉ. बनवारी लाल ने चुनाव प्रचार के लिए कम समय मिलना और अग्निपथ योजना को लेकर युवाओं में विरोध होने की बात कही है।

अब देखना यह होगा कि भाजपा हाईकमान इस हार को किस नजरिया से लेता है। निकाय चुनाव में भाजपा प्रदर्शन को लेकर मंथन बैठक में बावल नगर पालिका चेयरमैन पद के चुनाव में पार्टी उम्मीदवार की हार, वह भी सहकारिता मंत्री डॉ. बनवारी लाल और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के गृह जिले में, इसका नजला किसी न किसी पर जरूर गिरेगा। उधर प्रदेश में पंचायतीराज संस्थाओं, जिला परिषद, पंचायत समिति और ग्राम पंचायतों के आम चुनाव की पटकथा इन दिनों लिखी जा रही है जिसके लिए सरकार की ओर से वार्ड आरक्षण कराया जा रहा है। ऐसे में बावल विधानसभा क्षेत्र में बावल नगर पालिका के चेयरमैन पद पर भाजपा की हार का कितना असर पड़ेगा और कांग्रेस कितनी मजबूत होगी, यह आने वाले समय में पता चल पाएगा। फिलहाल कांग्रेस कार्यकर्ता इस जीत को अपनी पार्टी की जीत मानकर खुश हैं और इसे बावल विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की शुरूआती जीत माना जा रहा है।

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