शरीर गोकुल, मथुरा, द्वारिका और आत्मा भगवान श्रीकृष्ण


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अंबाला सिटी। श्रीगोपी नाथ श्रीकृष्ण मंदिर सत्संग भवन मानव चौक में श्री राधेध्याम ठाकुर परिवार सेवा समिति व पूर्वांचल पूजा समिति की ओर से श्रीमद्भागवत सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। अमर कथा के पांचवें दिन कथा व्यास आचार्य सनातन चैतन्य महाराज ने कहा कि भगवान का अवतार धर्म रक्षण और भक्तों के कल्याण के लिए होता है। भागवत मेें भगवान के चौबीस अवतारों की चर्चा की गई है। चौबीस अवतारों में से दो अवतार पूर्ण अवतार हैं। एक त्रेतायुग के श्री रामावतार तथा द्वापर युग के श्री कृष्णावतार। एक रघुकुल सूर्यवंश में आए तो दूसरे यदुवंश चंद्रवंश में आए।
भागवत में श्रीकृष्ण कथा को ज्यादा महत्व दिया गया है। श्रीकृष्ण मथुरा में जन्म लेते हैं। आचार्य ने कहा कि हमारा शरीर ही मथुरा है। जब हमारे अंतकरण से काम, क्रोध आदि विकार निकल जाता है। यही विकार थू है, मथुरा शब्द के बिच का थू निकल जाने पर मरा रह जाता है, इस मरा को उलटा करते हैं तो केवल राम ही रह जाता है। राम ही कृष्ण हैं और कृष्ण ही राम हैं दोनो पूर्ण परमात्मा हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुल व वृंदावन में कई लीलाएं की हैं। इस अवसर पर छोटे-छोटे बच्चों ने श्रीकृष्ण व ग्वाल बाल बनकर दही हांडी का खेल खेले। इसका उपस्थित भक्तों ने ताली बजा कर खूब आनंद लिया।
भगवान गोवर्धन पूजा करके इंद्र के अभिमान को तोड़ते हैं। भागवत में ब्रह्मा जी चालीस श्लोकों में और इंद्र 20 श्लोकों में भगवान की स्तुति करते हैं। कथा कार्यक्रम में विशेष रुप से वार्ड नंबर 11 के पार्षद राजेंद्र कौर, वार्ड नंबर 12 के पार्षद प्रतिनिधि समाजसेवी गुरप्रित सिंह शाने, सरदार अवतार सिंह, दलजीत सिंह भाटिया पूर्व पार्षद, राघव बंसल, सीमा बंसल, डोली बंसल, रामसजी मिश्रा आदि मौजूद रहे।

अंबाला सिटी। श्रीगोपी नाथ श्रीकृष्ण मंदिर सत्संग भवन मानव चौक में श्री राधेध्याम ठाकुर परिवार सेवा समिति व पूर्वांचल पूजा समिति की ओर से श्रीमद्भागवत सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। अमर कथा के पांचवें दिन कथा व्यास आचार्य सनातन चैतन्य महाराज ने कहा कि भगवान का अवतार धर्म रक्षण और भक्तों के कल्याण के लिए होता है। भागवत मेें भगवान के चौबीस अवतारों की चर्चा की गई है। चौबीस अवतारों में से दो अवतार पूर्ण अवतार हैं। एक त्रेतायुग के श्री रामावतार तथा द्वापर युग के श्री कृष्णावतार। एक रघुकुल सूर्यवंश में आए तो दूसरे यदुवंश चंद्रवंश में आए।

भागवत में श्रीकृष्ण कथा को ज्यादा महत्व दिया गया है। श्रीकृष्ण मथुरा में जन्म लेते हैं। आचार्य ने कहा कि हमारा शरीर ही मथुरा है। जब हमारे अंतकरण से काम, क्रोध आदि विकार निकल जाता है। यही विकार थू है, मथुरा शब्द के बिच का थू निकल जाने पर मरा रह जाता है, इस मरा को उलटा करते हैं तो केवल राम ही रह जाता है। राम ही कृष्ण हैं और कृष्ण ही राम हैं दोनो पूर्ण परमात्मा हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुल व वृंदावन में कई लीलाएं की हैं। इस अवसर पर छोटे-छोटे बच्चों ने श्रीकृष्ण व ग्वाल बाल बनकर दही हांडी का खेल खेले। इसका उपस्थित भक्तों ने ताली बजा कर खूब आनंद लिया।

भगवान गोवर्धन पूजा करके इंद्र के अभिमान को तोड़ते हैं। भागवत में ब्रह्मा जी चालीस श्लोकों में और इंद्र 20 श्लोकों में भगवान की स्तुति करते हैं। कथा कार्यक्रम में विशेष रुप से वार्ड नंबर 11 के पार्षद राजेंद्र कौर, वार्ड नंबर 12 के पार्षद प्रतिनिधि समाजसेवी गुरप्रित सिंह शाने, सरदार अवतार सिंह, दलजीत सिंह भाटिया पूर्व पार्षद, राघव बंसल, सीमा बंसल, डोली बंसल, रामसजी मिश्रा आदि मौजूद रहे।

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