वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम मजबूत बनाने की जरूरत


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कैथल। मिनिस्ट्री ऑफ पावर के निदेशक एवं केंद्रीय नोडल अधिकारी अरुण कुमार गर्ग ने गिरते भूजल स्तर पर चिंता जताते हुए कहा कि हमें जल संचय की संभावनाओं को तलाशते हुए तेजी से काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम (वर्षा जल संचयन) को और मजबूत बनाने की जरूरत है। इसे नवीनतम तकनीकी के साथ किया जाना चाहिए ताकि लंबे समय तक जल भंडारण किया जा सके।
लघु सचिवालय के सभागार में जल शक्ति मिशन के तहत जिले में चल रहे कार्यों की समीक्षा के दौरान उन्होंने यह बात कही। उन्होंने कहा कि संबंधित सभी विभागों को चाहिए कि वे दूरदर्शिता के साथ जल संचय के कार्य को आगे बढ़ाएं। इसके लिए उन्हें अपने-अपने विभागों में बेहतर काम करने की जरूरत है। इतना ही नहीं लोगों को जल संचय के बारे जागरूक करने की भी जरूरत है, तभी हम जल शक्ति मिशन के तहत दिए गए कार्य को पूरा कर पाएंगे।
इस मौके पर सिंचाई विभाग के अधीक्षक अभियंता जितेंद्र गोस्वामी ने कहा कि उनका विभाग संदर्भित को लेकर सुचारु रूप से कार्य कर रहा है। कार्यालय में एक अटल भूजल केंद्र की व्यवस्था भी की गई है, जिस पर समय अवधि के अनुसार डाटा अपडेट और अपलोड किया जाता है। उन्होंने बताया कि जिला के गुहला और राजौंद्र ब्लॉक डार्क जोन में आते हैं, इसलिए वहां पर अटल भूजल योजना के तहत कार्य किए जा रहे हैं। इन क्षेत्रों के 60 गांवों के भूजल सुधार का प्लान बनाकर केंद्र को प्रेषित किया जा चुका है।
बैठक में उपस्थित डीसी डॉ. संगीता तेतरवाल ने कहा कि जिला में अमृत सरोवर योजना के तहत 75 तालाब चिह्नित किए गए हैं। इनमें से 33 तालाबों पर सुधारीकरण का कार्य किया जा रहा है। यह व्यवस्था भी की गई है कि इन तालाबों में ग्रे वाटर को छोड़कर अन्य गलियों का पानी ना आ पाए, इसके लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। जिला परिषद के सीईओ सुरेश राविश ने कहा कि 130 वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित किए गए। इसके साथ-साथ लगभग 577 तालाबों का सुधारीकरण किया गया। विशेष अभियान चलाकर समय-समय पर पौधरोपण किया गया है।
उन्होंने कहा कि जिला में कैथल व गुहला में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट हैं, वहां से पानी को खेती के कार्य में प्रयोग करने के लिए योजना बनाई गई है, जल्द ही इस कार्य के टेंडर हो जाएंगे। इस मौके पर अतिरिक्त सीईओ जिप अमित कुमार, अधीक्षक अभियंता जितेंद्र गोस्वामी, डीडीपीओ कंवर दमन, डीडीए डॉ. कर्मचंद, डीआईपीआरओ धर्मवीर सिंह, डीईईओ शमशेर सिरोही, डीआईओ दीपक खुराना, बीडीपीओ रोजी, अमित चौधरी, नरेंद्र सिंह व श्याम लाल, कार्यकारी अभियंता केएस पठानिया, वरुण कंसल, अरविंद रोहिल्ला, केके बाठला, विवेक कुमार मौजूद रहे।

कैथल। मिनिस्ट्री ऑफ पावर के निदेशक एवं केंद्रीय नोडल अधिकारी अरुण कुमार गर्ग ने गिरते भूजल स्तर पर चिंता जताते हुए कहा कि हमें जल संचय की संभावनाओं को तलाशते हुए तेजी से काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम (वर्षा जल संचयन) को और मजबूत बनाने की जरूरत है। इसे नवीनतम तकनीकी के साथ किया जाना चाहिए ताकि लंबे समय तक जल भंडारण किया जा सके।

लघु सचिवालय के सभागार में जल शक्ति मिशन के तहत जिले में चल रहे कार्यों की समीक्षा के दौरान उन्होंने यह बात कही। उन्होंने कहा कि संबंधित सभी विभागों को चाहिए कि वे दूरदर्शिता के साथ जल संचय के कार्य को आगे बढ़ाएं। इसके लिए उन्हें अपने-अपने विभागों में बेहतर काम करने की जरूरत है। इतना ही नहीं लोगों को जल संचय के बारे जागरूक करने की भी जरूरत है, तभी हम जल शक्ति मिशन के तहत दिए गए कार्य को पूरा कर पाएंगे।

इस मौके पर सिंचाई विभाग के अधीक्षक अभियंता जितेंद्र गोस्वामी ने कहा कि उनका विभाग संदर्भित को लेकर सुचारु रूप से कार्य कर रहा है। कार्यालय में एक अटल भूजल केंद्र की व्यवस्था भी की गई है, जिस पर समय अवधि के अनुसार डाटा अपडेट और अपलोड किया जाता है। उन्होंने बताया कि जिला के गुहला और राजौंद्र ब्लॉक डार्क जोन में आते हैं, इसलिए वहां पर अटल भूजल योजना के तहत कार्य किए जा रहे हैं। इन क्षेत्रों के 60 गांवों के भूजल सुधार का प्लान बनाकर केंद्र को प्रेषित किया जा चुका है।

बैठक में उपस्थित डीसी डॉ. संगीता तेतरवाल ने कहा कि जिला में अमृत सरोवर योजना के तहत 75 तालाब चिह्नित किए गए हैं। इनमें से 33 तालाबों पर सुधारीकरण का कार्य किया जा रहा है। यह व्यवस्था भी की गई है कि इन तालाबों में ग्रे वाटर को छोड़कर अन्य गलियों का पानी ना आ पाए, इसके लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। जिला परिषद के सीईओ सुरेश राविश ने कहा कि 130 वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित किए गए। इसके साथ-साथ लगभग 577 तालाबों का सुधारीकरण किया गया। विशेष अभियान चलाकर समय-समय पर पौधरोपण किया गया है।

उन्होंने कहा कि जिला में कैथल व गुहला में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट हैं, वहां से पानी को खेती के कार्य में प्रयोग करने के लिए योजना बनाई गई है, जल्द ही इस कार्य के टेंडर हो जाएंगे। इस मौके पर अतिरिक्त सीईओ जिप अमित कुमार, अधीक्षक अभियंता जितेंद्र गोस्वामी, डीडीपीओ कंवर दमन, डीडीए डॉ. कर्मचंद, डीआईपीआरओ धर्मवीर सिंह, डीईईओ शमशेर सिरोही, डीआईओ दीपक खुराना, बीडीपीओ रोजी, अमित चौधरी, नरेंद्र सिंह व श्याम लाल, कार्यकारी अभियंता केएस पठानिया, वरुण कंसल, अरविंद रोहिल्ला, केके बाठला, विवेक कुमार मौजूद रहे।

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