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सिरसा. हरियाणा के सिरसा में कालावाली स्थित डेरा शाह मस्ताना जगमालवाली की गद्दी को लेकर इन दिनों विवाद चल रहा है. यहां पर इसके मद्देनजर 8 अगस्त को एक दिन के लिए इंटरनेट भी बंद कर दिया था. लेकिन सब कुछ शांत रहा और रस्म पगड़ी की आयोजन किया गया. अब संत बहादुर चंद वकील साहिब की एक लाल डायरी सामने आई है, जिसे वकील साहिब ने 1 जनवरी 2023 को लिखा था. डायरी में वकील साहिब से पहले डेरे के संत रहें गुरुबख्स सिंह मैनेजर का भी जिक्र किया और लिखा कि किस तरह से गुरुबख्स सिंह मैनेजर ने बहादुर चंद वकील साहिब के नाम डेरे की वसीयत की थी.
वकील साहिब ने अपने हाथ से इस लाल डायरी में अपनी वसीयत लिखी है और इसमें वीरेंद्र के नाम का जिक्र है. डायरी में साफ लिखा गया है कि डेरे की वसीयत वीरेंद्र के नाम कर रहा हूं. इस डायरी में डेरे के ट्रस्ट के सभी सदस्यों का भी जिक्र किया गया है और अब साफ जाहिर हो रहा कि संत वकील साहिब ने अपने होश-हवास में डेरे की वसीयत वीरेंद्र के नाम की गई है.
डायरी के पन्नों पर लिखी वसीयत को प्रिंट और रजिस्टर्ड करवाने के बाद डेरे के ट्रस्ट के लोगों के सामने संत वकील साहिब ने पढ़ा था. डायरी को ट्रस्ट के सदस्य सुमेर सिंह ने भी पढ़ कर सुनाया था.
गौरतलब है कि संत वकील साहिब कई माह से बीमार थे और इसी बीमारी के चलते उनका दिल्ली के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया था. निधन के बाद जब उनके पार्थिव शरीर को डेरा जगमालवाली में लाया गया तो उस दौरान गांव के बिश्नोई समाज के एक वक्ती अमर सिंह ने गद्दी को लेकर विवाद खड़ा कर दिया. अमर सिंह ने आरोप लगाए थे कि संत वकील साहिब की वसीयत फर्जी है और इसकी सीबीआई और हाईकोर्ट के सिटिंग जज से जाँच करवाई जाए. अमर सिंह की वजह से विवाद बढ़ा और सिरसा में भारी पुलिस बल तैनात करना पड़ा.
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