लापरवाही से दम तोड़ रही गीला कचरा निस्तारण योजना


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संवाद न्यूज एजेंसी
कुरुक्षेत्र। नगर परिषद गीले कचरे के निस्तारण के लिए लाखों रुपये खर्च करके बनाए गए अपने ही कंपोजिट पिट्स को संभाल नहीं सका। नतीजतन, देखरेख के अभाव में यह पिट्स एक साल भी नहीं टिक पाए और ठप होते चले गए। स्थिति यह है कि अब इनके वजूद पर खतरा मंडराने लगा है। वहीं जागरूकता के अभाव में शहर के लोग भी इनका सही इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। यही कारण है कि कई पिट्स में लंबे समय से कचरा जमा है। अधिकारियों की अनदेखी और लापरवाही के कारण गीला कूड़ा निस्तारण की योजना बीच में ही दम तोड़ती नजर आ रही है।
अगस्त 2021 में नगर परिषद की स्वच्छ भारत इकाई की ओर से शहर के सेक्टर-दो, तीन, पांच, सात, आठ, 13, नया बस अड्डा सहित अन्य जगह ग्रीन बेल्ट में करीब तीन लाख 20 हजार रुपये की लागत से कंपोजिट पिट्स बनाए गए थे। इसके साथ-साथ नप के पास पहले से 10 पिट्स थे। इसका मकसद शहर से निकल रहे गीले कूड़े-कचरे का निस्तारण करके उसे खाद के रूप में इस्तेमाल करना था, मगर अब इन पिट्स की स्थिति बदहाल हो चुकी है।
सोमवार को सेक्टर-आठ, केडीबी रोड पर जिम खाना क्लब, बिजली निगम के पास, सेक्टर-13 और नए बस अड्डे के पास बने पिट्स का जायजा लिया गया तो इनकी दशा बेहाल थी। सेक्टर-आठ की ग्रीन बेल्ट में कंपोजिट पिट्स कई जगह से टूटे मिले। इसी तरह जिम खाना क्लब के पास के पिट्स की स्थिति भी बदतर थी। इसकी दीवार तीन जगह से ढह चुकी है और आसपास गंदगी के ढेर लगे हुए हैं। वहीं सेक्टर-13 में बने दो पिट्स का लंबे समय से इस्तेमाल ही नहीं हुआ है। उधर, बस अड्डे पर बनाए गए पिट्स में लंबे समय से कचरा पड़ा हुआ है।
टिप्पर चालकों को दिया कूड़ा डालने का काम
लोगों को पिट्स के प्रति जागरूक न करना इनके ठप होने की बड़ी वजह है। नप ने डोर-टू-डोर कचरा उठाने वाले टिप्पर चालक को गीला कूड़ा-कचरा पिट्स में डालने की जिम्मेदारी सौंपी थी, मगर टिप्पर चालकों को पिट्स में कचरा डालने में कई समस्याओं से जूझना पड़ रहा था। इस कारण नप की यह योजना नाकाम साबित हुई।
एक टन कूड़ा निस्तारण करने की क्षमता
कंपोजिट पिट्स में गीले कचरे में कई तरह के केमिकल डालकर उसे खाद में तब्दील किया जाता है। कचरे से बनी इस खाद को नप द्वारा वन विभाग को सौंपा जाना था। इस एक पिट्स की क्षमता एक टन कूड़े की है। शहर से प्रतिदिन 80.2 टन कूड़ा-कचरा निकलता है, जिसे बजीदपुर बने डंपिंग जोन में डाला जाता है। अगर नप इन पिट्स का सही इस्तेमाल करती तो 30 पिट्स से 30 टन गीले कचरे का निस्तारण आसानी से होता। बता दें नप के पास 81 टिप्पर हैं, जिसमें 62 में गीला और सूखा कचरा डालने के लिए जगह बनाई हुई हैं। इसके अलावा नप के पास दो जेसीबी, सात ट्रैक्टर-ट्राली, एक स्वीपर मशीन है।
पिट्स की कराई जाएगी मरम्मत : बलबीर रोहिल्ला
नगर परिषद के ईओ बलबीर रोहिल्ला ने बताया कि अभी डोर-टू-डोर कूड़े का चार्ज वसूल किया जा रहा है। इन पिट्स की संभाल की जाएगी। मौके का मुआयना करके पिट्स की मरम्मत कराकर उन्हें दोबारा इस्तेमाल में लाया जाएगा।

कचरे से भरी पड़ी कंपोजिट पिट।  संवाद

कचरे से भरी पड़ी कंपोजिट पिट। संवाद– फोटो : Kurukshetra

जिमखाना कलब के पास टूटी पड़ी कंपोजिट पिट। संवाद– फोटो : Kurukshetra

संवाद न्यूज एजेंसी

कुरुक्षेत्र। नगर परिषद गीले कचरे के निस्तारण के लिए लाखों रुपये खर्च करके बनाए गए अपने ही कंपोजिट पिट्स को संभाल नहीं सका। नतीजतन, देखरेख के अभाव में यह पिट्स एक साल भी नहीं टिक पाए और ठप होते चले गए। स्थिति यह है कि अब इनके वजूद पर खतरा मंडराने लगा है। वहीं जागरूकता के अभाव में शहर के लोग भी इनका सही इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। यही कारण है कि कई पिट्स में लंबे समय से कचरा जमा है। अधिकारियों की अनदेखी और लापरवाही के कारण गीला कूड़ा निस्तारण की योजना बीच में ही दम तोड़ती नजर आ रही है।

अगस्त 2021 में नगर परिषद की स्वच्छ भारत इकाई की ओर से शहर के सेक्टर-दो, तीन, पांच, सात, आठ, 13, नया बस अड्डा सहित अन्य जगह ग्रीन बेल्ट में करीब तीन लाख 20 हजार रुपये की लागत से कंपोजिट पिट्स बनाए गए थे। इसके साथ-साथ नप के पास पहले से 10 पिट्स थे। इसका मकसद शहर से निकल रहे गीले कूड़े-कचरे का निस्तारण करके उसे खाद के रूप में इस्तेमाल करना था, मगर अब इन पिट्स की स्थिति बदहाल हो चुकी है।

सोमवार को सेक्टर-आठ, केडीबी रोड पर जिम खाना क्लब, बिजली निगम के पास, सेक्टर-13 और नए बस अड्डे के पास बने पिट्स का जायजा लिया गया तो इनकी दशा बेहाल थी। सेक्टर-आठ की ग्रीन बेल्ट में कंपोजिट पिट्स कई जगह से टूटे मिले। इसी तरह जिम खाना क्लब के पास के पिट्स की स्थिति भी बदतर थी। इसकी दीवार तीन जगह से ढह चुकी है और आसपास गंदगी के ढेर लगे हुए हैं। वहीं सेक्टर-13 में बने दो पिट्स का लंबे समय से इस्तेमाल ही नहीं हुआ है। उधर, बस अड्डे पर बनाए गए पिट्स में लंबे समय से कचरा पड़ा हुआ है।

टिप्पर चालकों को दिया कूड़ा डालने का काम

लोगों को पिट्स के प्रति जागरूक न करना इनके ठप होने की बड़ी वजह है। नप ने डोर-टू-डोर कचरा उठाने वाले टिप्पर चालक को गीला कूड़ा-कचरा पिट्स में डालने की जिम्मेदारी सौंपी थी, मगर टिप्पर चालकों को पिट्स में कचरा डालने में कई समस्याओं से जूझना पड़ रहा था। इस कारण नप की यह योजना नाकाम साबित हुई।

एक टन कूड़ा निस्तारण करने की क्षमता

कंपोजिट पिट्स में गीले कचरे में कई तरह के केमिकल डालकर उसे खाद में तब्दील किया जाता है। कचरे से बनी इस खाद को नप द्वारा वन विभाग को सौंपा जाना था। इस एक पिट्स की क्षमता एक टन कूड़े की है। शहर से प्रतिदिन 80.2 टन कूड़ा-कचरा निकलता है, जिसे बजीदपुर बने डंपिंग जोन में डाला जाता है। अगर नप इन पिट्स का सही इस्तेमाल करती तो 30 पिट्स से 30 टन गीले कचरे का निस्तारण आसानी से होता। बता दें नप के पास 81 टिप्पर हैं, जिसमें 62 में गीला और सूखा कचरा डालने के लिए जगह बनाई हुई हैं। इसके अलावा नप के पास दो जेसीबी, सात ट्रैक्टर-ट्राली, एक स्वीपर मशीन है।

पिट्स की कराई जाएगी मरम्मत : बलबीर रोहिल्ला

नगर परिषद के ईओ बलबीर रोहिल्ला ने बताया कि अभी डोर-टू-डोर कूड़े का चार्ज वसूल किया जा रहा है। इन पिट्स की संभाल की जाएगी। मौके का मुआयना करके पिट्स की मरम्मत कराकर उन्हें दोबारा इस्तेमाल में लाया जाएगा।

कचरे से भरी पड़ी कंपोजिट पिट।  संवाद

कचरे से भरी पड़ी कंपोजिट पिट। संवाद– फोटो : Kurukshetra

 जिमखाना कलब के पास टूटी पड़ी कंपोजिट पिट।  संवाद

जिमखाना कलब के पास टूटी पड़ी कंपोजिट पिट। संवाद– फोटो : Kurukshetra

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