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रैनसमवेयर हमले से 300 छोटे बैंकों का पेमेंट सिस्टम बंद:ATM से नकदी नहीं निकाल पा रहे ग्राहक, UPI ट्रांजेक्शन भी नहीं हो पा रहा Today Tech News

रैनसमवेयर हमले से 300 छोटे बैंकों का पेमेंट सिस्टम बंद:ATM से नकदी नहीं निकाल पा रहे ग्राहक, UPI ट्रांजेक्शन भी नहीं हो पा रहा Today Tech News


अहमदाबाद/मुंबई8 दिन पहले

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रैनसमवेयर हमले के कारण देशभर के करीब 300 छोटे बैंक और फाइनेंशियल इन्स्टीट्यूशन्स का बैंकिंग से जुड़ा कामकाज बंद पड़ गया है। ये साइबर हमला टेक्नोलॉजी सर्विस प्रोवाइडर सी-एज टेक्नोलॉजीज पर हुआ है। कंपनी देशभर के छोटे बैंकों को बैंकिंग टेक्नोलॉजी सिस्टम उपलब्ध कराती है।

इस साइबर हमले का असर उन सहकारी बैंकों और ग्रामीण क्षेत्रीय बैंकों के ग्राहकों पर पड़ा है, जो SBI और TCS के जॉइंट वेंचर सी-एज टेक्नोलॉजीज पर निर्भर हैं। इससे ग्राहक ATM से नकदी नहीं निकाल पा रहे हैं। वहीं, UPI से अमाउंट ट्रांसफर करने में भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

इस बारे में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और सॉफ्टवेयर कंपनी की ओर से कोई बयान नहीं आया है और न ही किसी वित्तीय नुकसान की बात अभी तक सामने नहीं आई है।

सी-एज टेक्नोलॉजीज पर रैनसमवेयर हमला हुआ : NPCI
पैमेंट सिस्टम की देखरेख करने वाली संस्था नेशनल पैमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने बुधवार रात सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर नोटिस जारी कर बताया कि ‘सॉफ्टवेयर कंपनी सी-एज टेक्नोलॉजीज पर रैनसमवेयर हमला हुआ है, जिससे उनके कुछ सिस्टम प्रभावित हुए हैं।’

NPCI के मुताबिक, ‘साइबर हमले के कारण सी-एज को NPCI की ओर से ऑपरेट किए जाने वाले रिटेल पैमेंट सिस्टम से अस्थायी रूप से क्वारेंटाइन (अलग) कर दिया गया है। सी-एज टेक्नोलॉजीज के साथ मिलकर बहाली का काम किया जा रहा है।

NPCI ने कहा कि, ‘इन बैंकों का पैमेंट सिस्टम का सिक्योरिटी रिव्यू किया जा रहा है। सी-एज से सर्विस लेने वाले बैंकों के ग्राहक क्वारेंटाइन के दौरान पैमेंट सिस्टम तक पहुंच नहीं पाएंगे।’

दो दिन से पैमेंट सिस्टम में आ रही दिक्कत
न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ के चेयरमैन दिलीप संघानी ने कहा कि गुजरात के 17 जिला सहकारी बैंकों समेत देशभर के करीब 300 बैंक पिछले दो-तीन दिन से पैमेंट संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि, ‘बैंकों को 29 जुलाई से परेशानी हो रही है और सॉफ्टवेयर कंपनी के अधिकारी इसे तकनीकी खराबी बता रहे हैं। हालांकि, अन्य बैंकिंग सेवाएं सामान्य रूप से काम कर रही हैं।

इन बैंकों को देश के पेमेंट नेटवर्क से भी अलग किया
रिपोर्ट के मुताबिक, साइबर हमले को बड़े स्तर पर फैलने से रोकने के लिए इन बैंकों को देश के पैमेंट नेटवर्क से भी अलग कर दिया गया है। इनमें से अधिकांश छोटे बैंक हैं और इससे देश के पेमेंट सिस्टम का सिर्फ 0.5% हिस्सा ही प्रभावित हुआ है।

एक अधिकारी ने बताया कि, सी-एज के सिस्टम में रैनसमवेयर पाया गया है और इसे हटाने के बाद थर्ड पार्टी से ऑडिट कराया है। सब कुछ प्लानिंग के अनुसार होने पर गुरुवार सुबह या दोपहर तक सिस्टम चालू हो जाएगा। भारत में करीब 1,500 सहकारी और क्षेत्रीय बैंक हैं, जिनका संचालन ज्यादातर बड़े शहरों से बाहर होता है।

रैनसमवेयर यानी डिजिटल फिरौती
रैनसमवेयर एक तरह का मालवेयर होता है, जो आपके कंप्यूटर में घुसकर एक्सेस हासिल कर लेता है। वो आपकी सभी फाइल को एन्क्रिप्टेड कर देता है। डेटा और एक्सेस वापस देने के एवज में फिरौती की मांग करता है।

आसान भाषा में इसे किडनैपिंग समझ सकते हैं। कोई लुटेरा आपके सिस्टम और डेटा को कैद कर लेता है और उसके बदले फिरौती मांगता है। फिरौती देने के बाद वो चाहे तो आपका डेटा वापस कर दे या उसे खत्म कर सकता है।

रैनसमवेयर का पहला मामला
बेकर्स हॉस्पिटल रिव्यू वेबसाइट के मुताबिक दुनिया का पहला रैनसमवेयर अटैक 1989 में हुआ था। इसे एड्स रिसर्चर जोसेफ पोप ने अंजाम दिया था। जोसेफ ने दुनिया के 90 देशों में 20 हजार फ्लॉपी डिस्क बंटवाई। उन्होंने कहा कि इस डिस्क में एड्स के खतरों का एनालिसिस है। डिस्क में एक मालवेयर प्रोग्राम भी था, जो उन सभी कंप्यूटर्स में एक्टिव हो गया। डेटा के बदले उस वक्त 189 डॉलर की फिरौती मांग गई थी। इस रैनसमवेयर अटैक को AIDS Trojan के नाम से जाना जाता है।

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