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गांव लिवासपुर-जाट जोशी के पास जाजल रेनीवाल की वॉल्व लीक होने से पेयजल नौ घंटे तक 30 फुट फव्वारा बनकर बर्बाद होता रहा। शहर में पहले से ही पानी की किल्लत बनी हुई है और दूसरी तरफ रेनीवेल प्रोजेक्ट की देखरेख में हो रही लापरवाही से हजारों लीटर पानी व्यर्थ बह गया।
गांव जाजल में पांच साल पहले 100 करोड़ रुपये की लागत से शहर में पेयजल की सप्लाई के लिए रेनीवेल बनाया गया था। पेयजल आपूर्ति के लिए शहर को चार जोन में बांटा है। रेनीवाल से ही ज्यादातर स्थानों पर सप्लाई की जाती है। विभाग की आंकड़ों से देखें तो 54 हजार पेयजल कनेक्शनों में से 45 हजार से ज्यादा में यहीं से सप्लाई होती है। इस प्रोजेक्ट की देखभाल तक नगर निगम नहीं कर पा रहा है। पिछले दिनों गांव खेवड़ा के पास वॉल्व लीक होने से भी कई दिन पेयजल संकट झेलना पड़ा था। वहीं, पिछले सीजन में मोटर के पंखे खराब हो जाने से 10 दिन तक शहर में पेयजल संकट रहा था। जनप्रतिनिधियों का कहना है कि इन चीजों पर ध्यान देने की जरूरत है।
अब वीरवार सुबह पांच बजे पानी की सप्लाई शुरू हुई तो लिवासपुर-जाट जोशी के बीच वॉल्व से फव्वारा फूट पड़ा। करीब 30 फीट ऊपर तक पानी का फव्वारा चलता रहा और पानी बर्बाद होता रहा। सुबह ही अधिकारियों को पता लग गया था, लेकिन शहर में पेयजल सप्लाई करने के लिए जाजल में आपूर्ति बंद नहीं की गई। करीब नौ घंटे तक ट्यूबवेल चलाकर शहर में बूस्टिंग स्टेशनों पर पानी भरा गया। जिसके बाद दोपहर करीब दो बजे के बाद ट्यूबवेल बंद कर वॉल्व को ठीक किया जा सका। इस दौरान काफी पानी बर्बाद हो गया।
फव्वारे के नीचे गाड़ी खड़ी कर नहाते रहे लोग
भीषण गर्मी के बीच सड़क के किनारे चल रहे फव्वरा (रेनीवेल की लाइन से निकल रहे पानी) के नीचे लोग नहाते रहे। यहां तक की गाड़ियों की खिड़की व शीशे बंद कर उन्हें भी फव्वारा के नीचे ही खड़ा कर लिया। लोगों ने गर्मी में ठंड पानी के फव्वारे का जमकर फायदा उठाया।
एयर वॉल्व लीक हो जाने के कारण यह स्थिति पैदा हुई। सूचना मिलने के बाद बूस्टिंग स्टेशनों में पानी भरने के बाद टीम ने इस पर काबू पा लिया। लाइन को चेक कराया जा रहा है। जहां कोई दिक्कत होगी उसे ठीक कराया जाएगा। सतीश कुमार, एसडीओ, नगर निगम।
गांव लिवासपुर-जाट जोशी के पास जाजल रेनीवाल की वॉल्व लीक होने से पेयजल नौ घंटे तक 30 फुट फव्वारा बनकर बर्बाद होता रहा। शहर में पहले से ही पानी की किल्लत बनी हुई है और दूसरी तरफ रेनीवेल प्रोजेक्ट की देखरेख में हो रही लापरवाही से हजारों लीटर पानी व्यर्थ बह गया।
गांव जाजल में पांच साल पहले 100 करोड़ रुपये की लागत से शहर में पेयजल की सप्लाई के लिए रेनीवेल बनाया गया था। पेयजल आपूर्ति के लिए शहर को चार जोन में बांटा है। रेनीवाल से ही ज्यादातर स्थानों पर सप्लाई की जाती है। विभाग की आंकड़ों से देखें तो 54 हजार पेयजल कनेक्शनों में से 45 हजार से ज्यादा में यहीं से सप्लाई होती है। इस प्रोजेक्ट की देखभाल तक नगर निगम नहीं कर पा रहा है। पिछले दिनों गांव खेवड़ा के पास वॉल्व लीक होने से भी कई दिन पेयजल संकट झेलना पड़ा था। वहीं, पिछले सीजन में मोटर के पंखे खराब हो जाने से 10 दिन तक शहर में पेयजल संकट रहा था। जनप्रतिनिधियों का कहना है कि इन चीजों पर ध्यान देने की जरूरत है।
अब वीरवार सुबह पांच बजे पानी की सप्लाई शुरू हुई तो लिवासपुर-जाट जोशी के बीच वॉल्व से फव्वारा फूट पड़ा। करीब 30 फीट ऊपर तक पानी का फव्वारा चलता रहा और पानी बर्बाद होता रहा। सुबह ही अधिकारियों को पता लग गया था, लेकिन शहर में पेयजल सप्लाई करने के लिए जाजल में आपूर्ति बंद नहीं की गई। करीब नौ घंटे तक ट्यूबवेल चलाकर शहर में बूस्टिंग स्टेशनों पर पानी भरा गया। जिसके बाद दोपहर करीब दो बजे के बाद ट्यूबवेल बंद कर वॉल्व को ठीक किया जा सका। इस दौरान काफी पानी बर्बाद हो गया।
फव्वारे के नीचे गाड़ी खड़ी कर नहाते रहे लोग
भीषण गर्मी के बीच सड़क के किनारे चल रहे फव्वरा (रेनीवेल की लाइन से निकल रहे पानी) के नीचे लोग नहाते रहे। यहां तक की गाड़ियों की खिड़की व शीशे बंद कर उन्हें भी फव्वारा के नीचे ही खड़ा कर लिया। लोगों ने गर्मी में ठंड पानी के फव्वारे का जमकर फायदा उठाया।
एयर वॉल्व लीक हो जाने के कारण यह स्थिति पैदा हुई। सूचना मिलने के बाद बूस्टिंग स्टेशनों में पानी भरने के बाद टीम ने इस पर काबू पा लिया। लाइन को चेक कराया जा रहा है। जहां कोई दिक्कत होगी उसे ठीक कराया जाएगा। सतीश कुमार, एसडीओ, नगर निगम।
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