रूठों को मनाने में गुजरी मतदान से पहले की रात


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मतदान से पूर्व की रात प्रत्याशियों और राजनीतिक दलों के लोगों ने रूठों, असंतुष्टों को मनाने में गुजारी। देर रात तक प्रत्याशी और समर्थक डोर टू डोर संपर्क कर पक्ष में वोट देने की अपील करते रहे। इस रात की अहमियत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि चुनाव की पूर्व संध्या पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खुद भी अपने गृह जिले में पहुंच गए हैं। इससे पहले कर्ण लेक पर कई समाज के लोगों ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया।
जिले की जिन चार नगरपालिकाओं में चुनाव हो रहा है, वहां इससे पहले भाजपा का ही वर्चस्व रहा है, इसलिए भाजपा नगरपालिकाओं में सत्ता कायम रखने के लिए एड़ी से चोटी तक का जोर लगा रही है। जिले की प्रमुख नगरपालिका सीट के क्षेत्र में भाजपा के दो प्रांतीय नेता भी रहते हैं, लेकिन वह दोनों चुनाव के दौरान भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन में प्रचार करते एक भी दिन दिखाई नहीं दिए हैं, जबकि उनके खास समर्थक एक अन्य प्रत्याशी के साथ दिखे हैं। निसिंग पालिका में भाजपा के ही दो प्रत्याशियों के दावेदार होने के कारण यहां पार्टी को सिंबल न देने का निर्णय लेना पड़ा था, यहां एक अन्य विधायक के समर्थक का प्रत्याशी चुनाव मैदान में है। एक ऐसी सीट भी है कि जहां एक बिरादरी की बाहुल्यता है, उसी प्रत्याशी का एक निर्दल प्रत्याशी भी खड़ा है। ऐसे में वहां फिजा को अपने पक्ष में करने के लिए भी अलग-अलग पार्टियां जुटी हैं। चुनाव प्रचार के दिनों में सभी प्रत्याशियों को ये मालूम हो गया है कि कौन खुलकर चुनाव लड़ा रहा है और कौन साथ खड़ा नहीं हुआ है। कौन असंतुष्ट है, ऐसे में उनकी सूची तैयार करके बड़े नेताओं व उनके समाज के प्रभाव वाले नेताओं को उन्हें मनाने में लगाया गया है। भाजपा की रणनीति का आलम ये है कि हर सीट पर अलग से प्रभारी हैं जिन्हें संबंधित चुनाव क्षेत्र में ही रात बिताने का निर्देश दिया गया है।
भले ही मुख्यमंत्री ने चुनाव संबंधी कोई बात न की हो या फिर किसी से खुलकर समर्थन न मांगा हो, लेकिन उनके चुनाव की पूर्व संध्या पर जिले में आगमन को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। इसके साथ ही अग्रवाल समाज, पंजाबी बिरादरी आदि विभिन्न समाज के प्रमुख लोगों ने उनसे मुलाकात भी की है, उनका स्वागत भी किया गया है।

मतदान से पूर्व की रात प्रत्याशियों और राजनीतिक दलों के लोगों ने रूठों, असंतुष्टों को मनाने में गुजारी। देर रात तक प्रत्याशी और समर्थक डोर टू डोर संपर्क कर पक्ष में वोट देने की अपील करते रहे। इस रात की अहमियत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि चुनाव की पूर्व संध्या पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खुद भी अपने गृह जिले में पहुंच गए हैं। इससे पहले कर्ण लेक पर कई समाज के लोगों ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया।

जिले की जिन चार नगरपालिकाओं में चुनाव हो रहा है, वहां इससे पहले भाजपा का ही वर्चस्व रहा है, इसलिए भाजपा नगरपालिकाओं में सत्ता कायम रखने के लिए एड़ी से चोटी तक का जोर लगा रही है। जिले की प्रमुख नगरपालिका सीट के क्षेत्र में भाजपा के दो प्रांतीय नेता भी रहते हैं, लेकिन वह दोनों चुनाव के दौरान भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन में प्रचार करते एक भी दिन दिखाई नहीं दिए हैं, जबकि उनके खास समर्थक एक अन्य प्रत्याशी के साथ दिखे हैं। निसिंग पालिका में भाजपा के ही दो प्रत्याशियों के दावेदार होने के कारण यहां पार्टी को सिंबल न देने का निर्णय लेना पड़ा था, यहां एक अन्य विधायक के समर्थक का प्रत्याशी चुनाव मैदान में है। एक ऐसी सीट भी है कि जहां एक बिरादरी की बाहुल्यता है, उसी प्रत्याशी का एक निर्दल प्रत्याशी भी खड़ा है। ऐसे में वहां फिजा को अपने पक्ष में करने के लिए भी अलग-अलग पार्टियां जुटी हैं। चुनाव प्रचार के दिनों में सभी प्रत्याशियों को ये मालूम हो गया है कि कौन खुलकर चुनाव लड़ा रहा है और कौन साथ खड़ा नहीं हुआ है। कौन असंतुष्ट है, ऐसे में उनकी सूची तैयार करके बड़े नेताओं व उनके समाज के प्रभाव वाले नेताओं को उन्हें मनाने में लगाया गया है। भाजपा की रणनीति का आलम ये है कि हर सीट पर अलग से प्रभारी हैं जिन्हें संबंधित चुनाव क्षेत्र में ही रात बिताने का निर्देश दिया गया है।

भले ही मुख्यमंत्री ने चुनाव संबंधी कोई बात न की हो या फिर किसी से खुलकर समर्थन न मांगा हो, लेकिन उनके चुनाव की पूर्व संध्या पर जिले में आगमन को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। इसके साथ ही अग्रवाल समाज, पंजाबी बिरादरी आदि विभिन्न समाज के प्रमुख लोगों ने उनसे मुलाकात भी की है, उनका स्वागत भी किया गया है।

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