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यमुनानगर। नगर निगम यमुनानगर-जगाधरी के विकास कार्यों की सैकड़ों एमबी (मेजरमेंट बुक) और अन्य फाइलें गुम हो चुकी हैं। इसके बाद भी न तो निगम में रिकॉर्ड के प्रबंधन और न ही अफसरों की कार्यप्रणाली में बदलाव हुआ। निगम के रिकॉर्ड से गुम फाइलों के मामले में अफसर थाने में केस दर्ज कर इतिश्री करते नजर आ रहे हैं। इसका खामियाजा आमजन को भुगतना पड़ रहा है। स्थिति यह है कि फाइलें गुम होने से शहर के विकास कार्यों पर असर पड़ रहा है।
गत वर्षों में निगम के विकास कार्यों की सैकड़ों एमबी और अन्य फाइलें गुम हो चुकी हैं। इससे कई विकास कार्य प्रभावित होने के साथ ही सरकारी कामकाज में भी अड़चनें आईं। पार्षदों की मानें तो पुलिस में दी गई शिकायतों में गुम फाइलों की संख्या दर्जनों में हैं, पर असल में सैकड़ों फाइलें निगम से गुम हो चुकी हैं। गुम फाइलों से शहर के कई विकास कार्यों में रोड़ा अटका। क्योंकि फाइलें गुम होने पर टेंडर और वर्क अलॉटमेंट दोबारा करने पड़े। इससे प्रक्रिया में देरी हुई। तीन साल से अधर में लटकी शहर की सबसे बड़ी निकासी परियोजना की फाइल गुम होने से भी लेटलतीफी तय मानी जा रही है। परियोजना के तहत जगाधरी बस स्टैंड से जम्मू कॉलोनी तक डिचड्रेन और स्टॉर्म वाटर ड्रेन का काम 2018 से चल रहा है। इसमें अब बाईपास के समीप रेलवे ट्रैक के पास जमीन का मसला आड़े आ रहा है। कुछ लोग इसे निजी बता रहे हैं जबकि एक बार निशानदेही कर अफसर इसे सरकारी बता चुके हैं, लेकिन अब निशानदेही की फाइल गुम हो चुकी है, जिससे दोबारा निशानदेही करानी पड़ रही है। फाइल गुम होने का 30 अप्रैल को सड़क सुरक्षा कमेटी की बैठक में पता चला, तब मामले में खूब फजीहत हुई। इस पर विधायक घनश्याम दास अरोड़ा ने भी नाराजगी जताई। बावजूद इसके निगम में रिकॉर्ड के प्रबंधन पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। निगम के यमुनानगर कार्यालय में रिकॉर्ड की सुरक्षा और प्रबंधन का शुक्रवार को जायजा लिया गया तो हालात खराब दिखे। यहां प्रॉपर्टी टैक्स के बाहर रेंट ब्रांच के साथ शोकेस में रिकॉर्ड रद्दी जैसे लावारिस हाल में दिखे। खुले में होने से रिकॉर्ड की फाइलें व अन्य दस्तावेज पीले पड़े नजर आए। ऐसा ही नजारा नीचे सभागार के बाहर अलमारी के ऊपर रखे रिकॉर्ड का था। प्रॉपर्टी टैक्स ब्रांच में तो टेबिल व रैक पर फाइलें रखी मिली, जिन्हें स्टाफ के अलावा यहां आते-जाते लोग भी उठाते और बाहर ले जाते दिखे।
पार्षद ही उठा रहे सवाल
पार्षद विनोद मरवाह और पार्षद प्रतिनिधि नीरज राणा ने कहा कि यमुनानगर सहित जगाधरी व कन्हैया साहिब चौक के समीप बने निगम कार्यालयों में ज्यादातर ब्रांच दफ्तर में रिकॉर्ड का रखरखाव सही नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि कई एमबी व अन्य फाइलें मनमानी से किए कामों में कार्रवाई से बचने को गायब कर दी जाती हैं। क्योंकि एमबी बुक गुम होने पर उसमें दिया ब्यौरा व मौके पर हुए काम का मिलान सहित उसमें कमी पर कार्रवाई में दिक्कत आती है।
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वर्जन
निगम के रिकॉर्ड के सही रखरखाव और प्रबंधन के लिए सभी ब्रांच अफसरों व कर्मचारियों को दिशा निर्देश देंगे। इसे लेकर ब्रांच दफ्तरों का निरीक्षण भी करेंगे।
-मदन चौहान, मेयर, नगर निगम।
यमुनानगर। नगर निगम यमुनानगर-जगाधरी के विकास कार्यों की सैकड़ों एमबी (मेजरमेंट बुक) और अन्य फाइलें गुम हो चुकी हैं। इसके बाद भी न तो निगम में रिकॉर्ड के प्रबंधन और न ही अफसरों की कार्यप्रणाली में बदलाव हुआ। निगम के रिकॉर्ड से गुम फाइलों के मामले में अफसर थाने में केस दर्ज कर इतिश्री करते नजर आ रहे हैं। इसका खामियाजा आमजन को भुगतना पड़ रहा है। स्थिति यह है कि फाइलें गुम होने से शहर के विकास कार्यों पर असर पड़ रहा है।
गत वर्षों में निगम के विकास कार्यों की सैकड़ों एमबी और अन्य फाइलें गुम हो चुकी हैं। इससे कई विकास कार्य प्रभावित होने के साथ ही सरकारी कामकाज में भी अड़चनें आईं। पार्षदों की मानें तो पुलिस में दी गई शिकायतों में गुम फाइलों की संख्या दर्जनों में हैं, पर असल में सैकड़ों फाइलें निगम से गुम हो चुकी हैं। गुम फाइलों से शहर के कई विकास कार्यों में रोड़ा अटका। क्योंकि फाइलें गुम होने पर टेंडर और वर्क अलॉटमेंट दोबारा करने पड़े। इससे प्रक्रिया में देरी हुई। तीन साल से अधर में लटकी शहर की सबसे बड़ी निकासी परियोजना की फाइल गुम होने से भी लेटलतीफी तय मानी जा रही है। परियोजना के तहत जगाधरी बस स्टैंड से जम्मू कॉलोनी तक डिचड्रेन और स्टॉर्म वाटर ड्रेन का काम 2018 से चल रहा है। इसमें अब बाईपास के समीप रेलवे ट्रैक के पास जमीन का मसला आड़े आ रहा है। कुछ लोग इसे निजी बता रहे हैं जबकि एक बार निशानदेही कर अफसर इसे सरकारी बता चुके हैं, लेकिन अब निशानदेही की फाइल गुम हो चुकी है, जिससे दोबारा निशानदेही करानी पड़ रही है। फाइल गुम होने का 30 अप्रैल को सड़क सुरक्षा कमेटी की बैठक में पता चला, तब मामले में खूब फजीहत हुई। इस पर विधायक घनश्याम दास अरोड़ा ने भी नाराजगी जताई। बावजूद इसके निगम में रिकॉर्ड के प्रबंधन पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। निगम के यमुनानगर कार्यालय में रिकॉर्ड की सुरक्षा और प्रबंधन का शुक्रवार को जायजा लिया गया तो हालात खराब दिखे। यहां प्रॉपर्टी टैक्स के बाहर रेंट ब्रांच के साथ शोकेस में रिकॉर्ड रद्दी जैसे लावारिस हाल में दिखे। खुले में होने से रिकॉर्ड की फाइलें व अन्य दस्तावेज पीले पड़े नजर आए। ऐसा ही नजारा नीचे सभागार के बाहर अलमारी के ऊपर रखे रिकॉर्ड का था। प्रॉपर्टी टैक्स ब्रांच में तो टेबिल व रैक पर फाइलें रखी मिली, जिन्हें स्टाफ के अलावा यहां आते-जाते लोग भी उठाते और बाहर ले जाते दिखे।
पार्षद ही उठा रहे सवाल
पार्षद विनोद मरवाह और पार्षद प्रतिनिधि नीरज राणा ने कहा कि यमुनानगर सहित जगाधरी व कन्हैया साहिब चौक के समीप बने निगम कार्यालयों में ज्यादातर ब्रांच दफ्तर में रिकॉर्ड का रखरखाव सही नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि कई एमबी व अन्य फाइलें मनमानी से किए कामों में कार्रवाई से बचने को गायब कर दी जाती हैं। क्योंकि एमबी बुक गुम होने पर उसमें दिया ब्यौरा व मौके पर हुए काम का मिलान सहित उसमें कमी पर कार्रवाई में दिक्कत आती है।
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वर्जन
निगम के रिकॉर्ड के सही रखरखाव और प्रबंधन के लिए सभी ब्रांच अफसरों व कर्मचारियों को दिशा निर्देश देंगे। इसे लेकर ब्रांच दफ्तरों का निरीक्षण भी करेंगे।
-मदन चौहान, मेयर, नगर निगम।
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