राजस्थान: बेरोजगारी पर राहुल गांधी का ये आइडिया कितना मानेगी मोदी सरकार? गहलोत की ये स्कीम देगी रोजगार


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देश में बढ़ती बेरोजगारी और युवाओं के लिए नौकरियों के संकट के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार को एक मॉडल सुझाया है। गांधी का कहना है कि देश में बेरोजगारी ने रिकॉर्ड तोड़ दिया है। गांव के साथ-साथ शहरों में भी बेरोजगारी से तबाही मच चुकी है। 45 करोड़ से ज़्यादा लोग नौकरी पाने की उम्मीद ही छोड़ चुके हैं। शहरों में बढ़ रही बेरोज़गारी को दूर करने के लिए राजस्थान की कांग्रेस सरकार इंदिरा गांधी शहरी रोज़गार गारंटी योजना लेकर लाई है। इसमें शहरों के शहरों के ज़रूरतमंद परिवारों को मिलेगी 100 दिन के रोजगार की गारंटी मिलेगी। केंद्र सरकार को देश के सभी शहरों इलाकों में ये योजना लागू करना चाहिए।

अमर उजाला से चर्चा में किसान मजदूर शक्ति संगठन के संस्थापक सदस्य और मनरेगा जैसी योजनाओं पर नजर रखने वाले निखिल डे कहते हैं कि देश में ऐसी कोई योजना नहीं जो बेरोजगारी को खत्म करती है। जहां तक बात मनरेगा और इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना की है, तो यह स्कीम बेरोजगारी का अस्थाई इलाज करती है। इन योजनाओं के तहत लोगों के काम करने की सीमा तय की गई, लेकिन आज लोगों को वर्षभर रोजगार की आवश्यकता होती है। जिससे वह अपना और परिवार का पेट पाल सके। लेकिन इस तरह की स्कीम लोगों को राहत देने का काम जरूर करती है। आज शहरों में लोगों को 10 से 15 दिन की मजदूरी मिलती है। बाकि दिन वो खाली बैठे रहते है। ऐसे में शहरी बेरोजगारों के लिए यह स्कीम अच्छी साबित होगी। लेकिन इससे बेरोजगारी खत्म होने वाली नहीं है।

सामाजिक कार्यकर्ता डे कहते हैं कि राजस्थान के अलावा ओडिशा, केरल, हिमाचल प्रदेश और तमिलनाडु में शहरी बेरोजगार लोगों के लिए इस तरह की स्कीम चल रही है। लेकिन राजस्थान पहला ऐसा प्रदेश जहां इस स्कीम के लिए वर्षभर के लिए 800 करोड़ रुपये का फंड रखा गया है। बाकी सभी राज्यों में इसके लिए केवल 80 करोड़ साल का फंड रखा गया है। राजस्थान में जिस तरह से फंड ज्यादा रखा गया है। इससे उम्मीद लगाई जा रही है कि यह स्कीम जमीन पर उतर सकेगी और इसका लाभ शहरी बेरोजगार लोगों को मिलेगा।  

बेरोजगारी पर यह कहते है हालिया आंकड़े

देश में रोजगार के मोर्चे पर चुनौतियां बढ़ती दिख रही हैं। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की जनवरी 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर 2021 तक भारत में बेरोजगार लोगों की संख्या 5.3 करोड़ रही। इनमें महिलाओं की संख्या 1.7 करोड़ है। घर बैठे लोगों में उनकी संख्या अधिक है, जो लगातार काम खोजने का प्रयास कर रहे हैं। सीएमआईई के अनुसार, लगातार काम की तलाश करने के बाद भी बेरोजगार बैठे लोगों का बड़ा आंकड़ा चिंताजनक है।

रिपोर्ट के अनुसार, कुल 5.3 करोड़ बेरोजगार लोगों में से 3.5 करोड़ लोग लगातार काम खोज रहे हैं। इनमें करीब 80 लाख महिलाएं शामिल हैं। बाकी के 1.7 करोड़ बेरोजगार काम तो करना चाहते हैं, पर वे एक्टिव होकर काम की तलाश नहीं कर रहे हैं। ऐसे बेरोजगारों में 53 फीसदी यानी 90 लाख महिलाएं शामिल हैं। वर्ल्ड बैंक के हिसाब से वैश्विक स्तर पर रोजगार मिलने की दर महामारी से पहले 58 फीसदी थी, जबकि कोविड के आने के बाद 2020 में दुनिया भर में 55 फीसदी लोगों को रोजगार मिल पा रहा था। दूसरी ओर भारत में सिर्फ 43 फीसदी लोग ही रोजगार पाने में सफल हो रहे थे। सीएमआईई के हिसाब से भारत में रोजगार मिलने की दर और कम है। संस्थान का मानना है कि भारत में सिर्फ 38 फीसदी लोगों को ही रोजगार मिल पा रहा है।

क्या है गहलोत सरकार की इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना

दरअसल, राजस्थान की कांग्रेस सरकार शहर के बेरोजगार युवाओं के लिए इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना स्कीम लेकर आई है। सरकार ने बजट 2022-23 में इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना के तहत शहरी क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों को प्रति वर्ष 100 दिनों के लिए रोजगार देने की घोषणा की थी। सरकार इस महत्वाकांक्षी योजना पर राज्य सरकार हर साल 800 करोड़ रुपये खर्च करेगी।

इस योजना को लेकर सीएम गहलोत ने कहना है कि इस स्कीम के तहत स्थानीय निकाय क्षेत्र में रहने वाले 18 वर्ष से 60 वर्ष की आयु के सदस्यों का जन आधार कार्ड के आधार पर पंजीयन किया जाएगा। इस योजना में अनुमत कार्य करवाने के लिए राज्य/जिला/निकाय स्तर पर समितियों के माध्यम से कार्य स्वीकृत और निष्पादित कराया जाएगा। इसमें सामान्य कार्य स्वीकृत और निष्पादित कराने की सामग्री लागत और पारिश्रमिक लागत का अनुपात 25:75 होगा। वहीं विशेष प्रकृति के कार्यों के लिए सामग्री लागत और पारिश्रमिक भुगतान का अनुपात 75:25 होगा। मनरेगा के तहत 15 दिनों के अंदर मजदूरों के बैंक खातों में कार्यों का भुगतान कर दिया जाएगा। इसके अलावा योजना में शिकायतों के निवारण एवं सोशल ऑडिटिंग के प्रावधान के साथ-साथ श्रमिकों को कार्यस्थल पर सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।

निकाय स्तर पर एक योजना पर काम-सीएम

सीएम ने कहा कि योजना को चलाने के लिए स्थानीय निकाय विभाग या निकाय के स्तर पर एक योजना पर काम किया जाएगा, जिसमें विभिन्न अधिकारियों/कर्मियों को प्रतिनियुक्ति/संविदा पर नियुक्त किया जाएगा। आपको बता दें कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार प्रदान करने के लिए शुरू की गई थी। उसी तर्ज पर यह योजना शहरी क्षेत्रों में रोजगार प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई है।

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देश में बढ़ती बेरोजगारी और युवाओं के लिए नौकरियों के संकट के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार को एक मॉडल सुझाया है। गांधी का कहना है कि देश में बेरोजगारी ने रिकॉर्ड तोड़ दिया है। गांव के साथ-साथ शहरों में भी बेरोजगारी से तबाही मच चुकी है। 45 करोड़ से ज़्यादा लोग नौकरी पाने की उम्मीद ही छोड़ चुके हैं। शहरों में बढ़ रही बेरोज़गारी को दूर करने के लिए राजस्थान की कांग्रेस सरकार इंदिरा गांधी शहरी रोज़गार गारंटी योजना लेकर लाई है। इसमें शहरों के शहरों के ज़रूरतमंद परिवारों को मिलेगी 100 दिन के रोजगार की गारंटी मिलेगी। केंद्र सरकार को देश के सभी शहरों इलाकों में ये योजना लागू करना चाहिए।

अमर उजाला से चर्चा में किसान मजदूर शक्ति संगठन के संस्थापक सदस्य और मनरेगा जैसी योजनाओं पर नजर रखने वाले निखिल डे कहते हैं कि देश में ऐसी कोई योजना नहीं जो बेरोजगारी को खत्म करती है। जहां तक बात मनरेगा और इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना की है, तो यह स्कीम बेरोजगारी का अस्थाई इलाज करती है। इन योजनाओं के तहत लोगों के काम करने की सीमा तय की गई, लेकिन आज लोगों को वर्षभर रोजगार की आवश्यकता होती है। जिससे वह अपना और परिवार का पेट पाल सके। लेकिन इस तरह की स्कीम लोगों को राहत देने का काम जरूर करती है। आज शहरों में लोगों को 10 से 15 दिन की मजदूरी मिलती है। बाकि दिन वो खाली बैठे रहते है। ऐसे में शहरी बेरोजगारों के लिए यह स्कीम अच्छी साबित होगी। लेकिन इससे बेरोजगारी खत्म होने वाली नहीं है।

सामाजिक कार्यकर्ता डे कहते हैं कि राजस्थान के अलावा ओडिशा, केरल, हिमाचल प्रदेश और तमिलनाडु में शहरी बेरोजगार लोगों के लिए इस तरह की स्कीम चल रही है। लेकिन राजस्थान पहला ऐसा प्रदेश जहां इस स्कीम के लिए वर्षभर के लिए 800 करोड़ रुपये का फंड रखा गया है। बाकी सभी राज्यों में इसके लिए केवल 80 करोड़ साल का फंड रखा गया है। राजस्थान में जिस तरह से फंड ज्यादा रखा गया है। इससे उम्मीद लगाई जा रही है कि यह स्कीम जमीन पर उतर सकेगी और इसका लाभ शहरी बेरोजगार लोगों को मिलेगा।  

बेरोजगारी पर यह कहते है हालिया आंकड़े

देश में रोजगार के मोर्चे पर चुनौतियां बढ़ती दिख रही हैं। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की जनवरी 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर 2021 तक भारत में बेरोजगार लोगों की संख्या 5.3 करोड़ रही। इनमें महिलाओं की संख्या 1.7 करोड़ है। घर बैठे लोगों में उनकी संख्या अधिक है, जो लगातार काम खोजने का प्रयास कर रहे हैं। सीएमआईई के अनुसार, लगातार काम की तलाश करने के बाद भी बेरोजगार बैठे लोगों का बड़ा आंकड़ा चिंताजनक है।

रिपोर्ट के अनुसार, कुल 5.3 करोड़ बेरोजगार लोगों में से 3.5 करोड़ लोग लगातार काम खोज रहे हैं। इनमें करीब 80 लाख महिलाएं शामिल हैं। बाकी के 1.7 करोड़ बेरोजगार काम तो करना चाहते हैं, पर वे एक्टिव होकर काम की तलाश नहीं कर रहे हैं। ऐसे बेरोजगारों में 53 फीसदी यानी 90 लाख महिलाएं शामिल हैं। वर्ल्ड बैंक के हिसाब से वैश्विक स्तर पर रोजगार मिलने की दर महामारी से पहले 58 फीसदी थी, जबकि कोविड के आने के बाद 2020 में दुनिया भर में 55 फीसदी लोगों को रोजगार मिल पा रहा था। दूसरी ओर भारत में सिर्फ 43 फीसदी लोग ही रोजगार पाने में सफल हो रहे थे। सीएमआईई के हिसाब से भारत में रोजगार मिलने की दर और कम है। संस्थान का मानना है कि भारत में सिर्फ 38 फीसदी लोगों को ही रोजगार मिल पा रहा है।

क्या है गहलोत सरकार की इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना

दरअसल, राजस्थान की कांग्रेस सरकार शहर के बेरोजगार युवाओं के लिए इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना स्कीम लेकर आई है। सरकार ने बजट 2022-23 में इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना के तहत शहरी क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों को प्रति वर्ष 100 दिनों के लिए रोजगार देने की घोषणा की थी। सरकार इस महत्वाकांक्षी योजना पर राज्य सरकार हर साल 800 करोड़ रुपये खर्च करेगी।

इस योजना को लेकर सीएम गहलोत ने कहना है कि इस स्कीम के तहत स्थानीय निकाय क्षेत्र में रहने वाले 18 वर्ष से 60 वर्ष की आयु के सदस्यों का जन आधार कार्ड के आधार पर पंजीयन किया जाएगा। इस योजना में अनुमत कार्य करवाने के लिए राज्य/जिला/निकाय स्तर पर समितियों के माध्यम से कार्य स्वीकृत और निष्पादित कराया जाएगा। इसमें सामान्य कार्य स्वीकृत और निष्पादित कराने की सामग्री लागत और पारिश्रमिक लागत का अनुपात 25:75 होगा। वहीं विशेष प्रकृति के कार्यों के लिए सामग्री लागत और पारिश्रमिक भुगतान का अनुपात 75:25 होगा। मनरेगा के तहत 15 दिनों के अंदर मजदूरों के बैंक खातों में कार्यों का भुगतान कर दिया जाएगा। इसके अलावा योजना में शिकायतों के निवारण एवं सोशल ऑडिटिंग के प्रावधान के साथ-साथ श्रमिकों को कार्यस्थल पर सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।

निकाय स्तर पर एक योजना पर काम-सीएम

सीएम ने कहा कि योजना को चलाने के लिए स्थानीय निकाय विभाग या निकाय के स्तर पर एक योजना पर काम किया जाएगा, जिसमें विभिन्न अधिकारियों/कर्मियों को प्रतिनियुक्ति/संविदा पर नियुक्त किया जाएगा। आपको बता दें कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार प्रदान करने के लिए शुरू की गई थी। उसी तर्ज पर यह योजना शहरी क्षेत्रों में रोजगार प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई है।

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