रजिस्टरी में वसूली, बिचौलिये पर केस दर्ज


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कैथल। तहसील में रजिस्टरी के नाम पर एक व्यक्ति से 60 हजार रुपये अधिक लिए जाने का मामला सामने आया है। शिकायत के आधार पर पुलिस ने बिचौलिये के खिलाफ केस दर्ज किया है, जबकि तहसीलदार और रजिस्टरी क्लर्क की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।
राज्यपाल को भेजी शिकायत में रजनी कालोनी कैथल निवासी रोहताश ने बताया कि उसने दिसंबर 2021 मे अपने घर के पास ही रजनी कालोनी कैथल में रकबा-313 गज का एक प्लाट ताऊ के लड़के संग मिलकर खरीदा था। उसने तहसीलदार से कागजात दिखाकर रजिस्टरी की बात की तो कहा गया कि इस खेवट की रजिस्टरी बंद है। इसके बाद जब वह बाहर आया तो उसे अर्जन नवीश सतीश मित्तल मिला, जो उसे अपनी सीट पर ले गया। वहां अर्जन नवीश सतीश मित्तल ने उसके कागजात देखकर बताया कि इस रजिस्टरी पर दो लाख रुपये खर्च आएगा। उसने बताया कि 1,25000 रुपये स्टांप ड्यूटी और शेष तहसील में खर्च होंगे।
दो-तीन हजार रुपये उसने खुद की फीस बताई। इसके बाद उसने उक्त अर्जन नवीश को एक लाख 90,000 रुपये दे दिए। 21 दिसंबर 2021 को उसकी रजिस्टरी करवा दी गई। आरोप है कि उसके सामने ही एक सफेद लिफाफा तहसीलदार को दिया गया, जिसके बाद ही रजिस्टरी हुई। बाद में उसे पता चला कि उससे 60 हजार रुपये रजिस्टरी के ज्यादा लिए गए हैं। उसने उक्त अर्जन नवीस को फोन किया तो उसने 12 हजार रुपये और मांगे। उसने कहा कि 55,000 रुपये तो तहसीलदार के थे और पांच हजार रुपये रजिस्टरी क्लर्क के थे।
आरोप है कि अर्जन नवीश, तहसीलदार और रजिस्टरी क्लर्क ने उसके साथ 60 हजार रुपये की धोखाधड़ी की है। शिकायतकर्ता ने सतीश मित्तल, तहसीलदार और रजिस्टरी क्लर्क के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। इस संबंध में एसपी मकसूद अहमद ने कहा कि तहसीलदार के नाम से पैसे लेने की बात सामने आई है। उसमें बिचौलिये अर्जन नवीस के खिलाफ भ्रष्टाचार एक्ट की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया गया है। तहसीलदार के खिलाफ केस दर्ज नहीं किया गया है। इस संबंध में तहसीलदार सुदेश मेहरा ने कहा कि उन्होंने किसी से कोई पैसे नहीं लिए। नियमानुसार रजिस्टरी की जाती है। यदि किसी व्यक्ति ने उनके नाम से पैसे लिए हैं तो उनकी जानकारी में नहीं है।

कैथल। तहसील में रजिस्टरी के नाम पर एक व्यक्ति से 60 हजार रुपये अधिक लिए जाने का मामला सामने आया है। शिकायत के आधार पर पुलिस ने बिचौलिये के खिलाफ केस दर्ज किया है, जबकि तहसीलदार और रजिस्टरी क्लर्क की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।

राज्यपाल को भेजी शिकायत में रजनी कालोनी कैथल निवासी रोहताश ने बताया कि उसने दिसंबर 2021 मे अपने घर के पास ही रजनी कालोनी कैथल में रकबा-313 गज का एक प्लाट ताऊ के लड़के संग मिलकर खरीदा था। उसने तहसीलदार से कागजात दिखाकर रजिस्टरी की बात की तो कहा गया कि इस खेवट की रजिस्टरी बंद है। इसके बाद जब वह बाहर आया तो उसे अर्जन नवीश सतीश मित्तल मिला, जो उसे अपनी सीट पर ले गया। वहां अर्जन नवीश सतीश मित्तल ने उसके कागजात देखकर बताया कि इस रजिस्टरी पर दो लाख रुपये खर्च आएगा। उसने बताया कि 1,25000 रुपये स्टांप ड्यूटी और शेष तहसील में खर्च होंगे।

दो-तीन हजार रुपये उसने खुद की फीस बताई। इसके बाद उसने उक्त अर्जन नवीश को एक लाख 90,000 रुपये दे दिए। 21 दिसंबर 2021 को उसकी रजिस्टरी करवा दी गई। आरोप है कि उसके सामने ही एक सफेद लिफाफा तहसीलदार को दिया गया, जिसके बाद ही रजिस्टरी हुई। बाद में उसे पता चला कि उससे 60 हजार रुपये रजिस्टरी के ज्यादा लिए गए हैं। उसने उक्त अर्जन नवीस को फोन किया तो उसने 12 हजार रुपये और मांगे। उसने कहा कि 55,000 रुपये तो तहसीलदार के थे और पांच हजार रुपये रजिस्टरी क्लर्क के थे।

आरोप है कि अर्जन नवीश, तहसीलदार और रजिस्टरी क्लर्क ने उसके साथ 60 हजार रुपये की धोखाधड़ी की है। शिकायतकर्ता ने सतीश मित्तल, तहसीलदार और रजिस्टरी क्लर्क के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। इस संबंध में एसपी मकसूद अहमद ने कहा कि तहसीलदार के नाम से पैसे लेने की बात सामने आई है। उसमें बिचौलिये अर्जन नवीस के खिलाफ भ्रष्टाचार एक्ट की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया गया है। तहसीलदार के खिलाफ केस दर्ज नहीं किया गया है। इस संबंध में तहसीलदार सुदेश मेहरा ने कहा कि उन्होंने किसी से कोई पैसे नहीं लिए। नियमानुसार रजिस्टरी की जाती है। यदि किसी व्यक्ति ने उनके नाम से पैसे लिए हैं तो उनकी जानकारी में नहीं है।

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