मूसेवाला हत्याकांड: कभी बेहतरीन पहलवान था प्रियव्रत, सेना में स्वर्ण पदक जीत बना सूबेदार, पढ़िए शार्प शूटर बनने की कहानी


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हरियाणा के सोनीपत के गांव गढ़ी सिसाना का प्रतिभावान पहलवान प्रियव्रत देश सेवा के लिए फौज में भर्ती हुआ था। अनुशासित फौजी ने अचानक जुर्म की दुनिया में ऐसा कदम रखा कि उसकी गिरफ्तारी पर पुलिस को 25 हजार रुपये का इनाम रखना पड़ा। रामकरण बैंयापुर की दोस्ती ने उसको महज सात साल में अपराध की दुनिया में ऐसी जगह लाकर खड़ा कर दिया कि हरियाणा के साथ ही पंजाब, दिल्ली व राजस्थान पुलिस भी उसके पीछे पड़ गई। अब दिल्ली पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया है। 

गांव गढ़ी सिसाना निवासी प्रियव्रत कुश्ती का बेहतरीन पहलवान था। पिता जयभगवान और माता संतोष को उससे काफी उम्मीद थी। ग्रामीण भी उस पर नाज करते थे। उसने प्रतियोगी परीक्षा उत्तीर्ण कर अपना चयन वर्ष 2013 में सेना में कराया था। उसे महाराष्ट्र के पूना स्थित सेना विद्यालय में नियुक्ति मिली थी। सेना विद्यालय में प्रियव्रत पहलवानी करने लगा। वह वहां अन्य को भी कुश्ती के गुर सीखाने लगा। वहीं से दसवीं कक्षा भी उत्तीर्ण की।

कुश्ती में 2015 में जीता था स्वर्ण पदक

सिपाही के पद पर रहते हुए उसने सेना की कुश्ती प्रतियोगिता में वर्ष 2015 में स्वर्ण पदक जीता था। इसके साथ ही उसको सेना में सूबेदार के पद पर पदोन्नत कर दिया गया था। स्वर्ण पदक जीतने के बाद उसे सेना से एक माह की छुट्टी मिली थी। सेना में स्वर्ण पदक जीतकर व सूबेदार बनकर गांव में लौटे प्रियव्रत का गर्मजोशी से स्वागत किया गया था। 

 
रुखी की हत्या के बाद अपराध की दलदल में चला गया होनहार पहलवान

जुलाई, 2015 में उसने अपने साथियों मंजीत व मोनू डागर के साथ मिलकर रुखी गांव की हत्या कर दी थी। बस उसके बाद प्रियव्रत की जिंदगी बदल गई। एक होनहार पहलवान व सेना का जवान अपराध की दलदल में चला गया। बाद में उसकी दोस्ती कुख्यात रामकरण बैंयापुर से हो गई। उसके बाद प्रियव्रत ने अपराध जगत की ऐसी राह पकड़ी कि वापस मुड़कर नहीं देखा। 

 
रामकरण गैंग का बना शार्प शूटर

वह रामकरण गैंग का शार्प-शूटर बन गया। वहां से लॉरेंस बिश्नोई गैंग के राजू बसौदी और काला जठेड़ी से भी उसके  संपर्क हो गए। वह हत्या समेत 12 आपराधिक मुकदमों में नामजद रहा है। सिद्धू मूसेवाला की हत्या के मामले में पंजाब पुलिस उसे तलाश कर रही थी। उसे अब दिल्ली पुलिस ने गुजरात से गिरफ्तार किया है। 

 
कृष्ण बरोणा की हत्या के बाद से गांव में नहीं दिखा प्रियव्रत 

ग्रामीणों का कहना है कि कुख्यात बिट्टू बरोणा के पिता कृष्ण की हत्या में नाम आने के बाद से वह गांव नहीं लौटा है। प्रियव्रत की मां संतोष देवी बार-बार यही दोहराती हैं कि अपराध की दुनिया छोडने को उसको कितना समझाया, लेकिन वह समय रहते समझ नहीं पाया।

 
पंजाब और सोनीपत को थी तलाश

कृख्यात प्रियव्रत की गिरफ्तारी पर सोनीपत पुलिस ने 25 हजार का इनाम घोषित किया था। उस पर 3 जून को कृष्ण बरोणा की हत्या के मामले में 25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया था। उसकी तलाश को पंजाब के साथ ही सोनीपत पुलिस ने भी उसकी तलाश को गांव में दबिश दी थी, लेकिन वह हाथ नहीं लगा था। 

 
मूसेवाला हत्याकांड में पूछताछ होगी

कुख्यात प्रियव्रत सोनीपत के बरोणा में हुई कृष्ण की हत्या की हत्या के मामले में फरार चल रहा था। अब सोनीपत पुलिस उसे प्रोडक्शन वारंट पर लेकर पूछताछ करेगी। इसके लिए अभी पुलिस को इंतजार करना पड़ेगा। पहले उससे मूसेवाला हत्याकांड में पूछताछ होगी। उसके बाद अन्य मामलों में पूछताछ के बाद ही उसे सोनीपत लाया जा सकेगा।

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हरियाणा के सोनीपत के गांव गढ़ी सिसाना का प्रतिभावान पहलवान प्रियव्रत देश सेवा के लिए फौज में भर्ती हुआ था। अनुशासित फौजी ने अचानक जुर्म की दुनिया में ऐसा कदम रखा कि उसकी गिरफ्तारी पर पुलिस को 25 हजार रुपये का इनाम रखना पड़ा। रामकरण बैंयापुर की दोस्ती ने उसको महज सात साल में अपराध की दुनिया में ऐसी जगह लाकर खड़ा कर दिया कि हरियाणा के साथ ही पंजाब, दिल्ली व राजस्थान पुलिस भी उसके पीछे पड़ गई। अब दिल्ली पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया है। 

गांव गढ़ी सिसाना निवासी प्रियव्रत कुश्ती का बेहतरीन पहलवान था। पिता जयभगवान और माता संतोष को उससे काफी उम्मीद थी। ग्रामीण भी उस पर नाज करते थे। उसने प्रतियोगी परीक्षा उत्तीर्ण कर अपना चयन वर्ष 2013 में सेना में कराया था। उसे महाराष्ट्र के पूना स्थित सेना विद्यालय में नियुक्ति मिली थी। सेना विद्यालय में प्रियव्रत पहलवानी करने लगा। वह वहां अन्य को भी कुश्ती के गुर सीखाने लगा। वहीं से दसवीं कक्षा भी उत्तीर्ण की।

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