मुफीद थी साइकिल की सवारी मगर निगम ने भुलाई


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करनाल। स्मार्ट सिटी में कुछ साल पहले साझी साइकिल योजना की शुरुआत की गई थी, लेकिन कोरोना काल में यह बंद क्या हुई, नगर निगम ने इसे भुला ही दिया। अब जगह भी है, स्टैंड भी हैं, लेकिन सैकड़ों साइकिलें यूं ही खराब हो रही हैं।
क र्ण नगरी में आने वाले लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए रिक्शा या ऑटो का इंतजार न करने पड़े, इसलिए निगम ने शहर में साझी साइकिल योजना शुरू की गई थी। कुछ शुल्क देकर शहर में साइकिल से अपने कार्यों को निपटाने के बाद फिर स्टैंड पर खड़ा करके जाना होता था। इसके लिए शहर में कई साइकिल स्टैंड बनाए गए थे। खास बात यह थी कि साइकिल को लेकर युवाओं और बच्चों में काफी क्रेज था। अब योजना को फिर से शुरू करने में भी निगम की कोई रुचि नहीं है।
ऐसे कराया जाता था रजिस्ट्रेशन
रजिस्ट्रेशन के लिए फार्म भरने के बाद 100 रुपये फीस जमा कराई जाती थी, मेट्रो की तर्ज पर कार्ड दिया जाता था। योजना का लाभ उठाने के लिए 100 रुपये साझे वालेट में अलग से जमा करवाने होते थे। योजना पूरी तरह से कंप्यूटराइज्ड थी। मशीन में कार्ड स्वैप करते ही ग्रीन सिग्नल मिलता था और साइकिल के साथ ही अलग से एक कार्ड सौंप दिया जाता था। साइकिल जमा करवाते समय यह वापस देना होता था।
डीसी को कराया अवगत
कैश बताते हैं कि साझी साइकिल योजना से उन्हें काफी फायदा हो रहा था, उनके पास अपना वाहन नहीं है। वह पानीपत से करनाल कॉलेज पढ़ने आता है। ऐसे में उसे कभी किसी काम से शहर में जाना होता था तो साइकिल का प्रयोग करता था। इससे समय पर उस स्थान पर पहुंच जाता था। कुछ दिन पहले कॉलेज में उपायुक्त पहुंचे थे, उनके सामने भी इस विषय को रखा था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
कम होता गया उत्साह
शुभम ने बताया कि साझी साइकिल योजना की शुरूआत अच्छे मकसद से की गई थी। काफी लोगों को इसका लाभ हो रहा था, इसके लिए स्टैंड भी ऐसी जगह बनाए गए थे, जहां उनका उपयोग ज्यादा से ज्यादा हो सकता था। योजना के शुरूआती दिनों से लोग जुड़ने शुरू भी हो गए थे। धीरे-धीरे लोगों का उत्साह कम होता गया, गिनती के लोग साइकि ल का इस्तेमाल करने वाले रह गए।
पेट्रोल की बचत
विकास ने बताया कि साझी साइकिल योजना का उन्हें लाभ मिलता था। इस योजना के तहत रजिस्ट्रेशन कराने पर नाममात्र का शुल्क देकर पूरे करनाल में साइकिल पर घूम सकते थे और अपना कोई भी कार्य करवा सक ते थे। साइकिल का इस्तेमाल करने से प्रतिदिन सैकड़ाें लीटर पेट्रोल की खपत भी कम होती है और पर्यावरण प्रदूषित होने से बचा रहता है।
फिट रहने में मददगार
अमन ने बताया कि चाहे शहर में किसी कार्य से जाने के लिए जरूरत हो या फिट रहने के लिए साइकि लिंग करनी हो, सांझी साइकिल योजना से काफी मदद मिल रही थी। शुरू में तो लोग उत्साह के साथ जुड़े, लेकिन धीरे-धीरे योजना में दिलचस्पी घटने लगी। इस योजना क ो फिर से शुरू किया जाना चाहिए, क्योंकि शहर में आवाजाही के लिए ऑटो लेने पर बीस रुपये किराया लगता है।

करनाल। स्मार्ट सिटी में कुछ साल पहले साझी साइकिल योजना की शुरुआत की गई थी, लेकिन कोरोना काल में यह बंद क्या हुई, नगर निगम ने इसे भुला ही दिया। अब जगह भी है, स्टैंड भी हैं, लेकिन सैकड़ों साइकिलें यूं ही खराब हो रही हैं।

क र्ण नगरी में आने वाले लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए रिक्शा या ऑटो का इंतजार न करने पड़े, इसलिए निगम ने शहर में साझी साइकिल योजना शुरू की गई थी। कुछ शुल्क देकर शहर में साइकिल से अपने कार्यों को निपटाने के बाद फिर स्टैंड पर खड़ा करके जाना होता था। इसके लिए शहर में कई साइकिल स्टैंड बनाए गए थे। खास बात यह थी कि साइकिल को लेकर युवाओं और बच्चों में काफी क्रेज था। अब योजना को फिर से शुरू करने में भी निगम की कोई रुचि नहीं है।

ऐसे कराया जाता था रजिस्ट्रेशन

रजिस्ट्रेशन के लिए फार्म भरने के बाद 100 रुपये फीस जमा कराई जाती थी, मेट्रो की तर्ज पर कार्ड दिया जाता था। योजना का लाभ उठाने के लिए 100 रुपये साझे वालेट में अलग से जमा करवाने होते थे। योजना पूरी तरह से कंप्यूटराइज्ड थी। मशीन में कार्ड स्वैप करते ही ग्रीन सिग्नल मिलता था और साइकिल के साथ ही अलग से एक कार्ड सौंप दिया जाता था। साइकिल जमा करवाते समय यह वापस देना होता था।

डीसी को कराया अवगत

कैश बताते हैं कि साझी साइकिल योजना से उन्हें काफी फायदा हो रहा था, उनके पास अपना वाहन नहीं है। वह पानीपत से करनाल कॉलेज पढ़ने आता है। ऐसे में उसे कभी किसी काम से शहर में जाना होता था तो साइकिल का प्रयोग करता था। इससे समय पर उस स्थान पर पहुंच जाता था। कुछ दिन पहले कॉलेज में उपायुक्त पहुंचे थे, उनके सामने भी इस विषय को रखा था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।

कम होता गया उत्साह

शुभम ने बताया कि साझी साइकिल योजना की शुरूआत अच्छे मकसद से की गई थी। काफी लोगों को इसका लाभ हो रहा था, इसके लिए स्टैंड भी ऐसी जगह बनाए गए थे, जहां उनका उपयोग ज्यादा से ज्यादा हो सकता था। योजना के शुरूआती दिनों से लोग जुड़ने शुरू भी हो गए थे। धीरे-धीरे लोगों का उत्साह कम होता गया, गिनती के लोग साइकि ल का इस्तेमाल करने वाले रह गए।

पेट्रोल की बचत

विकास ने बताया कि साझी साइकिल योजना का उन्हें लाभ मिलता था। इस योजना के तहत रजिस्ट्रेशन कराने पर नाममात्र का शुल्क देकर पूरे करनाल में साइकिल पर घूम सकते थे और अपना कोई भी कार्य करवा सक ते थे। साइकिल का इस्तेमाल करने से प्रतिदिन सैकड़ाें लीटर पेट्रोल की खपत भी कम होती है और पर्यावरण प्रदूषित होने से बचा रहता है।

फिट रहने में मददगार

अमन ने बताया कि चाहे शहर में किसी कार्य से जाने के लिए जरूरत हो या फिट रहने के लिए साइकि लिंग करनी हो, सांझी साइकिल योजना से काफी मदद मिल रही थी। शुरू में तो लोग उत्साह के साथ जुड़े, लेकिन धीरे-धीरे योजना में दिलचस्पी घटने लगी। इस योजना क ो फिर से शुरू किया जाना चाहिए, क्योंकि शहर में आवाजाही के लिए ऑटो लेने पर बीस रुपये किराया लगता है।

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