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पलवल। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के कार्यों में बरती गई अनियमितताओं के मामले में कार्रवाई लंबी खिंच सकती है। कोरोनाकाल के दौरान दो सालों में जिले के 260 ग्राम पंचायतों में करीब 50 करोड़ रुपये के 3225 कार्य किए गए, लेकिन एक चौथाई कार्यों की भी जांच नहीं हो पाई है। पुलिस थानों में दर्ज मुकदमों में 69 कार्यों में अनियमितताओं की शिकायत दी गई है। सभी कार्यों की जांच होने पर मुकदमों की संख्या बढ़ सकती है। वहीं, पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पुलिस ने मामले में संलिप्त आरोपियों द्वारा किए गए कार्यों का रिकॉड मांगा है। रिकॉर्ड मिलते ही आरोपियों को गिरफ्तार किया जाएगा।
दरअसल, मनरेगा योजना के तहत ग्राम पंचायतों में बेरोजगार लोगों को 100 दिन रोजगार दिया जाता है। मनरेगा एक्ट 2005 के तहत चार समूहों में 260 प्रकार के विकास कार्य कराए जाने के प्रावधान हैं। प्राकृतिक संपदा प्रबंधन, कृषि, पेयजल व स्वच्छता के लिए कार्य किए जाते हैं। जिले के तहत कोरोनाकाल के दौरान साल 2020 व 2021 में 3225 कार्य मनरेगा के तहत कराए गए। इन कार्यों के लिए करीब 50 करोड़ रुपये खर्च दिखाया गया है। कार्यों में अनियमितताओं की शिकायत ग्रामीणों ने अधिकारियों से की। जांच करने पर मामले बढ़ते चले गए। अब तक शिकायतों के आधार पर कुल कार्यों में से एक चौथाई कार्यों की भी जांच पूरी नहीं हो पाई है। खंड विकास एवं पंचायत अधिकारियों सहित करीब 50 कर्मचारियों पर गाज गिर चुकी है। ग्रामीणों द्वारा की गई शिकायतों में सबसे ज्यादा ग्राम सरपंचों के नाम शामिल हैं, लेकिन मुकदमों में नाम नहीं दिए गए हैं। सभी शिकायतों की जांच होने पर घोटाले को अंजाम देने वालों की संख्या काफी बढ़ सकती है। डीएसपी यशपाल खटाना का कहना है कि रिकार्ड लेने के लिए नोटिस जारी किए गए हैं। रिकॉर्ड मिलने पर आरोपी कर्मचारियों और अधिकारियों को गिरफ्तार किया जाएगा।
जिला परिषद द्वारा कराए गए कार्यों की होगी जांच
मनरेगा घोटाले की तपिश अब जिला परिषद तक भी पहुंच गई है। मनरेगा के कार्यों में अनियमितताओं की शिकायतों की जांच के बाद अब जिला परिषद (डीआरडीए) के कार्यों की शिकायतों का भी संज्ञान लिया जा रहा है। जल्द ही कार्यों की जांच शुरू हो सकती है। गांव नंगला कानपुर निवासी वासिद ने जिला परिषद द्वारा चार गांवों में बनाए गए 28 रास्तों की शिकायत की हुई है। शिकायत में 74 लाख का गबन बताया गया है। मामले की जांच होने पर जिला परिषद के अधिकारियों और कर्मचारियों के अलावा अध्यक्ष तथा सदस्यों पर भी गाज गिर सकती है। अधिकारियों की मानें तो जल्द ही शिकायतों पर कार्रवाई शुरू की जाएगी।
पलवल। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के कार्यों में बरती गई अनियमितताओं के मामले में कार्रवाई लंबी खिंच सकती है। कोरोनाकाल के दौरान दो सालों में जिले के 260 ग्राम पंचायतों में करीब 50 करोड़ रुपये के 3225 कार्य किए गए, लेकिन एक चौथाई कार्यों की भी जांच नहीं हो पाई है। पुलिस थानों में दर्ज मुकदमों में 69 कार्यों में अनियमितताओं की शिकायत दी गई है। सभी कार्यों की जांच होने पर मुकदमों की संख्या बढ़ सकती है। वहीं, पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पुलिस ने मामले में संलिप्त आरोपियों द्वारा किए गए कार्यों का रिकॉड मांगा है। रिकॉर्ड मिलते ही आरोपियों को गिरफ्तार किया जाएगा।
दरअसल, मनरेगा योजना के तहत ग्राम पंचायतों में बेरोजगार लोगों को 100 दिन रोजगार दिया जाता है। मनरेगा एक्ट 2005 के तहत चार समूहों में 260 प्रकार के विकास कार्य कराए जाने के प्रावधान हैं। प्राकृतिक संपदा प्रबंधन, कृषि, पेयजल व स्वच्छता के लिए कार्य किए जाते हैं। जिले के तहत कोरोनाकाल के दौरान साल 2020 व 2021 में 3225 कार्य मनरेगा के तहत कराए गए। इन कार्यों के लिए करीब 50 करोड़ रुपये खर्च दिखाया गया है। कार्यों में अनियमितताओं की शिकायत ग्रामीणों ने अधिकारियों से की। जांच करने पर मामले बढ़ते चले गए। अब तक शिकायतों के आधार पर कुल कार्यों में से एक चौथाई कार्यों की भी जांच पूरी नहीं हो पाई है। खंड विकास एवं पंचायत अधिकारियों सहित करीब 50 कर्मचारियों पर गाज गिर चुकी है। ग्रामीणों द्वारा की गई शिकायतों में सबसे ज्यादा ग्राम सरपंचों के नाम शामिल हैं, लेकिन मुकदमों में नाम नहीं दिए गए हैं। सभी शिकायतों की जांच होने पर घोटाले को अंजाम देने वालों की संख्या काफी बढ़ सकती है। डीएसपी यशपाल खटाना का कहना है कि रिकार्ड लेने के लिए नोटिस जारी किए गए हैं। रिकॉर्ड मिलने पर आरोपी कर्मचारियों और अधिकारियों को गिरफ्तार किया जाएगा।
जिला परिषद द्वारा कराए गए कार्यों की होगी जांच
मनरेगा घोटाले की तपिश अब जिला परिषद तक भी पहुंच गई है। मनरेगा के कार्यों में अनियमितताओं की शिकायतों की जांच के बाद अब जिला परिषद (डीआरडीए) के कार्यों की शिकायतों का भी संज्ञान लिया जा रहा है। जल्द ही कार्यों की जांच शुरू हो सकती है। गांव नंगला कानपुर निवासी वासिद ने जिला परिषद द्वारा चार गांवों में बनाए गए 28 रास्तों की शिकायत की हुई है। शिकायत में 74 लाख का गबन बताया गया है। मामले की जांच होने पर जिला परिषद के अधिकारियों और कर्मचारियों के अलावा अध्यक्ष तथा सदस्यों पर भी गाज गिर सकती है। अधिकारियों की मानें तो जल्द ही शिकायतों पर कार्रवाई शुरू की जाएगी।
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