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31 मिनट पहलेलेखक: नवनीत गुर्जर, नेशनल एडिटर, दैनिक भास्कर
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4 अगस्त को महाराष्ट्र के सतारा में बोर्ने घाट पर सेल्फी लेने के लिए पहुंची युवती पैर फिसलने से 100 फीट नीचे खाई में गिर गई थी। लोगों ने रस्सी की मदद से उसे बचाया।
मोबाइल फ़ोन ने भले ही पूरी दुनिया को हथेली पर ला दिया हो। बहुत कुछ आसान कर दिया हो, लेकिन बहुत कुछ है जो छूट भी रहा है। बल्कि छूट चुका है। ख़तरे बढ़ रहे हैं। असावधानियाँ भी बढ़ रही हैं। इनके कारण हम ठगे जा रहे हैं।
हमारे साथ तरह – तरह के फ़्रॉड हो रहे हैं। ख़ासकर उन युवाओं के साथ जिन्होंने हथेली में आए इस मोबाइल फ़ोन को ही अपनी दुनिया, अपना सबकुछ मान लिया है। ऐसा नहीं है कि टेक्नोलॉजी में नित नए एक्सपेरिमेंट्स ठीक नहीं है। उनका स्वागत है, लेकिन इनके साथ जो सावधानियाँ बरतनी चाहिए, उन पर ध्यान नहीं दिया तो जान का जोखिम दिनोदिन बढ़ता ही जाएगा।
9 जुलाई को कर्नाटक के चिकमंगलुर में चंद्र द्रोण हिल रेंज में दबदबा वाटरफॉल देखने पहुंचे पर्यटक।
इन दिनों देश के कई राज्यों में मूसलधार बारिश हो रही है। कहीं- कहीं तो लगता है जैसे बादल ही फट पड़े हों। ख़ासकर राजस्थान जैसे उन इलाक़ों में भी, जहां लोग कभी बरसते पानी के दर्शन तक करने को मोहताज रहते थे।
तेज बहती, बल खाती, भँवर बनाती नदियों में मोबाइल फ़ोन लेकर युवा कूद रहे हैं। सेल्फ़ी ले रहे हैं। बह रहे हैं। जान तक गँवा रहे हैं। आखिर दोस्तों, परिचितों या परिजनों को ऐसी सेल्फ़ी भेजने का क्या मतलब जिसमें जान का ख़तरा हो?
बिहार के भोजपुर में चार दोस्त गंगा दशहरे पर गंगा नदी में नहाने के लिए गए थे। इस दौरान रील्स बनाते हुए सभी गहरे पानी में चले गए और डूब गए। हादसे के बाद उनकी डेड बॉडी निकलने का इंतजार करते परिजन।
दरअसल, गलती हमारी है। हम पैरेंट्स की। हम भी उसी मोबाइल फ़ोन में इतने व्यस्त हो चुकी हैं कि बच्चों को इसकी सावधानियाँ बताने तक का वक्त हमारे पास नहीं है। कहते है – “समरथ को नहीं दोष गुसाई, रवि, पावक, सरिता की नाई।” सूर्य, आग और नदी को दोष नहीं दिया जा सकता। बिना सावधानी के इनसे खेलना निश्चित तौर पर ख़तरनाक है।
दरअसल, हो यह रहा है कि इनके सामने हम खुद को समर्थ समझने लगते हैं। यही हमारी गलती है। इन ग़लतियों को सुधारने की ज़रूरत है। आए दिन खबरें आ रही हैं कि सेल्फ़ी लेते वक्त पाँच युवक नदी में डूब गए। चार बह गए…।
इन डरावनी खबरों को सुन- देखकर कोई सचेत नहीं होना चाहता। देश का युव- धन बहता जा रहा है। इसे बचाना होगा। कुछ सावधानियाँ ही तो बरतनी हैं! इतनी – सी बात समझ लीजिए। कम से कम अपनी जान जोखिम में मत डालिए। जान से ज़्यादा क़ीमती और कुछ नही! कुछ भी नहीं!
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भास्कर ओपिनियन: एक अदद सेल्फ़ी के लिए जान जोखिम में मत डालिए!