in

भास्कर ओपिनियन:वक़्फ़ बोर्ड के बारे में संशोधन पर आखिर इतना बवाल क्यों? Politics & News

भास्कर ओपिनियन:वक़्फ़ बोर्ड के बारे में संशोधन पर आखिर इतना बवाल क्यों? Politics & News

[ad_1]

14 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

एक देश, एक विधान, एक निशान का नारा देने वाले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ समर्थित पार्टी वक़्फ़ बोर्ड के लिए कोई संविधान संशोधन लाती है तो इसमें कोई हैरत या अचरज की बात नहीं है लेकिन पारदर्शिता के लिए यह सब करना क्या गुनाह है? मुस्लिम पक्ष और बाक़ी राजनीतिक दलों को इसमें परेशानी क्या है?

फ़िलहाल होता यह है कि वक़्फ़ बोर्ड ने अगर कोई फ़ैसला सुना दिया तो उसे कहीं चुनौती नहीं दी जा सकती जबकि संशोधन के ज़रिए केंद्र सरकार यह प्रावधान करने जा रही है कि वक़्फ़ बोर्ड का फैसला अगर किसी को सही नहीं लगता तो वह इस फ़ैसले को कोर्ट में चुनौती दे सकता है।

अभी यह होता रहा है या हो रहा है कि अगर किसी ज़मीन पर मस्जिद बनी हो या उस ज़मीन का किसी इस्लामिक उद्देश्य से उपयोग हो रहा हो तो वह ज़मीन अपने आप ही वक़्फ़ बोर्ड के आधिपत्य की मानी जाएगी।

सरकार संविधान संशोधन के ज़रिए यह प्रावधान करने जा रही है कि कोई भी ज़मीन जब तक कोई वक़्फ़ बोर्ड को दान नहीं करता, वह इस बोर्ड की नहीं होगी। भले ही उस पर मस्जिद ही क्यों न बनी हो। इसमें भी ग़लत क्या है?

आख़िर कोई भी, कहीं भी कोई धार्मिक कार्यक्रम शुरू कर दे तो उसे उस धर्म या उससे संबंधित बोर्ड की ज़मीन मान लिया जाएगा, यह किस हद तक सही है? इसी तरह अभी यह हो रहा है कि वक़्फ़ बोर्ड में न तो कोई महिला सदस्य हो सकती और न ही अन्य धर्म का कोई सदस्य हो सकता।

सरकार प्रावधान करने जा रही है कि इस बोर्ड में दो महिला सदस्य और अन्य धर्मों के दो सदस्य भी हों। आख़िर इसमें भी ग़लत क्या है? क्या किसी बोर्ड या उसके निर्णय में सभी पक्षों की सहमति का कोई रास्ता तैयार किया जा रहा है तो इसमें पारदर्शिता के सिवाय और कोई उद्देश्य कहाँ दिखाई देता है?

वक़्फ़ बोर्ड की फ़िलहाल ताक़त देखिए कि उसने किसी ज़मीन पर अपना दावा कर दिया तो उसके ख़िलाफ़ अपील केवल ट्रिब्यूनल में ही की जा सकती है। जबकि सरकार यह प्रावधान करने जा रही है कि आपत्ति करने वाला आगे से रेवेन्यू कोर्ट या हाई कोर्ट में भी अपील कर सकता है। आख़िर इसमें भी बुराई क्या है? इन सब सवालों और तर्कों पर अब संसद की संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी विचार करेगी और अपनी सिफ़ारिशें देगी।

31 सदस्यों वाली इस भारी भरकम कमेटी में सभी दलों के सदस्य हैं। इसमें लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों के सदस्य शामिल हैं। देखना यह है कि जेपीसी क्या सिफ़ारिशें करती है और आख़िर इस संशोधन विधेयक का हश्र क्या होता है?

[ad_2]
भास्कर ओपिनियन:वक़्फ़ बोर्ड के बारे में संशोधन पर आखिर इतना बवाल क्यों?

भीषण हुई जंग! यूक्रेनी सैनिकों ने पार की सीमा, रूस ने कुर्स्क में कर दी इमरजेंसी की घोषणा Today World News

भीषण हुई जंग! यूक्रेनी सैनिकों ने पार की सीमा, रूस ने कुर्स्क में कर दी इमरजेंसी की घोषणा Today World News

आपके एरिया में BSNL, Jio या Airtel, किसका नेटवर्क चलता है सुपरफास्ट, ऐसे करें पता Today Tech News