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सबसे पहले भारत और उसके पड़ोसी देशों से रिश्तों का ये मैप देखिए…
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भारत के 8 पड़ोसी देशों में पाकिस्तान, चीन और मालदीव का स्टैंड एंटी-इंडिया (भारत विरोधी) है। म्यांमार और नेपाल का रुख फिलहाल न्यूट्रल (किसी के साथ नहीं) है। 3 पड़ोसी भारत के दोस्त हैं- भूटान, श्रीलंका और बांग्लादेश। पिछले साल नई दिल्ली में हुए G-20 शिखर सम्मेलन में भारत ने बांग्लादेश को विशेष तवज्जो देते हुए स्पेशल गेस्ट के तौर पर आमंत्रित किया था।
शेख हसीना के बांग्लादेश की पीएम पद से इस्तीफा देने और देश छोड़ने के बाद भारत के लिए कई मुश्किलें हो सकती हैं। भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे बांग्लादेश में आगे क्या सिनेरियो बन रहे हैं और उसका भारत पर क्या असर पड़ेगा…
सिनेरियो-1: बांग्लादेश की सेना सत्ता संभाले
- 1971 में पाकिस्तान विभाजन के बाद बांग्लादेश बना। इसके ठीक 4 साल बाद 1975 में बांग्लादेशी सेना ने तख्तापलट कर दिया और बांग्लाबंधु शेख मुजीब उर रहमान की हत्या कर दी। मुजीब शेख हसीना के पिता थे।
- प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बांग्लादेश बनने के बाद से अगले 15 सालों तक सेना का देश की राजनीति में हस्तक्षेप रहा। सेना ने 3 बार तख्तापलट किया और कई बार ऐसा करने की विफल कोशिश की। आखिरी बार 2007-08 में सेना समर्थित सरकार बनी थी और 2 साल चली थी।
- 5 अगस्त को शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान ने कहा, ‘हम अंतरिम सरकार बनाएंगे, देश को अब हम संभालेंगे। आंदोलन में जिन लोगों की हत्या की गई है, उन्हें इंसाफ दिलाया जाएगा।’
- छात्रों को इंसाफ दिलाने के बहाने सेना खुद सत्ता संभाल सकती है और तमाम अव्यवस्था का हवाला देकर चुनाव टाल सकती है। हालांकि अभी बांग्लादेश की जनता गुस्से में है। ऐसे में आर्मी लंबे वक्त तक सत्ता में रहेगी, इसकी संभावना कम है।
शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान ने सबकुछ अपने हाथों में ले लिया।
भारत पर इम्पैक्टः भारत हमेशा चाहता है कि बांग्लादेश समेत उसके पड़ोसी स्थिर हों और वहां पर लोकतंत्र बना रहे। ऐसे में बांग्लादेश की किसी गैर-चुनी हुई सरकार के साथ भारत नहीं दिखना चाहेगा। पहले भी जब भी सेना ने तख्तापलट किया है, भारत से रिश्ते तल्ख हुए हैं। हालांकि भारत ये भी नहीं चाहेगा कि पाकिस्तान, चीन के बाद पूर्वी छोर पर भी एक और मोर्चा खुल जाए।
सिनेरियो-2: सेना कमान संभाले और हालात सामान्य होने के बाद शेख हसीना की वापसी हो
- सोमवार तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना सेना के हेलिकॉप्टर से भारत भागीं। सेना प्रमुख ने ही उनके इस्तीफे और देश छोड़ने की जानकारी दी। सेना ने फिलहाल अंतरिम सरकार बनाने की बात कही है, लेकिन न तो चुनाव की बात कही और न ये बताया कि अंतरिम सरकार का स्वरूप क्या होगा।
- ऐसे में संभावना है कि बांग्लादेश में फिलहाल सेना ही देश की कमान संभाले। कुछ दिनों में हालात सामान्य होने के बाद शेख हसीना की वतन वापसी का रास्ता तैयार करे। जैसा पड़ोसी देश श्रीलंका में किया गया। मौजूदा आर्मी चीफ की नियुक्ति शेख हसीना ने ही की है।
जून 2024 में दिल्ली आईं शेख हसीना ने पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी।
भारत पर इम्पैक्टः भारत, बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार को देखना चाहता है। शेख हसीना, चीन और भारत के बीच में संतुलन बनाकर रखती हैं। उनका स्टैंड प्रो-इंडिया रहता है। बांग्लादेश छोड़ने के बाद शेख हसीना सबसे पहले भारत ही आई हैं।
सिनेरियो-3: तीन महीने में चुनाव हों और विपक्षी खालिदा जिया की पार्टी चुनाव जीत जाए
- बांग्लादेश में सेना प्रमुख जनरल वकार ने देश को संबोधित करते हुए कहा है कि देश में एक अंतरिम सरकार की स्थापना होगी। इसके लिए उन्होंने अलग अलग पक्षों से बात भी की है। ये केयर टेकर सरकार हालात सामान्य होने के बाद 90 दिनों में चुनाव करा सकती है।
- बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद सहाबुद्दीन ने सोमवार को बैठक के बाद बांग्लादेश की मुख्य विपक्षी नेता बेगम खालिदा जिया को जेल से रिहा करने के आदेश दिए हैं। यानी अगर चुनाव हुए तो खालिदा जिया कि पार्टी बीएनपी इसमें शामिल होगी।
- चुनाव में बीएनपी को शेख हसीना के खिलाफ जनता के गुस्से का फायदा मिल सकता है। ऐसे में बदलाव के तौर पर जनता बीएनपी को सरकार बनाने का मौका मिल सकता है। इस सिनैरियो में खालिदा जिया या उनके बेटे पीएम बन सकते हैं।
जून 2015 में ढाका दौरे के वक्त पीएम मोदी से बांग्लादेश की पूर्व पीएम खालिदा जिया ने मुलाकात की थी।
भारत पर इम्पैक्टः अगर बीएनपी की सत्ता में वापसी होती है तो भारत के लिए परेशानी होगी। खालिदा जिया भारत विरोधी नीति के लिए जानी जाती हैं। इस साल अप्रैल में उनकी पार्टी ने ‘इंडिया आउट’ कैम्पेन चलाया था। बीएनपी ने भारत में निर्मित चीजों के बहिष्कार की अपील की थी। बीएनपी की सरकार बनने से भारत का एक्सपोर्ट रुकेगा। बांग्लादेश में चल रहे भारत के कई प्रोजेक्ट पर असर पड़ेगा। ऐसे में बांग्लादेश भी नेपाल की तरह चीन से दोस्ती का हाथ बढ़ा सकता है।
सिनेरियो-4: कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी सत्ता में आ जाए
- बांग्लादेश के छात्र आंदोलन की बुनियाद में जमात ए इस्लामी का हाथ बताया जाता है। ऐसे में जमात के सिर पर जीत का सेहरा बंध सकता है।
- जमात पर आरोप है कि उसका पाकिस्तान से कनेक्शन है, जो बांग्लादेश में होने वाली आतंकी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार है। यही कारण है कि उस पर बैन लगाया गया था।
- जमात ने हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में अपील थी, जिसे शीर्ष कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
- नए सिनेरियो में अगर जमात पर बैन हटता है और वो चुनाव में शिरकत करती है, तो बांग्लादेश में ये बड़ा बदलाव होगा। हो सकता है बदलाव चाह रही जनता कट्टरपंथियों को जिता दे।
बांग्लादेश में हुए इस छात्र आंदोलन को सबसे ज्यादा जमात ए इस्लामी से सपोर्ट मिला है।
भारत पर इम्पैक्ट: अगर जमात को सत्ता मिलती है तो बांग्लादेश भारत का दुश्मन देश बन जाएगा। दरअसल, जमात पाकिस्तान की जमात ए इस्लामी पार्टी की एक विंग है। अगर ऐसा होता है तो बांग्लादेश में कट्टर पंथ बढ़ेगा। पाकिस्तान की तरह भारत को बांग्लादेश से भी आतंकी समस्या से निपटना पड़ेगा।
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एक्सपर्ट पैनलः
- वीना सीकरी, ढाका में भारत की पूर्व राजदूत
- डॉ. श्रीश कुमार पाठक, इंटरनेशनल स्टडीज के एसोसिएट प्रोफेसर
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