भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है कि बांग्लादेश में आई बाढ़ के लिए भारत जिम्मेदार नहीं है। विदेश मंत्रालय ने कहा, “बांग्लादेश में यह अफवाह है कि बाढ़ की वजह त्रिपुरा में डंबूर बांध का दरवाजा खोलना है। यह सच नहीं है।”
मंत्रालय ने कहा कि भारत और बांग्लादेश से होकर बहने वाली गोमती नदी के आस-पास के इलाके में इस साल की सबसे ज्यादा बारिश हुई है। इस वजह से दोनों तरफ समस्या हुई है। दोनों देशों के बीच मौजूद नदियों में आने वाली बाढ़ एक साझा समस्या है, जिससे दोनों देशों के लोगों को जूझना पड़ता है। इससे निपटने के लिए दोनों देशों के सहयोग की जरूरत है।
मंत्रालय ने यह भी कहा कि डंबूर बांध बांग्लादेश की सीमा से 120 किलोमीटर से अधिक दूर है। यह कम ऊंचाई (करीब 30 मीटर) का बांध है, जो बिजली पैदा करता है और वह बिजली ग्रिड में जाती है। इससे बांग्लादेश को भी त्रिपुरा से 40 मेगावाट बिजली मिलती है।
5 फुटेज में बांग्लादेश में आई बाढ़ देखिए…
ढाका-चटगांव हाईवे पर बाढ़ का पानी बह रहा है। लोग रस्सी के सहारे रास्ता पार कर रहे हैं।
चटगांव के फेनी इलाके में बाढ़ का पानी लोगों के घरों में घुस गया है।
सड़क पर पानी का तेज बहाव है। लोग रस्सी पकड़ कर सड़क पर चल रहे हैं। फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल है।
बाढ़ में बच्चे को गोद में ले जा रहा शख्स। फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल है।
बाढ़ के तेज कटाव से सड़क टूट गई है। फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल है।
बांग्लादेश के 12 जिलों में बाढ़, भारत पर आरोप
दरअसल बांग्लादेश में 12 जिलों में भीषण बाढ़ आई है। दक्षिण-पूर्वी बांग्लादेश में 36 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। सैकड़ों घर पानी में डूब गए हैं और लोग छतों पर फंसे हुए हैं। बांग्ला अखबार प्रथोम अलो के मुताबिक बाढ़-बारिश की वजह से हुए हादसों में अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है। टेली कम्युनिकेशन बंद होने की वजह से बहुत जानकारी नहीं मिल पा रही है।
अंतरिम सरकार के कुछ नेता समेत खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के कुछ नेता भी इस बाढ़ के लिए भारत को दोषी बता रहे हैं। ढाका ट्रिब्यून के मुताबिक बांग्लादेश के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में सलाहकार नाहिद इस्लाम ने कहा था कि भारत ने बिना चेतावनी पानी छोड़ दिया। यह अमानवीय है।
BNP पार्टी के संयुक्त महासचिव रूहुल कबीर रिजवी ने आरोप लगाया कि भारत ने जानबूझकर त्रिपुरा में गोमती नदी पर बने डंबूर बांध का दरवाजा खोला,जिसकी वजह से इतनी भीषण बाढ़ आई। उन्होंने कहा कि भारत को बांग्लादेश के लोगों की परवाह नहीं है।
नाहिद इस्लाम अंतरिम सरकार में सूचना सलाहकार हैं। हसीना सरकार के खिलाफ छात्र आंदोलन में इनकी बड़ी भूमिका थी।
सोशल मीडिया पर भी भारत विरोधी लहर
सोशल मीडिया पर भी भारत के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रोपेगेंडा फैलाया जा रहा है। कई ऐसे पोस्ट वायरल हैं जिनमें दावा किया गया है कि भारत ने जानबूझकर बांग्लादेश में पानी छोड़ा, क्योंकि वह शेख हसीना के हटने से नाराज है।
एक यूजर ने लिखा कि जो लोग भारत को बांग्लादेश का दोस्त कहते हैं वे देश के दुश्मन हैं। सच्चाई यह है कि भारत-पाकिस्तान दोनों ही बांग्लादेश को कभी आगे बढ़ते नहीं देखना चाहते हैं। भारत की वजह से बांग्लादेश अब तक की सबसे भीषण बाढ़ का सामना कर रहा है।
त्रिपुरा में गोमती जिले के अमरपुर में यह डंबूर बांध है। भारत पर इसी बांध का दरवाजा खोलने का आरोप लग रहा है। (फाइल फोटो)
भारत बोला- ज्यादा बारिश की वजह से बाढ़ आई
CNN के मुताबिक अंतरिम सरकार में मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने कहा कि भारत का मानना है कि बांग्लादेश में पानी अपने आप आया। इसकी वजह नदी में पानी का ज्यादा होना था।
त्रिपुरा के ऊर्जा मंत्री रतन लाल नाथ के मुताबिक, डंबूर बांध को इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि एक निश्चित सीमा से अधिक पानी होने पर वह खुद ही निकलने लगता है। उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा कि बांध का कोई गेट नहीं खोला गया।
प्रथोम अलो के मुताबिक 18 अगस्त को बांग्लादेश के बाढ़ पूर्वानुमान एवं चेतावनी केंद्र ने सिर्फ इतना कहा था कि नदियों में जलस्तर बढ़ेगा। भारत के बाढ़ पूर्वानुमान और चेतावनी केंद्र ने भी ऐसी कोई जानकारी नहीं दी। नतीजा यह हुआ कि बांग्लादेश का पूर्वी हिस्सा अचानक आई भीषण बाढ़ से तबाह हो गया।
CNN के मुताबिक भारत ने माना है कि त्रिपुरा में बारिश के कारण बिजली गुल हो गई थी, जिसकी वजह से कम्युनिकेशन में दिक्कतें आईं।
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‘हम विचारधारा पर चलने वाली पार्टी हैं। कोशिश करेंगे कि बांग्लादेश को अपनी विचारधारा से चलाएं। इस्लाम हर किसी को जगह देता है। ये देश में सिर्फ मुस्लिमों को ही रहने की इजाजत नहीं देता, बल्कि हर कम्युनिटी सेफ्टी और डिग्निटी के साथ रह सकती है। यही मदीना मॉडल है। भारत में भी आप इस्लाम की खूबसूरती देख सकते हैं।’
ये जवाब बांग्लादेश की सबसे बड़ी इस्लामिक पॉलिटिकल पार्टी जमात-ए-इस्लामी के आमिर या प्रेसिडेंट डॉ. शफीकुर रहमान का है। दैनिक भास्कर ने उनसे पूछा था कि बांग्लादेश को संविधान और लोकतंत्र से चलना चाहिए या इस्लामिक कानून से। पूरी खबर यहां पढ़ें…
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हिफाजत-ए-इस्लाम, यानी इस्लाम के रक्षक। ये बांग्लादेश के सबसे बड़े इस्लामिक संगठन का नाम है। 2010 में बना ये संगठन जल्दी ही धर्म की प्रेशर पॉलिटिक्स का सेंटर पॉइंट बन गया। प्रधानमंत्री मोदी के बांग्लादेश दौरे के विरोध से लेकर हिंदुओं और मंदिरों पर हमले में भी इसका नाम आया।
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