[ad_1]
ढाका: बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के वरिष्ठ नेताओं ने शुक्रवार को कहा कि भारत-बांग्लादेश द्विपक्षीय संबंध अवामी लीग पर निर्भर नहीं हैं और भारत द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को शरण देने पर ”बांग्लादेश में प्रतिकूल प्रतिक्रिया होना स्वभाविक है।” बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री खांडकर मुशर्रफ हुसैन ने बांग्लादेश के लिए भारत को ‘बहुत महत्वपूर्ण’ करार देते हुए कहा कि ‘यह द्विपक्षीय संबंधों में एक नया अध्याय शुरू करने का सही समय है।’ हुसैन ने बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बधाई संदेश का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि भारत सरकार अब अवामी लीग और शेख हसीना को समर्थन देना जारी नहीं रखेगी, जिन्हें बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों के बाद देश से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
बांग्लादेश के लिए महत्वपूर्ण है भारत
खांडकर मुशर्रफ हुसैन ने कहा, ‘‘शेख हसीना के भारत में शरण लेने का असर स्वाभाविक है। उदाहरण के लिए, यदि मैं आपको पसंद नहीं करता हूं और कोई अन्य व्यक्ति आपका समर्थन कर रहा है तो स्वाभाविक रूप से मुझे वह व्यक्ति पसंद नहीं आएगा। प्रतिकूल प्रतिक्रिया होना स्वाभाविक है। लेकिन तथ्य यह है कि भारत-बांग्लादेश के बीच हमेशा अच्छे संबंध रहे हैं, भले ही अवामी लीग सत्ता में हो या शेख हसीना।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब बीएनपी सत्ता में थी, मैं बांग्लादेश सरकार में मंत्री था। हमने देखा कि दोनों देशों के बीच शानदार संबंध रहे हैं। भारत, बांग्लादेश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत ने हमेशा बांग्लादेश के लोगों का समर्थन किया है। दोनों देशों के बीच अच्छे द्विपक्षीय संबंध बने रहेंगे।’’
‘बहाल होंगे लोकतांत्रिक अधिकार’
हुसैन ने कहा कि बांग्लादेश के लोग उम्मीद करते हैं कि भारत सरकार अवामी लीग जैसे भ्रष्ट और तानाशाहीपूर्ण शासन का हमेशा समर्थन नहीं करेगी। उन्होंने कहा, ‘‘हमें लगता है कि भारत के लोगों को भी इसका एहसास है।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या बीएनपी चाहती है कि हसीना को बांग्लादेश को सौंप दिया जाए, उन्होंने कहा, ‘‘यह अंतरिम सरकार को तय करना है। बीएनपी के रूप में, हमने इस पर कोई फैसला नहीं लिया है।’’ हुसैन ने यह भी उम्मीद जताई कि नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के तहत लोगों के सामान्य और लोकतांत्रिक अधिकार जल्द से जल्द बहाल होंगे।
‘भारत को है अधिकार’
बीएनपी के उपाध्यक्ष अब्दुल अवल मिंटू ने भी ऐसी ही राय जताते हुए कहा, ‘‘बेहतर होता कि वह (शेख हसीना) भारत नहीं भागतीं, क्योंकि हम भारत के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं। बांग्लादेश और इसके लोग भारत को दोस्त की तरह मानते और देखते हैं।’’ उन्होंने रेखांकित किया कि अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक भारत का अधिकार है कि वह जिसे चाहे उसे शरण दे सकता है।
‘भारत बहुत बड़ा देश है’
मिंटू ने कहा कि बांग्लादेश में यह ‘सर्वविदित तथ्य’ है कि अपने बड़े पड़ोसी के समर्थन के कारण ही अवामी लीग अपनी सरकार के खिलाफ गहरी नाराजगी के बावजूद इतने लंबे समय तक सत्ता में बनी रह सकी। अवामी लीग के साथ भारत की निकटता पर मिंटू ने कहा, ‘‘इसका द्विपक्षीय संबंधों पर कम और अस्थायी असर पड़ सकता है, लेकिन यह बांग्लादेश के हित में है कि यह लंबे समय तक नहीं रहे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह बांग्लादेश के हित में है कि हमारे भारत के साथ बहुत अच्छे संबंध हों। यदि यह भूटान या नेपाल जैसा कोई अन्य पड़ोसी देश होता तो मैं ऐसा नहीं कहता, लेकिन भारत एक बहुत बड़ा देश है और विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। अच्छे द्विपक्षीय संबंधों की खातिर दोनों देशों को बैठकर बातचीत करनी चाहिए और मतभेदों को सुलझाना चाहिए।’’
‘भारत के साथ तुरंत बातचीत करनी चाहिए’
बांग्लादेश में ‘इंडिया आउट’ अभियान के बारे में पूछे जाने पर हुसैन और मिंटू दोनों ने कहा कि ये ‘छिटपुट और अस्थायी घटनाएं’ हैं और न तो बांग्लादेश के लोग और न ही बीएनपी ऐसे अभियानों का समर्थन करते हैं। मिंटू ने कहा कि बांग्लादेश की नई अंतरिम सरकार को सभी मुद्दों के समाधान के लिए भारत के साथ तुरंत बातचीत करनी चाहिए। शेख हसीना के बेटे सजीब वाजिद जॉय द्वारा ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में दिए गए इस बयान पर कि लोकतंत्र बहाल होते ही उनकी मां बांग्लादेश लौट आएंगी, मिंटू ने कहा, ‘‘वह लौटना चाहती हैं या नहीं, यह उन पर निर्भर है। हम इस पर टिप्पणी नहीं कर सकते। बांग्लादेश का कानून अपना काम करेगा। अवामी लीग के शासन के दौरान भ्रष्टाचार और मानवाधिकारों के उल्लंघन के कई मामले सामने आए हैं।’’
‘जल्द हों चुनाव’
मिंटू ने हालांकि कोई समयसीमा नहीं बताई लेकिन उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के नेतृत्व वाली उनकी पार्टी चाहती है कि चुनाव जल्द से जल्द हों ताकि लोकतांत्रिक सरकार की स्थापना हो सके। जुलाई में विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद से लगभग तीन हफ्तों में बांग्लादेश में सरकार विरोधी प्रदर्शनों में कम से कम 469 लोग मारे गए हैं। (भाषा)
यह भी पढ़ें:
इमरान खान के बयान से पाकिस्तान में सियासी भूचाल, शरीफ सरकार के भविष्य पर ही उठा दिए सवाल
रूसी सेना में कितने भारतीय हुए थे शामिल, लोकसभा में विदेश मंत्री ने दिया जवाब
[ad_2]
भारत को कैसे देखते हैं बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के नेता, जानिए शेख हसीना के INDIA आने पर क्या कहा?