भंडारा की सेवा से पति की प्रतिज्ञा को आगे बढ़ा रहीं सीमा


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यमुनानगर। हर दिन भंडारा लगे….ऐसा संकल्प लाल द्वारा के जितेंद्र शर्मा का था। जिन्होंने रेलवे रोड स्थित श्रीगीता भवन मंदिर में 6 नवंबर 2014 में भंडारे की सेवा शुरू की, पर सवा छह साल बाद 26 मार्च 2021 को उनका देहांत हो गया। बावजूद इसके हर दिन भंडारे का संकल्प अधूरा नहीं है, क्योंकि इसे जितेंद्र की पत्नी सीमा पूरा कर रही हैं। सीमा ने पति जितेंद्र की मौत के बाद एक भी दिन भंडारा रुकने नहीं दिया। जितेंद्र के सेवाभाव को यादकर उनकी मौत के बाद लगातार दानी-सज्जन भंडारे की सेवा में मदद कर रहे हैं, वहीं काफी लोग अपनी ओर से भी भंडारा देने को बुकिंग कराने लगे है।
ऐसे हुई सेवा की शुरुआत
लालद्वारा के जितेंद्र शर्मा ने छह नवंबर 2014 को श्रीगुरु नानक देव जी के प्रकाशोत्सव से रेलवे रोड स्थित श्रीगीता भवन मंदिर में भंडारे की सेवा शुरू की। पत्नी सीमा शर्मा बताती हैं कि मंदिर के सामने गुरुद्वारा साहिब है, जहां 6 नवंबर को पति जितेंद्र शर्मा गए। वहां लंगर सेवा देख मंदिर में हर दिन भंडारे की सेवा शुरू करने का संकल्प लिया। सीमा ने बताया कि जितेंद्र उनसे कुुछ पैसे लेकर चावल, घी और चने की दाल लाए। मंदिर के पास ही उन्हें नेपाल का बहादुर नाम का युवक मिला। बहादुर व जितेंद्र ने मिलकर चावल, घी व चने की दाल की खिचड़ी बनाई और उसे मंदिर के पास दुकानदारों व राहगीरों में बांटने लगे। दुकानदारों ने वजह पूछी, तब जितेंद्र ने बताया कि मंदिर में भंडारे की सेवा शुरू कर रहे हैं। इसके अगले दिन मंदिर परिसर में 30 लोगों से भंडारे की सेवा शुरू की। भंडारे में खाना खाने वालों की संख्या लगातार बढ़ती चली गई। कोरोना काल में भी भंडारे का खाना पैकिंग में जरूरतमंदों तक पहुंचाया।
रोज पहुंचते 400-500 लोग, 70 किलो आटे व 20-25 किलो दाल-सब्जी खपत
सीमा बताती हैं हर दिन मंदिर में लग रहे भंडारे में खाना खाने 400-500 लोग पहुंचते हैं। इनके लिए खाना बनाने को पेड वर्कर्स हैं। रोज करीब 70 किलो आटा व 20-25 किलो दाल-सब्जी की खपत होती है। दाल, रोटी व सब्जी के अलावा पूड़ी बने तो आटे की खपत बढ़ जाती है। चावल परोसे जाने पर आटे की खपत कम हो जाती है। चावल की भी 35-40 किलो की खपत हो जाती है। गर्मियों में खाने के साथ लस्सी और सर्दियों में सुबह के समय चाय-बिस्किट दिए जाते हैं। इसके अलावा मंदिर में लोग मिठाई व फल भी दे जाते हैं, जिसे भंडारे में परोसा जाता है। जन्मदिन, बरसी व अन्य मौकों पर लोग अपनी ओर से भंडारे देने का बुकिंग कराते हैं। सेवा में कमेटी में उपप्रधान संजीव भार्गव, चेयरपर्सन डॉ. ऊषा डीडी सहित जिलेभर से दानी-सज्जनों का सहयोग है।

Seema is carrying forward her husband's vow with Bhandara's service

Seema is carrying forward her husband’s vow with Bhandara’s service– फोटो : Yamuna Nagar

यमुनानगर। हर दिन भंडारा लगे….ऐसा संकल्प लाल द्वारा के जितेंद्र शर्मा का था। जिन्होंने रेलवे रोड स्थित श्रीगीता भवन मंदिर में 6 नवंबर 2014 में भंडारे की सेवा शुरू की, पर सवा छह साल बाद 26 मार्च 2021 को उनका देहांत हो गया। बावजूद इसके हर दिन भंडारे का संकल्प अधूरा नहीं है, क्योंकि इसे जितेंद्र की पत्नी सीमा पूरा कर रही हैं। सीमा ने पति जितेंद्र की मौत के बाद एक भी दिन भंडारा रुकने नहीं दिया। जितेंद्र के सेवाभाव को यादकर उनकी मौत के बाद लगातार दानी-सज्जन भंडारे की सेवा में मदद कर रहे हैं, वहीं काफी लोग अपनी ओर से भी भंडारा देने को बुकिंग कराने लगे है।

ऐसे हुई सेवा की शुरुआत

लालद्वारा के जितेंद्र शर्मा ने छह नवंबर 2014 को श्रीगुरु नानक देव जी के प्रकाशोत्सव से रेलवे रोड स्थित श्रीगीता भवन मंदिर में भंडारे की सेवा शुरू की। पत्नी सीमा शर्मा बताती हैं कि मंदिर के सामने गुरुद्वारा साहिब है, जहां 6 नवंबर को पति जितेंद्र शर्मा गए। वहां लंगर सेवा देख मंदिर में हर दिन भंडारे की सेवा शुरू करने का संकल्प लिया। सीमा ने बताया कि जितेंद्र उनसे कुुछ पैसे लेकर चावल, घी और चने की दाल लाए। मंदिर के पास ही उन्हें नेपाल का बहादुर नाम का युवक मिला। बहादुर व जितेंद्र ने मिलकर चावल, घी व चने की दाल की खिचड़ी बनाई और उसे मंदिर के पास दुकानदारों व राहगीरों में बांटने लगे। दुकानदारों ने वजह पूछी, तब जितेंद्र ने बताया कि मंदिर में भंडारे की सेवा शुरू कर रहे हैं। इसके अगले दिन मंदिर परिसर में 30 लोगों से भंडारे की सेवा शुरू की। भंडारे में खाना खाने वालों की संख्या लगातार बढ़ती चली गई। कोरोना काल में भी भंडारे का खाना पैकिंग में जरूरतमंदों तक पहुंचाया।

रोज पहुंचते 400-500 लोग, 70 किलो आटे व 20-25 किलो दाल-सब्जी खपत

सीमा बताती हैं हर दिन मंदिर में लग रहे भंडारे में खाना खाने 400-500 लोग पहुंचते हैं। इनके लिए खाना बनाने को पेड वर्कर्स हैं। रोज करीब 70 किलो आटा व 20-25 किलो दाल-सब्जी की खपत होती है। दाल, रोटी व सब्जी के अलावा पूड़ी बने तो आटे की खपत बढ़ जाती है। चावल परोसे जाने पर आटे की खपत कम हो जाती है। चावल की भी 35-40 किलो की खपत हो जाती है। गर्मियों में खाने के साथ लस्सी और सर्दियों में सुबह के समय चाय-बिस्किट दिए जाते हैं। इसके अलावा मंदिर में लोग मिठाई व फल भी दे जाते हैं, जिसे भंडारे में परोसा जाता है। जन्मदिन, बरसी व अन्य मौकों पर लोग अपनी ओर से भंडारे देने का बुकिंग कराते हैं। सेवा में कमेटी में उपप्रधान संजीव भार्गव, चेयरपर्सन डॉ. ऊषा डीडी सहित जिलेभर से दानी-सज्जनों का सहयोग है।

Seema is carrying forward her husband's vow with Bhandara's service

Seema is carrying forward her husband’s vow with Bhandara’s service– फोटो : Yamuna Nagar

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