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हिसार। शहर की एकमात्र ब्लू बर्ड झील का अस्तित्व खतरे में है। हालात यह है कि झील में पानी का स्तर सिर्फ 3 फुट पानी बचा है। झील में पानी कम होने के कारण मोटर से चलने वाली बोट बंद हैं। यदि झील के बीच बने टापू को समय से नहीं संभाला गया तो मिट्टी कटनी शुरू हो जाएगी।
ब्लू बर्ड झील के ठेकेदार सतपाल सिंह का कहना है कि पिछले छह साल से पर्यटन विभाग की ओर से झील में कोई भी काम नहीं करवाया गया है। झील में पानी कम रह गया है। इस कारण पहले के मुकाबले पर्यटकों की संख्या भी आधी हो गई है। झील सात फुट गहरी है। वर्तमान समय में झील में 18 बतख हैं।
यह है झील में पानी नहीं होने का कारण
ठेकेदार सतपाल सिंह के अनुसार पहले नहर के माध्यम से झील में पानी भरा जाता था। इसको लेकर नहर से लेकर झील तक एक नाली बनाई हुई थी। मगर एयरपोर्ट बीच में आने के कारण नाली को बंद कर दिया गया है। पिछले करीब तीन साल से झील में नहर से पानी नहीं आ रहा है। ठेकेदार का कहना है कि उन्होंने अपने स्तर पर एक माह पहले ही ट्यूवबेल लगाया है। इस पर लाखों रुपये खर्च हैं। ट्यूबवेल के माध्यम से ही झील में पानी भरा जा रहा है। ठेकेदार का कहना है कि झील में आ रही समस्याओं को लेकर वह दो बार पर्यटन विभाग के एमडी नीरज चड्ढा से भी मिले। हर बाद उन्हें सिर्फ आश्वासन के सिवाय कुछ भी नहीं मिला।
झील में कुल 13 बोट
ब्लू बर्ड झील में कुल 13 बोट हैं। इनमें पैडल से चलने वाली 12 बोट शामिल हैं। जबकि एक बोट मोटर से चलती है। जोकि फिलहाल बंद पड़ी है। कोरोनाकाल से पहले यहां काफी पर्यटक घूमने आते थे। बोट का लुत्फ उठाते थे। मगर अब पर्यटकों की संख्या काफी कम हो गई। ठेकेदार के अनुसार जब तक झील में सुविधाएं नहीं होगी, तब तक यहां पर्यटकों की संख्या नहीं बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि दो साल पहले उन्होंने अपने स्तर पर झील के बीच में टापू तैयार करवाया था, मगर पर्यटन विभाग की ओर से झील पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
झील में ये काम लंबित
– झील के चारों और लाइटें लगवानी हैं।
– झील के बीच बने टापू को पक्का करवाना है।
– झील के चारों तरफ पैदल चलने के लिए फुटपाथ तैयार कराना है।
हिसार। शहर की एकमात्र ब्लू बर्ड झील का अस्तित्व खतरे में है। हालात यह है कि झील में पानी का स्तर सिर्फ 3 फुट पानी बचा है। झील में पानी कम होने के कारण मोटर से चलने वाली बोट बंद हैं। यदि झील के बीच बने टापू को समय से नहीं संभाला गया तो मिट्टी कटनी शुरू हो जाएगी।
ब्लू बर्ड झील के ठेकेदार सतपाल सिंह का कहना है कि पिछले छह साल से पर्यटन विभाग की ओर से झील में कोई भी काम नहीं करवाया गया है। झील में पानी कम रह गया है। इस कारण पहले के मुकाबले पर्यटकों की संख्या भी आधी हो गई है। झील सात फुट गहरी है। वर्तमान समय में झील में 18 बतख हैं।
यह है झील में पानी नहीं होने का कारण
ठेकेदार सतपाल सिंह के अनुसार पहले नहर के माध्यम से झील में पानी भरा जाता था। इसको लेकर नहर से लेकर झील तक एक नाली बनाई हुई थी। मगर एयरपोर्ट बीच में आने के कारण नाली को बंद कर दिया गया है। पिछले करीब तीन साल से झील में नहर से पानी नहीं आ रहा है। ठेकेदार का कहना है कि उन्होंने अपने स्तर पर एक माह पहले ही ट्यूवबेल लगाया है। इस पर लाखों रुपये खर्च हैं। ट्यूबवेल के माध्यम से ही झील में पानी भरा जा रहा है। ठेकेदार का कहना है कि झील में आ रही समस्याओं को लेकर वह दो बार पर्यटन विभाग के एमडी नीरज चड्ढा से भी मिले। हर बाद उन्हें सिर्फ आश्वासन के सिवाय कुछ भी नहीं मिला।
झील में कुल 13 बोट
ब्लू बर्ड झील में कुल 13 बोट हैं। इनमें पैडल से चलने वाली 12 बोट शामिल हैं। जबकि एक बोट मोटर से चलती है। जोकि फिलहाल बंद पड़ी है। कोरोनाकाल से पहले यहां काफी पर्यटक घूमने आते थे। बोट का लुत्फ उठाते थे। मगर अब पर्यटकों की संख्या काफी कम हो गई। ठेकेदार के अनुसार जब तक झील में सुविधाएं नहीं होगी, तब तक यहां पर्यटकों की संख्या नहीं बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि दो साल पहले उन्होंने अपने स्तर पर झील के बीच में टापू तैयार करवाया था, मगर पर्यटन विभाग की ओर से झील पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
झील में ये काम लंबित
– झील के चारों और लाइटें लगवानी हैं।
– झील के बीच बने टापू को पक्का करवाना है।
– झील के चारों तरफ पैदल चलने के लिए फुटपाथ तैयार कराना है।
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