ढाका में छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट के जजों से इस्तीफे की मांग करते हुए प्रदर्शन किया।
बांग्लादेश में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ओबैदुल हसन ने इस्तीफा देने की घोषणा की है। उनके इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शनकारी छात्रों ने शनिवार सुबह सुप्रीम कोर्ट को घेर लिया। प्रदर्शनकारी बड़ी तादाद में वहां इकट्ठा हुए थे।
छात्रों ने कहा, “अगर जजों ने इस्तीफे नहीं दिए तो हसीना की तरह उन्हें भी कुर्सी से खींचकर उतार देंगे।” प्रदर्शनकारी छात्रों ने आरोप लगाए थे कि सुप्रीम कोर्ट के जज हसीना से मिले हुए हैं।
इन जजों ने अंतरिम सरकार से पूछे बिना ही शनिवार को पूरी कोर्ट की एक बैठक बुलाई। इस मीटिंग के चलते प्रदर्शनकारियों ने एक घंटे के भीतर जजों से इस्तीफा देने की मांग की।
सुप्रीम कोर्ट के बाहर चीफ जस्टिस के इस्तीफे की मांग करते छात्र…VIDEO
ढाका में सुप्रीम कोर्ट के बाहर छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं।
प्रदर्शन के दौरान लोग चीफ जस्टिस के खिलाफ नारे लगा रहे थे।
प्रदर्शन में छात्रों के अलावा आम लोगों ने भी हिस्सा लिया।
वहीं, बांग्लादेश में हसीना के इस्तीफे के बाद से हिंसा, लूटपाट और आगजनी की घटनाएं बढ़ गई हैं। इनके खिलाफ शुक्रवार को हिंदू जागरण मंच ने ढाका में प्रदर्शन किया।
बांग्ला अखबार ढाका ट्रिब्यून के मुताबिक शाहबाग चौक पर हजारों लोग जमा हुए और हिंसा के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने हरे कृष्णा-हरे रामा के नारे भी लगाए।
‘हिंसा में तोड़े गए मंदिर फिर बनवाएं’
ढाका में प्रदर्शनकारी ने कहा कि दिनाजपुर में चार हिंदू गांवों को जला दिया गया है। लोग बेसहारा हो गए हैं, छिप-छिपकर रहने को मजबूर हैं। बांग्लादेश में शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद से ही हिंदू समुदाय पर हमले बढ़ गए हैं।
प्रदर्शन के दौरान हिंदू समुदाय ने अल्पसंख्यक मंत्रालय की स्थापना, अल्पसंख्यक संरक्षण आयोग का गठन, अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमलों को रोकने के लिए सख्त कानून बनाने और संसद में अल्पसंख्यकों के लिए 10 फीसदी सीटें रखने की मांग की।
प्रदर्शनकारियों ने हिंसा से प्रभावित लोगों के लिए मुआवजा भी मांगा। इसके अलावा तोड़े गए मंदिरों को फिर से बनाने की भी मांग की। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे इस देश में पैदा हुए हैं। यह उनके पूर्वजों की जमीन है। यह देश उनका भी उतना ही है। वे भले ही यहां मार दिए जाएं, फिर भी अपना जन्मस्थान बांग्लादेश नहीं छोड़ेंगे। अपना अधिकार पाने के लिए सड़कों पर रहेंगे।
प्रदर्शन कर रहे लोगों ने हरे-कृष्णा के नारा लगाए…
अवामी लीग ने भी चिंता जताई
बांग्लादेश में हिंसा के बाद से ही हजारों बांग्लादेशी हिंदू भारत आने के लिए सीमा पर पहुंचे हुए हैं। उन्हें समझा-बुझाकर वापस भेजा जा रहा है। हिंदू नागरिकों के खिलाफ हिंसा को लेकर शेख हसीना की अवामी लीग ने भी चिंता जताई है।
पार्टी ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि बांग्लादेश में 5 अगस्त से ही हिंदू अपने साथियों, संपत्तियों और मंदिरों पर हमलों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के खिलाफ जारी हिंसा के बीच संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता ने कहा कि वह नस्लीय आधार पर किसी भी हमले या हिंसा के खिलाफ हैं। उन्होंने हिंसा को खत्म करने की अपील की।
बांग्लादेश की राजधानी ढाका में शुक्रवार को प्रदर्शन करते हिंदू संगठन से जुड़े लोग।
52 जिलों में हिंदुओं पर हमले हुए, मोहम्मद यूनुस से मांगी सुरक्षा
बांग्लादेश की आबादी 17 करोड़ है, जिसमें हिंदू करीब 7.95% (1.35 करोड़) हैं। बांग्लादेश में हिंदू दूसरा सबसे बड़ा धर्म है। देश के 64 में से 61 जिले में हिंदुओं की बड़ी आबादी रहती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक बांग्लादेश में हिंदू, हसीना की पार्टी अवामी लीग के समर्थक माने जाते हैं। यही वजह है कि अब वे निशाने पर हैं।
बांग्लादेश हिंदू, बौद्ध, ईसाई एकता परिषद के मुताबिक, देश के 64 में से 52 जिले में हिंदुओं और उनकी संपत्तियों को निशाना बनाया गया। परिषद ने कहा है कि अल्पसंख्यकों की आबादी डर-डरकर जीने को मजबूर है। उन्होंने सरकार प्रमुख मोहम्मद यूनुस से सुरक्षा और संरक्षण की मांग की है।
हसीना के बेटे बोले- मेरी मां अब भी प्रधानमंत्री
शेख हसीना के बेटे जॉय ने कहा कि उनकी मां भारत जाने से पहले इस्तीफा नहीं देना चाहती थीं। रॉयटर्स से बात करते हुए उन्होंने कहा, “मेरी मां ने आधिकारिक तौर पर इस्तीफा नहीं दिया। उनके पास इतना वक्त नहीं था। आधिकारिक तौर पर वे अब भी प्रधानमंत्री हैं।”
जॉय ने कहा कि वो बयान जारी करने के बाद आधिकारिक तौर पर इस्तीफा देना चाहती थीं, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने PM आवास की तरफ मार्च करना शुरू कर दिया। मेरी मां के पास कुछ करने के लिए समय ही नहीं बचा। जहां तक संविधान की बात है मेरी मां अभी भी बांग्लादेश की प्रधानमंत्री हैं।
जॉय ने कहा कि राष्ट्रपति ने सेना प्रमुख और विपक्षी नेताओं की सलाह के बाद संसद भंग कर दी। लेकिन प्रधानमंत्री के औपचारिक रूप से इस्तीफा दिए बिना कार्यवाहक सरकार के गठन को अदालत में चुनौती दी जा सकती है।
जॉय ने यह भी कहा कि हसीना की अवामी लीग पार्टी अगला चुनाव लड़ेगी, जो तीन महीने के भीतर होना चाहिए। उन्होंने यकीन दिलाया कि चुनाव हुए तो अवामी लीग सत्ता में फिर से आएगी। अगर ऐसा नहीं भी होता है तो वे विपक्ष में रहना चाहेंगे।
शेख हसीना के बेटे ने कहा कि उनकी मां को आधिकारिक इस्तीफा देने के लिए वक्त ही नहीं मिला।
मेरी मां ट्रायल का सामना करने को तैयार
जॉय ने शेख हसीना की विरोधी नेता खालिदा जिया के बयान पर भी खुशी जताई। गुरुवार को पूर्व प्रधानमंत्री जिया ने कहा था कि हसीना से कोई बदला नहीं लिया जाना चाहिए। जॉय ने कहा कि बदले की राजनीति नहीं होनी चाहिए। हमें मिलकर काम करना चाहिए।
जॉय ने बांग्लादेश में लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव कराने के लिए विरोधी पार्टी BNP के साथ मिलकर काम करने की बात कही। जॉय ने ये भी कहा कि छात्र नेताओं की मांग के मुताबिक उनकी मां शेख हसीना, ट्रायल का सामना करने के लिए भी तैयार हैं।
जॉय ने कहा, “गिरफ्तारी का डर मेरी मां को नहीं डरा सकता। मेरी मां ने कुछ भी गलत नहीं किया। उनकी सरकार में कुछ लोगों ने गलत काम किए इसका मतलब ये नहीं कि इसे करने का आदेश शेख हसीना ने दिया था।”
जॉय ने ये नहीं बताया कि प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का आदेश किसने दिया था। उन्होंने कहा कि सरकारी मशीनरी बहुत बड़ी है। जो लोग भी छात्रों पर गोली चलाने के जिम्मेदार हैं उन्हें कटघरे में खड़ा किया जाना चाहिए। मेरी मां ने किसी भी प्रदर्शनकारी के खिलाफ हिंसा करने का आदेश नहीं दिया था।
उन्होंने कहा कि पुलिस हिंसा को रोकने की कोशिश कर रही थी, लेकिन कुछ अधिकारियों ने जल्दबाजी में गलत फैसले लिए।
हसीना के विरोधियों से मिल रहे थे अमेरिकी अधिकारी:पूर्व PM ने कहा था-एक गोरा चुनाव में ऑफर दे रहा; क्या अमेरिका ने गिराई सरकार
अप्रैल 2023 की बात है। शेख हसीना बांग्लादेश की संसद में भाषण देते हुए कहती हैं, “अमेरिका चाहे तो किसी भी देश में सत्ता बदल सकता है। अगर उन्होंने यहां कोई सरकार बनवाई तो वो लोगों की चुनी सरकार नहीं होगी।”
हसीना के इस बयान के एक साल और 3 महीने बाद 5 अगस्त को न सिर्फ उन्हें इस्तीफा देना पड़ता है, बल्कि देश तक छोड़ना पड़ा। 3 दिन बाद बांग्लादेश में गुरुवार रात को अंतरिम सरकार बनी। सेना ने इस सरकार को एडवाइजरी काउंसिल नाम दिया है। नोबेल पीस प्राइज विजेता मोहम्मद यूनुस को इसका चीफ बनाया गया है।
वही, मोहम्मद यूनुस जिन पर हसीना विदेशी एजेंट होने के आरोप लगाती रही हैं। यूनुस के अमेरिका से अच्छे संबंध हैं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या अमेरिका ने हसीना के तख्तापलट में कोई भूमिका निभाई है। 3 वजहें जो इसकी तरफ इशारा करती हैं… पूरी खबर यहां पढ़ें…
बांग्लादेश में चीफ जस्टिस इस्तीफा देंगे:सुप्रीम कोर्ट घेरकर छात्रों ने कहा था- कुर्सी से खींचकर उतारेंगे; हिंदुओं पर हमले के खिलाफ हजारों का प्रदर्शन