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माई सिटी रिपोर्टर
करनाल। बारिश के मौसम में 130 करोड़ की सीवरेज नेटवर्क परियोजना के लाभ की आस टूट गई है। अमृत योजना के तहत शहर की बाहरी कॉलोनियों में बेहतर सीवरेज नेटवर्क देने और शहर के गंदे नालों से पहुंचने वाले लाखों लीटर पानी को एसटीपी से उपचारित करके सिंचाई के लिए खेतों को देने के लिए 2017 में शुरू की गई 130 करोड़ की परियोजना का कार्य शीघ्र शुरू होता दिखाई नहीं दे रहा है।
योजना 28 फरवरी को पूरी होनी थी, जो नहीं हो सकी। निगम ने नोटिस जारी कर भारी भरकम जुर्माना लगाया तो निर्माणदायी संस्थाओं ने काम बंद कर दिया। अब नगर निगम ने नई संस्था को कार्य देने से पहले पुरानी संस्थाओं के कार्य का आकलन किया। अभी पाइप लाइन आदि की पैमाइश की जा रही है, अनुमान है कि करीब 93 करोड़ रुपये का कार्य हो चुका है। शेष कार्य नई संस्था से कराने की तैयारी की जा रही है। फिलहाल अभी टेंडर नहीं हो सका है।
130 करोड़ की लागत वाले सीवरेज नेटवर्क परियोजना की कार्यदायी संस्था टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड और खिलाड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा.लि. थी। बड़ी परियोजना का कार्य डेढ़ महीने पहले ही ठप हो चुका है। कंपनी के अधिकांश अधिकारी, कर्मचारी चले गए हैं। सवाल ये है कि करोड़ों रुपये की लागत से जो कार्य हो चुका है, देखरेख व निरंतरता के अभाव में उसके खराब होने की संभावना है। इस परियोजना में फूसगढ़ में 20 एमएलडी और शिव कॉलोनी में आठ एमएलडी का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) व 140 किलो मीटर लंबी सीवरेज पाइप लाइन शामिल है। बीते डेढ़ माह से परियोजना का कार्य पूरी तरह ठप है। उम्मीद ये थी कि ये परियोजना बारिश के मौसम से पहले शुरू हो जाएगी तो शहर के गंदे जल की निकासी पर्याप्त मात्रा में हो सकेगी और पानी को उपचारित करके सिंचाई के लिए दिया जा सकेगा, लेकिन परियोजना कार्य बीच में लटक जाने से ये उम्मीद टूट चुकी है।
टेंडर प्रक्रिया जल्द पूरी करने का आश्वासन
एजेंसी पर जहां नगर निगम ने लेटलतीफी पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था, वहीं निर्माणदायी एजेंसियों की इएमडी, सिक्योरिटी मनी आदि भी रोकी गई है, जो करीब 10 करोड़ से अधिक है। हालांकि निर्माणदायी एजेंसियां इस मामले को कोर्ट में ले जाने की तैयारी है, लेकिन नगर निगम नई एजेंसी को कार्य देने के लिए टेंडर प्रक्रिया शीघ्र पूरी करने की बात कह रहा है।
जो कार्य पुरानी एजेंसियों ने किया है, उसका आकलन किया जा रहा है। पैमाइश चल रही है। अनुमान है कि 130 करोड़ में से करीब 93 करोड़ रुपये का करीब 82 प्रतिशत कार्य हो चुका है। जो कार्य शेष रह गया है, उसे नई एजेंसी को दिया जाएगा। इसके लिए शीघ्र ही टेंडर लगाया जाएगा।
सतीश शर्मा, कार्यकारी अभियंता, नगर निगम करनाल
माई सिटी रिपोर्टर
करनाल। बारिश के मौसम में 130 करोड़ की सीवरेज नेटवर्क परियोजना के लाभ की आस टूट गई है। अमृत योजना के तहत शहर की बाहरी कॉलोनियों में बेहतर सीवरेज नेटवर्क देने और शहर के गंदे नालों से पहुंचने वाले लाखों लीटर पानी को एसटीपी से उपचारित करके सिंचाई के लिए खेतों को देने के लिए 2017 में शुरू की गई 130 करोड़ की परियोजना का कार्य शीघ्र शुरू होता दिखाई नहीं दे रहा है।
योजना 28 फरवरी को पूरी होनी थी, जो नहीं हो सकी। निगम ने नोटिस जारी कर भारी भरकम जुर्माना लगाया तो निर्माणदायी संस्थाओं ने काम बंद कर दिया। अब नगर निगम ने नई संस्था को कार्य देने से पहले पुरानी संस्थाओं के कार्य का आकलन किया। अभी पाइप लाइन आदि की पैमाइश की जा रही है, अनुमान है कि करीब 93 करोड़ रुपये का कार्य हो चुका है। शेष कार्य नई संस्था से कराने की तैयारी की जा रही है। फिलहाल अभी टेंडर नहीं हो सका है।
130 करोड़ की लागत वाले सीवरेज नेटवर्क परियोजना की कार्यदायी संस्था टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड और खिलाड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा.लि. थी। बड़ी परियोजना का कार्य डेढ़ महीने पहले ही ठप हो चुका है। कंपनी के अधिकांश अधिकारी, कर्मचारी चले गए हैं। सवाल ये है कि करोड़ों रुपये की लागत से जो कार्य हो चुका है, देखरेख व निरंतरता के अभाव में उसके खराब होने की संभावना है। इस परियोजना में फूसगढ़ में 20 एमएलडी और शिव कॉलोनी में आठ एमएलडी का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) व 140 किलो मीटर लंबी सीवरेज पाइप लाइन शामिल है। बीते डेढ़ माह से परियोजना का कार्य पूरी तरह ठप है। उम्मीद ये थी कि ये परियोजना बारिश के मौसम से पहले शुरू हो जाएगी तो शहर के गंदे जल की निकासी पर्याप्त मात्रा में हो सकेगी और पानी को उपचारित करके सिंचाई के लिए दिया जा सकेगा, लेकिन परियोजना कार्य बीच में लटक जाने से ये उम्मीद टूट चुकी है।
टेंडर प्रक्रिया जल्द पूरी करने का आश्वासन
एजेंसी पर जहां नगर निगम ने लेटलतीफी पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था, वहीं निर्माणदायी एजेंसियों की इएमडी, सिक्योरिटी मनी आदि भी रोकी गई है, जो करीब 10 करोड़ से अधिक है। हालांकि निर्माणदायी एजेंसियां इस मामले को कोर्ट में ले जाने की तैयारी है, लेकिन नगर निगम नई एजेंसी को कार्य देने के लिए टेंडर प्रक्रिया शीघ्र पूरी करने की बात कह रहा है।
जो कार्य पुरानी एजेंसियों ने किया है, उसका आकलन किया जा रहा है। पैमाइश चल रही है। अनुमान है कि 130 करोड़ में से करीब 93 करोड़ रुपये का करीब 82 प्रतिशत कार्य हो चुका है। जो कार्य शेष रह गया है, उसे नई एजेंसी को दिया जाएगा। इसके लिए शीघ्र ही टेंडर लगाया जाएगा।
सतीश शर्मा, कार्यकारी अभियंता, नगर निगम करनाल
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