कुरुक्षेत्र। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कमेटी रूम में कुमाऊं यूनिवर्सिटी नैनीताल के रसायन विभाग तथा कुवि के भौतिकी विभाग के बीच वेस्ट टू वेल्थ रिसाइक्लिंग प्लास्टिक मैनेजमेंट के तहत एमओयू हुआ है। कुवि की ओर से कुलसचिव प्रो. संजीव शर्मा तथा कुमाऊं विश्वविद्यालय के रिसर्च एंड डेवलपमेंट नेनो साइंस एंड नैनो टेक्नोलॉजी के निदेशक प्रो. एनजी साहू ने हस्ताक्षर किए। कुमाऊं विश्वविद्यालय के रिसर्च एंड डेवलपमेंट नैनो साइंस एंड नैनो टेक्नोलॉजी के निदेशक प्रो. नंद गोपाल साहू ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की और इस क्षेत्र में हुए शोध के बारे में चर्चा की। इसी के साथ अलग-अलग हिस्सों में वेस्ट प्लास्टिक मैनेजमेंट के माध्यम से लगाए गए प्लांट के बारे में जानकारी प्रदान की।
कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि एमओयू से प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट के क्षेत्र में जहां शोध के नए आयाम स्थापित होंगे तो वहीं पर दूसरी ओर प्लास्टिक वेस्टेज को रिसाइक्लिंग करके सामाजिक समस्याओं को दूर किया जाएगा। भविष्य में दोनों विश्वविद्यालयों के शिक्षक एवं शोधार्थी शोध के विषय में नई संभावनाओं के ज्ञान का आदान-प्रदान करेंगे। वर्तमान दौर में प्लास्टिक वेस्ट सबसे बड़ी सामाजिक समस्या है। इस समस्या के समाधान के लिए एमओयू के माध्यम से नए रास्ते खुलेंगे। इससे सिविल इंजीनियरिंग, ऊर्जा स्टोरेज, दवाइयां, जल शुद्धिकरण एवं रोड बनाने के लिए मैटेरियल की उपलब्धता भी हासिल होगी।
उन्होंने बताया कि एमओयू के तहत दोनों विश्वविद्यालयों में उपलब्ध शिक्षण, अकादमी, शोध, प्रयोगशालाओं की सुविधाओं का लाभ स्टाफ संकाय और छात्र साझा कर सकेंगे। इसके तहत कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय तथा कुमाऊं विश्वविद्यालय के चयनित छात्रों को प्रशिक्षण एवं इंटर्नशिप सुविधाएं भी प्रदान की जा सकेंगी। कुवि में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत सभी छात्रों के लिए इंटर्नशिप का प्रयोजन किया है।
नेशन मिशन ऑन हिमालयन स्टडीज मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरमेंट एंड फोरेस्ट क्लाइमेट चेंज के तहत इस प्रोजेक्ट के लिए 1.9 करोड़ की अनुदान राशि प्रदान की गई है। इस मौके पर डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रो. अनिल वशिष्ठ, प्रो. दिनेश कुमार, प्रो. संजीव अग्रवाल सहित अन्य सदस्य मौजूद रहे।
बैटरियों में प्रयोग होने वाले मैटेरियल पर शोध करेगा कुवि
भौतिकी विभाग की डॉ. सुमन मेहंदिया ने एमओयू के अवसर पर इस प्रोजेक्ट की संभावनाओं की रिपोर्ट प्रस्तुत की। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय इस क्षेत्र में क्वायन सैल, पाउच सैल के माध्यम से बैटरियों में प्रयोग होने वाली मैटीरियल पर शोध करेगा। भौतिकी विभाग के अध्यक्ष प्रो. फकीर चंद ने कहा कि भविष्य में भौतिकी विभाग के शोध छात्रों एवं शिक्षकों के लिए यह एमओयू वरदान साबित होगा।
पेनिकल माइट बीमारी से तरह धान की फसल को करती है प्रभावित
बालियों में चावल के दाने नहीं बन पाते। यह धान फसल के लिए बहुत खतरनाक कीट है। पंचर वाले स्थान पर फंगस लग जाता है, जिससे बालिया बदरंग हो जाती हैं और दूध का भराव नहीं हो पाता, जिससे चावल बनने की प्रकिया रुक जाती है।
प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट के क्षेत्र में शोध के नए आयाम होंगे स्थापित : प्रो. साेमनाथ