प्रदेश के एकमात्र प्लांट में कच्ची नहीं उबाल कर सुखाई गई हल्दी की होगी खरीद


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यमुनानगर। रादौर में बापौली रोड पर तैयार हो रहे आधुनिक मशीनों से युक्त प्लांट में अगले साल से हल्दी की खरीद हो सकेगी, लेकिन इसके लिए किसानों को उबालकर सुखाई गई हल्दी लाना होगा। कारण कि कच्ची हल्दी की खरीद नहीं की जाएगी। विदित हो कि यह प्रदेश का एकमात्र प्लांट होगा जिसमें हल्दी खरीदकर प्रोसेसिंग की जाएगी। प्लांट में पिसाई के साथ-साथ हल्दी का तेल भी निकाला जाएगा। हल्दी में करक्यूमिन की जांच करने के लिए प्लांट में लैब भी बनाई जाएगी।
बापौली में हल्दी प्रोसेसिंग प्लांट वर्ष 2009 में लगा था। इसमें रोजाना दो टन हल्दी प्रोसेसिंग हो पाती थी, परंतु यह प्लांट किसानों व सरकार दोनों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। तीन-चार साल में ही प्लांट बंद हो गया। इसमें लगी मशीनरी जंग खाने लगी। इसके बंद होने का कारण किसानों को हल्दी का जायज रेट न मिलना भी रहा। किसानों ने शुरुआत में अच्छी बिक्री होते देख हजारों एकड़ में हल्दी उगाई। किसानों से पहले तो 20 रुपये किलोग्राम की दर से हल्दी खरीदी गई, लेकिन बाद में हल्दी का रेट छह रुपये किलोग्राम पर आ गया। इस कारण किसानों ने हल्दी उगानी ही बंद कर दी। इससे प्लांट पर भी ताला लग गया। अब हैफेड द्वारा इस पर छह करोड़ 69 लाख रुपये खर्च कर इसमें अत्याधुनिक मशीनें लगाई जा रही हैं। साथ ही इसके भवन का भी विस्तार हो रहा है। दिसंबर तक सारा काम पूरा होने की उम्मीद है। इसके बाद अगले साल से इसे शुरू किया जा सकेगा।
200 एकड़ में लगाने का लक्ष्य : कृष्ण कुमार
जिला बागवानी अधिकारी डॉ. कृष्ण कुमार ने बताया कि इस साल विभाग ने जिले में 200 एकड़ में हल्दी लगाने का लक्ष्य रखा है। जिले के प्रतापनगर, छछरौली व रादौर क्षेत्र में सबसे ज्यादा हल्दी लगाई जाती है। एक एकड़ में आठ क्विंटल हल्दी का बीज लगता है। प्रति एकड़ औसतन 80 क्विंटल हल्दी की पैदावार होती है। प्लांट में हल्दी को सुखाने के बाद ही खरीदा जाएगा। सरकार ने हल्दी को भावांतर भरपाई योजना में भी शामिल किया है। इसके अनुसार यदि किसान की हल्दी ज्यादा रेट पर नहीं बिकती तो सरकार किसान से कम से कम 1400 रुपये प्रति क्विंटल हल्दी की खरीद तो करेगी ही।
ज्यादा करक्यूमिन व तेल वाली हल्दी की किस्में:
हल्दी की किस्म करक्यूमिन तेल
रोमा 9.3 4.2
सुगुना 7.3 6.0
राजिंद्र सोनिया 8.4 5.0
आईआईएसआ- प्रतिभा 6.2 6.2
आईआईएसआर- प्रभा 6.5 6.5

यमुनानगर। रादौर में बापौली रोड पर तैयार हो रहे आधुनिक मशीनों से युक्त प्लांट में अगले साल से हल्दी की खरीद हो सकेगी, लेकिन इसके लिए किसानों को उबालकर सुखाई गई हल्दी लाना होगा। कारण कि कच्ची हल्दी की खरीद नहीं की जाएगी। विदित हो कि यह प्रदेश का एकमात्र प्लांट होगा जिसमें हल्दी खरीदकर प्रोसेसिंग की जाएगी। प्लांट में पिसाई के साथ-साथ हल्दी का तेल भी निकाला जाएगा। हल्दी में करक्यूमिन की जांच करने के लिए प्लांट में लैब भी बनाई जाएगी।

बापौली में हल्दी प्रोसेसिंग प्लांट वर्ष 2009 में लगा था। इसमें रोजाना दो टन हल्दी प्रोसेसिंग हो पाती थी, परंतु यह प्लांट किसानों व सरकार दोनों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। तीन-चार साल में ही प्लांट बंद हो गया। इसमें लगी मशीनरी जंग खाने लगी। इसके बंद होने का कारण किसानों को हल्दी का जायज रेट न मिलना भी रहा। किसानों ने शुरुआत में अच्छी बिक्री होते देख हजारों एकड़ में हल्दी उगाई। किसानों से पहले तो 20 रुपये किलोग्राम की दर से हल्दी खरीदी गई, लेकिन बाद में हल्दी का रेट छह रुपये किलोग्राम पर आ गया। इस कारण किसानों ने हल्दी उगानी ही बंद कर दी। इससे प्लांट पर भी ताला लग गया। अब हैफेड द्वारा इस पर छह करोड़ 69 लाख रुपये खर्च कर इसमें अत्याधुनिक मशीनें लगाई जा रही हैं। साथ ही इसके भवन का भी विस्तार हो रहा है। दिसंबर तक सारा काम पूरा होने की उम्मीद है। इसके बाद अगले साल से इसे शुरू किया जा सकेगा।

200 एकड़ में लगाने का लक्ष्य : कृष्ण कुमार

जिला बागवानी अधिकारी डॉ. कृष्ण कुमार ने बताया कि इस साल विभाग ने जिले में 200 एकड़ में हल्दी लगाने का लक्ष्य रखा है। जिले के प्रतापनगर, छछरौली व रादौर क्षेत्र में सबसे ज्यादा हल्दी लगाई जाती है। एक एकड़ में आठ क्विंटल हल्दी का बीज लगता है। प्रति एकड़ औसतन 80 क्विंटल हल्दी की पैदावार होती है। प्लांट में हल्दी को सुखाने के बाद ही खरीदा जाएगा। सरकार ने हल्दी को भावांतर भरपाई योजना में भी शामिल किया है। इसके अनुसार यदि किसान की हल्दी ज्यादा रेट पर नहीं बिकती तो सरकार किसान से कम से कम 1400 रुपये प्रति क्विंटल हल्दी की खरीद तो करेगी ही।

ज्यादा करक्यूमिन व तेल वाली हल्दी की किस्में:

हल्दी की किस्म करक्यूमिन तेल

रोमा 9.3 4.2

सुगुना 7.3 6.0

राजिंद्र सोनिया 8.4 5.0

आईआईएसआ- प्रतिभा 6.2 6.2

आईआईएसआर- प्रभा 6.5 6.5

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