पिता ने दफनि रात रेहड़ी खींच बेटे के तन पर सजाई खाकी


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यमुुनानगर। खुद गरीबी में पला बढ़ा और मेहनत मजदूरी कर दो वक्त की रोटी का जुगाड़ किया, लेकिन बेटों की पढ़ाई में गरीबी को आड़े नहीं आने दिया। बच्चों को पढ़ाने के लिए खुद देर रात तक रेहड़ी पर सामान ढोया। सिर पर भारी भरकम वजन उठाने से खुद ठीक से बोल भी नहीं पाते। डाक्टर ने आपरेशन की सलाह दी थी, लेकिन सपना था बेटे को अफसर बनाने का। अपनी परवाह छोड़ बेटों को पढ़ाने में खून पसीने की कमाई लगा दी। मेहनत रंग लाई और बड़ा बेटा विशाल उर्फ अभिषेक हरियाणा पुलिस में सब इंस्पेक्टर पद के लिए चयनित हुआ। बात हो रही है बिलासपुर की वाल्मीकि बस्ती निवासी बलबीर सिंह की।
बलबीर सिंह करीब 25 साल से पल्लेदार (हाथ से खींचने वाली रेहड़ी पर सामान ढोना) हैं। एक जगह से रेहड़ी पर सामान लाद कर दूसरी दुकान पर ले जाते हैं। खुद ही सामान को सिर पर रखकर रेहड़ी से दुकान के अंदर रखते हैं। रेहड़ी पर पांच से सात क्विंटल वजन भी उन्होंने खींचा। कई बार ऐसा भी हुआ कि दिनभर में काम न मिलने से मुश्किल से 50 रुपये भी नहीं कमा सके। सिर पर लगातार वजन उठाने से करीब आठ साल पहले उनके गले की नसें कमजोर होने लगी और धीरे-धीरे उनके बोलने की क्षमता बहुत कम हो गई। अब कुछ बोलते हैं तो बहुत जोर लगाना पड़ता है। इससे पहले डाक्टर से उपचार कराया तो पता चला था कि ऑपरेशन कराने से ठीक हो सकते हैं, परंतु उन्होंने बच्चों की पढ़ाई की खातिर कुछ साल के लिए ऑपरेशन कराने का निर्णय टाल दिया।
अब बलबीर सिंह का बड़ा बेटा विशाल बीटेक करने के बाद हाल ही में हरियाणा पुलिस में सब इंस्पेक्टर के लिए चयनित हुआ है और इन दिनों ट्रेनिंग पर है। विशाल ने भी कई बार पिता के साथ रेहड़ी पर मदद की। उनका छोटा बेटा आकाश भी बीटेक कर रहा है। आकाश ने बताया कि उन्हें पढ़ाने के लिए पिता ने कठिन तपस्या की है। अब समय आ गया है कि वह भी बेटे का फर्ज निभाएं। उन्होंने कहा कि जल्द ही पिता के गले का ऑपरेशन कराएंगे।
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पड़ोसी भी देते हैं मिसाल
पड़ोस में रहने वाले लोग भी बलबीर सिंह की मिसाल देते हैं। महर्षि वाल्मीकि सभा के प्रधान राकेश गागट, पूर्व पंचायत सदस्य विक्रम बोहट, सतपाल गागट, बिट्टू, मास्टर राजपाल ने बताया कि बलबीर सिंह ने अपने स्वास्थ्य की परवाह न करते हुए भी बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाई। एक बेटा आज सब इंस्पेक्टर है। वहीं दूसरा बेटा भी बीटेक कर रहा है। यह सब बलबीर सिंह की मेहनत से ही हो पाया है।

यमुुनानगर। खुद गरीबी में पला बढ़ा और मेहनत मजदूरी कर दो वक्त की रोटी का जुगाड़ किया, लेकिन बेटों की पढ़ाई में गरीबी को आड़े नहीं आने दिया। बच्चों को पढ़ाने के लिए खुद देर रात तक रेहड़ी पर सामान ढोया। सिर पर भारी भरकम वजन उठाने से खुद ठीक से बोल भी नहीं पाते। डाक्टर ने आपरेशन की सलाह दी थी, लेकिन सपना था बेटे को अफसर बनाने का। अपनी परवाह छोड़ बेटों को पढ़ाने में खून पसीने की कमाई लगा दी। मेहनत रंग लाई और बड़ा बेटा विशाल उर्फ अभिषेक हरियाणा पुलिस में सब इंस्पेक्टर पद के लिए चयनित हुआ। बात हो रही है बिलासपुर की वाल्मीकि बस्ती निवासी बलबीर सिंह की।

बलबीर सिंह करीब 25 साल से पल्लेदार (हाथ से खींचने वाली रेहड़ी पर सामान ढोना) हैं। एक जगह से रेहड़ी पर सामान लाद कर दूसरी दुकान पर ले जाते हैं। खुद ही सामान को सिर पर रखकर रेहड़ी से दुकान के अंदर रखते हैं। रेहड़ी पर पांच से सात क्विंटल वजन भी उन्होंने खींचा। कई बार ऐसा भी हुआ कि दिनभर में काम न मिलने से मुश्किल से 50 रुपये भी नहीं कमा सके। सिर पर लगातार वजन उठाने से करीब आठ साल पहले उनके गले की नसें कमजोर होने लगी और धीरे-धीरे उनके बोलने की क्षमता बहुत कम हो गई। अब कुछ बोलते हैं तो बहुत जोर लगाना पड़ता है। इससे पहले डाक्टर से उपचार कराया तो पता चला था कि ऑपरेशन कराने से ठीक हो सकते हैं, परंतु उन्होंने बच्चों की पढ़ाई की खातिर कुछ साल के लिए ऑपरेशन कराने का निर्णय टाल दिया।

अब बलबीर सिंह का बड़ा बेटा विशाल बीटेक करने के बाद हाल ही में हरियाणा पुलिस में सब इंस्पेक्टर के लिए चयनित हुआ है और इन दिनों ट्रेनिंग पर है। विशाल ने भी कई बार पिता के साथ रेहड़ी पर मदद की। उनका छोटा बेटा आकाश भी बीटेक कर रहा है। आकाश ने बताया कि उन्हें पढ़ाने के लिए पिता ने कठिन तपस्या की है। अब समय आ गया है कि वह भी बेटे का फर्ज निभाएं। उन्होंने कहा कि जल्द ही पिता के गले का ऑपरेशन कराएंगे।

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पड़ोसी भी देते हैं मिसाल

पड़ोस में रहने वाले लोग भी बलबीर सिंह की मिसाल देते हैं। महर्षि वाल्मीकि सभा के प्रधान राकेश गागट, पूर्व पंचायत सदस्य विक्रम बोहट, सतपाल गागट, बिट्टू, मास्टर राजपाल ने बताया कि बलबीर सिंह ने अपने स्वास्थ्य की परवाह न करते हुए भी बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाई। एक बेटा आज सब इंस्पेक्टर है। वहीं दूसरा बेटा भी बीटेक कर रहा है। यह सब बलबीर सिंह की मेहनत से ही हो पाया है।

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