पिता ने कर्जा लेकर दिलाया धनुष, खेलो इंडिया में भजन कौर कल साधेगी निशाना


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अनुपमा जाखड़
सिरसा। कहते है जब मन में कुछ करने की ठान लो तो सारी मुश्किलें अपने आप पीछे हट जाती है। ऐसा कुछ कर रही है ऐलनाबाद के किसान भगवान सिंह की बेेटी भजन कौर। भजन कौर 10 मई से खेलो इंडिया के तहत पंचकूला में 16 ऑल इंडिया खिलाड़ियों के साथ खेलेंगी। वह शुक्रवार को आर्चरी की एकल प्रतियोगिता के पहले राउंड में मैच खेलेगी। इस राउंड में से आठ खिलाड़ी चयनित होंगे। जिनके बीच मुकाबला होगा। भजन कौर को पिता ने आढ़ती व आस-पास से कर्ज लेकर बेटी को इस मुकाम तक पहुंचाया है।
भजन कौर ने अब तक आर्चरी में 10 गोल्ड और चार सिल्वर मेडल जीतकर अपने माता- पिता के साथ-साथ जिले का भी नाम रोशन कर रही है। भजन कौर बताती है कि जब वह 8वीं कक्षा में थी, तो किसी सीनियर की आर्चरी की बौ (धनुष-बाण उपकरण) स्कूल में रह गई थी। इस दौरान स्कूल के एक शिक्षक ने उसे बौ चलाने के लिए कहा। ऐसे में उसने बहुत अच्छे से बौ की सहायता से तीरंदाजी की। इसे देखकर स्कूल के सभी शिक्षक प्रभावित हुए और यहीं से उसका तीरंदाजी का सफर शुरू हो गया। संवाद
पिता ने मुश्किल से जुटाए पैसे
भजन कौर ने बताया कि जब उसने पिता को बताया कि वह तीरंदाजी करना चाहती है तो एक बार पिता को बहुत अच्छा लगा, लेकिन घर की आर्थिक तंगी की परेशानी ने घेर लिया। तीरंदाजी की किट बहुत महंगी आती है। इसलिए उस समय पिता इतने सक्षम नहीं थे कि बेटी को किट लाकर दे सके। बेटी की जिद्द और जज्बा देखकर पिता ने शहर के आढ़तियों से पैसे उधार लिए। वहीं आस – पास से पैसे जुटाकर बेटी के लिए पहली तीरंदाजी की किट 25 हजार रुपये की खरीद लाए। इससे कुछ काम चला लेकिन किट इतनी अच्छी नहीं थी। इसके बाद एक बार फिर से पैसे जुटाकर पिता ने साढ़े तीन लाख रुपये की किट बेटी को लाकर दी।
पिता करते है खेतीबाड़ी
भजन कौर के पिता खेतीबाड़ी करते हैं और माता गृहणी है। उनका एक बहन और एक भाई भी है। छोटा भाई भी आर्चरी का प्रशिक्षण ले रहा है। भाई ने अंडर-9 में खेलते हुए सिल्वर मेडल अपने नाम किया है। वहीं बहन अभी 10वीं कक्षा में पढ़ रही है। बड़ी बहन को तीरंदाजी करते देखते हुए ही भाई ने भी तीरंदाजी करने का मन बनाया।
अब तक ये रही उपलब्धियां
1. 2019 में नेशनल, आईजीएफ, टीम गोल्ड मेडल
2. 2020 में कटपा, आंध्रप्रदेश में टीम गोल्ड मेडल
3 2020 में अमरावती, महाराष्ट्र में टीम गोल्ड, एकल सिल्वर मेडल
3. फरायकलां, झारखंड, एकल में गोल्ड मेडल मेडल
4. अप्रैल 2022 में मीनराणा, अलवर, ऑल इंडिया में गोल्ड, टीम में गोल्ड, मिक्स टीम में सिल्वर, एकल में गोल्ड मेडल
5. सीनियर नेशनल जम्मू, ऑल इंडिया में तीसरा रैंक, हरियाणा मिक्स टीम में गोल्ड मेडल
6. एशिया कप ट्रायल मई 2022 में टीम- गोल्ड, मिक्स टीम में सिल्वर, एकल में सिल्वर मेडल

अनुपमा जाखड़

सिरसा। कहते है जब मन में कुछ करने की ठान लो तो सारी मुश्किलें अपने आप पीछे हट जाती है। ऐसा कुछ कर रही है ऐलनाबाद के किसान भगवान सिंह की बेेटी भजन कौर। भजन कौर 10 मई से खेलो इंडिया के तहत पंचकूला में 16 ऑल इंडिया खिलाड़ियों के साथ खेलेंगी। वह शुक्रवार को आर्चरी की एकल प्रतियोगिता के पहले राउंड में मैच खेलेगी। इस राउंड में से आठ खिलाड़ी चयनित होंगे। जिनके बीच मुकाबला होगा। भजन कौर को पिता ने आढ़ती व आस-पास से कर्ज लेकर बेटी को इस मुकाम तक पहुंचाया है।

भजन कौर ने अब तक आर्चरी में 10 गोल्ड और चार सिल्वर मेडल जीतकर अपने माता- पिता के साथ-साथ जिले का भी नाम रोशन कर रही है। भजन कौर बताती है कि जब वह 8वीं कक्षा में थी, तो किसी सीनियर की आर्चरी की बौ (धनुष-बाण उपकरण) स्कूल में रह गई थी। इस दौरान स्कूल के एक शिक्षक ने उसे बौ चलाने के लिए कहा। ऐसे में उसने बहुत अच्छे से बौ की सहायता से तीरंदाजी की। इसे देखकर स्कूल के सभी शिक्षक प्रभावित हुए और यहीं से उसका तीरंदाजी का सफर शुरू हो गया। संवाद

पिता ने मुश्किल से जुटाए पैसे

भजन कौर ने बताया कि जब उसने पिता को बताया कि वह तीरंदाजी करना चाहती है तो एक बार पिता को बहुत अच्छा लगा, लेकिन घर की आर्थिक तंगी की परेशानी ने घेर लिया। तीरंदाजी की किट बहुत महंगी आती है। इसलिए उस समय पिता इतने सक्षम नहीं थे कि बेटी को किट लाकर दे सके। बेटी की जिद्द और जज्बा देखकर पिता ने शहर के आढ़तियों से पैसे उधार लिए। वहीं आस – पास से पैसे जुटाकर बेटी के लिए पहली तीरंदाजी की किट 25 हजार रुपये की खरीद लाए। इससे कुछ काम चला लेकिन किट इतनी अच्छी नहीं थी। इसके बाद एक बार फिर से पैसे जुटाकर पिता ने साढ़े तीन लाख रुपये की किट बेटी को लाकर दी।

पिता करते है खेतीबाड़ी

भजन कौर के पिता खेतीबाड़ी करते हैं और माता गृहणी है। उनका एक बहन और एक भाई भी है। छोटा भाई भी आर्चरी का प्रशिक्षण ले रहा है। भाई ने अंडर-9 में खेलते हुए सिल्वर मेडल अपने नाम किया है। वहीं बहन अभी 10वीं कक्षा में पढ़ रही है। बड़ी बहन को तीरंदाजी करते देखते हुए ही भाई ने भी तीरंदाजी करने का मन बनाया।

अब तक ये रही उपलब्धियां

1. 2019 में नेशनल, आईजीएफ, टीम गोल्ड मेडल

2. 2020 में कटपा, आंध्रप्रदेश में टीम गोल्ड मेडल

3 2020 में अमरावती, महाराष्ट्र में टीम गोल्ड, एकल सिल्वर मेडल

3. फरायकलां, झारखंड, एकल में गोल्ड मेडल मेडल

4. अप्रैल 2022 में मीनराणा, अलवर, ऑल इंडिया में गोल्ड, टीम में गोल्ड, मिक्स टीम में सिल्वर, एकल में गोल्ड मेडल

5. सीनियर नेशनल जम्मू, ऑल इंडिया में तीसरा रैंक, हरियाणा मिक्स टीम में गोल्ड मेडल

6. एशिया कप ट्रायल मई 2022 में टीम- गोल्ड, मिक्स टीम में सिल्वर, एकल में सिल्वर मेडल

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