कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल को सम्मानित करते हुए सांसद सुभाष बराला व अन्य।
टोहाना। रतिया रोड स्थित शगुन पैलेस में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा प्राकृतिक खेती पर किसान संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की, जबकि अध्यक्षता राज्यसभा सांसद सुभाष बराला ने की। रतिया के विधायक लक्ष्मण नापा विशिष्ट अतिथि रहे। राज्यपाल व अन्य अतिथियों ने कार्यक्रम में विभिन्न किसानों व कंपनियों की ओर से लगाई गई स्टालों का भी निरीक्षण किया।
राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि भावी पीढ़ी को शुद्ध भोजन, जल और हवा उपलब्ध करवानी है तो प्राकृतिक खेती को अपनाना होगा। वर्तमान समय में हरियाणा के बहुत से किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं और इससे उन्हें लाभ भी मिल रहा है। केंद्र सरकार प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के लिए पूरे देश में संवाद कार्यक्रम का आयोजन कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह किसान कल्याण नीति है, पहली बार किसी ने ऐसा कार्यक्रम करने की सोची है।
उन्होंने किसानों को बताया कि हम सबको प्राकृतिक खेती ही अपनानी चाहिए। वर्तमान में रसायन के ज्यादा उपयोग के कारण हमारी जमीन के पोषक तत्व नष्ट होते जा रहे हैं, जो कि भविष्य के लिए बहुत ही खतरनाक हैं। रसायनिक खेती हमें शारीरिक रूप से हानि पहुंचाने के साथ-साथ वातावरण को भी दूषित करती है। गुजरात में 9 लाख 75 हजार किसानों को प्राकृतिक कृषि से जोड़ा है। आने वाले समय में दस लाख किसानों को और जोड़ा जाएगा। हिमाचल प्रदेश में 2 साल में 50 हजार किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ा गया। हिमाचल प्रदेश में एक भी पंचायत ऐसी नहीं, जो प्राकृतिक खेती नहीं करती हो।
इस मौके पर हरकोफेड के चेयरमैन वेद फुलां, भाजपा जिलाध्यक्ष बलदेव ग्रोहा, महामंत्री रिंकू मान, एसडीएम प्रतीक हुड्डा, नगर परिषद चेयरमैन नरेश बंसल, सरदार हरविंदर सिंह लाली, जिले सिंह बराला, संयुक्त निदेशक डॉ.प्रदीप कुमार, कृषि उप निदेशक डॉ.राजेश सिहाग सहित काफी संख्या में किसान मौजूद रहे। वूमेन
गाय के गोबर की खाद का प्रयोग करें : आचार्य
आचार्य देवव्रत ने कहा कि गाय के एक टन गोबर की खाद से लगभग दो किलो नाइट्रोजन बनता है, इसलिए हमें गाय के गोबर की खाद को ही खेत में ज्यादा से ज्यादा उपयोग करना चाहिए। दूध देने वाली देसी गाय के एक किलोग्राम गोबर में लगभग 300 करोड़ सूक्ष्म जीवाणु होते हैं। ये सूक्ष्म जीवाणु ही हमारी भूमि में उत्पादन बढ़ाने को लेकर मित्र कीट का कार्य करते हैं। हरित क्रांति की शुरुआत में जब स्वामीनाथन ने नाइट्रोजन खाद के प्रयोग के लिए कहा तो उस समय एक हेक्टेयर में मात्र 13 किलो खाद प्रयोग करने की सलाह दी थी, लेकिन हम कई कट्टे यूरिया और डीएपी फसलों में प्रयोग कर रहे हैं।
किसानों के हित में थे तीन कृषि कानून : राज्यपाल
राज्यपाल ने कहा कि वर्तमान समय में किसान अपने खेत की पराली को आग लगा देते हैं, जिससे प्रदूषण तो होता ही है साथ ही मिट्टी के मित्र कीट खत्म हो जाते हैं। जिसके कारण भूमि बंजर हो रही है, जो कि किसानों के लिए नुकसानदायक है। उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानून किसानों के पक्ष में थे, लेकिन किसानों ने बिना कुछ समझे उनका विरोध करना शुरू कर दिया।
आधुनिकता के दौर में हम प्राकृतिक खेती भूल गए : बराला
राज्यसभा सांसद सुभाष बराला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की किसान कल्याण नीति के मद्देनजर प्राकृतिक खेती पर यह प्रशिक्षण पहली बार हो रहा है। हरित क्रांति के दौर तक यहां प्राकृतिक खेती होती थी। हम आधुनिकता के दौर में प्राकृतिक खेती को भूलते गए और रसायन खेती को बढ़ावा देते गए। उसका परिणाम यह हुआ कि आज साढ़े नौ लाख भूमि सेमग्रस्त हो चुकी है। उन्होंने आह्वान किया कि हमें प्राकृतिक खेती को और आगे बढ़ना होगा तभी हमारा भविष्य सुरक्षित होगा।
पराली को आग लगाकर मित्र कीटों को नष्ट कर रहे किसान : आचार्य देवव्रत