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- Pt. Vijayshankar Mehta’s Column One Whose Mind Is Active Cannot Remain Calm.
पं. विजयशंकर मेहता
तीन बातों से हमारा संचालन होता है। शरीर स्वस्थ हो, मन निष्क्रिय रहे और आत्मा का बोध बना रहे। अगर हम शरीर के साथ छेड़छाड़ करें, उसे रोगी बनने का अवसर दें तो हमारे सारे क्रियाकलाप हमें दु:खी करेंगे। जिसका मन सक्रिय है, वो कभी शांत रह ही नहीं सकता।
अशांति मिटाने के लिए मन को निष्क्रिय करना ही पड़ेगा। और आत्मा का बोध हमारे आचरण को दिव्य बनाता है। जब हम मन से संचालित होते हैं तो हर बात पर इंस्टैंट रिएक्शन करते हैं और यह त्वरित प्रतिक्रिया की आदत हमें बेचैन कर देती है।
जब हम बुद्धि से संचालित होते हैं, तो हमारी विचारशील प्रक्रिया होती है। और ये कॉन्शस रिस्पॉन्स हमें गहराई दे जाता है। श्रीराम के आचरण में ये बातें देखी जा सकती हैं। राम इतने गहरे व्यक्ति थे कि उन्होंने सुविधा में संघर्ष चुना। हमेशा उन लोगों को प्राथमिकता दी, जो वंचित थे। असहाय लोगों का सहारा बने, इसीलिए उनका जीवन लोक शिक्षण का प्रतीक बन गया।
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: जिसका मन सक्रिय है, वो शांत रह ही नहीं सकता
