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- Column By Pandit Vijayshankar Mehta We Are Giving Speed To Children, But Are Unable To Give Them Patience
पं. विजयशंकर मेहता
पिछले दिनों हमारी संतानों ने कुछ ऐसे काम किए कि लालन-पालन पर ही प्रश्नचिह्न लग गया। किसी ने पत्नी बनकर, किसी ने पति बनकर अपने ही जीवनसाथी के साथ जघन्य कृत्य कर डाला। और अंगुली तो माता-पिता पर उठनी ही है, क्योंकि लालन-पालन में चोर पर नजर रखने की तरह चौकन्ना रहना पड़ेगा।
आज हम बच्चों के भविष्य पर नजर रखते हैं पर उनकी गतिविधियों पर हमारी दृष्टि नहीं पड़ती। इसलिए कब वो गलत रास्ता पकड़ लें, पता नहीं लगता। माता-पिता को सोचना होगा कि हम शिक्षा दे रहे हैं, संस्कार के पते नहीं हैं। हम उनको अच्छा करियर देना चाहते हैं, पर समझ नहीं दे पाते।
उन्हें स्वतंत्रता दी जा रही है, जिसे वो स्वच्छंदता में बदल रहे हैं। हम अपने बच्चों को जमकर गति दे रहे हैं, लेकिन धैर्य नहीं दे पा रहे हैं। उनमें मदहोशी उतर आई पर आत्मविश्वास की कमी है। लालन-पालन में बचपन से युवावस्था तक कुछ ऐसी सावधानियां हैं, जो सतत रखनी होंगी, वरना बच्चों के पतन का सारा दोष उन्हीं के माथे नहीं मढ़ा जा सकता। माता-पिता को जिम्मेदारी लेनी ही होगी।
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: हम बच्चों को गति दे रहे हैं, पर धैर्य नहीं दे पा रहे हैं