राजस्थान कांग्रेस सोनिया गांधी और राहुल गांधी को समन देने के विरोध में कल जयपुर स्थित ईडी कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन करेगी। कांग्रेस कांग्रेस कार्यकर्ता सुबह 9 बजे प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय से ईडी के दफ्तर तक पैदल मार्च निकालेंगे। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा कि ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स, डीआरआई कभी भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को समन जारी क्यों नहीं करती। जब कोई व्यक्ति विपक्षी दल में होता है, तो उसे तुरंत समन जारी हो जाता है। जैसे ही बीजेपी में शामिल होता है, समन वापस हो जाता है। बीजेपी के दो सांसद संजय पाटिल और एक अन्य तो खुले मंच से ये बोल चुके हैं कि ईडी में उनका कुछ नहीं हो सकता, क्योंकि वो बीजेपी में हैं। लेकिन जिस तरह कांग्रेस ने बिना डरे, बिना झुके अंग्रेजों को भारत से खदेड़ा था. अब काले अंग्रेजों को सत्ता से बेदखल करेंगे.
मुद्दों से भटकाने के लिए समन
प्रदेश कांग्रेस कांग्रेस कार्यालय में आज हुई प्रेस वार्ता में पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासर ने भाजपा पर जमकर निशाना साधा। इस मौके पर कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा कि मोदी सरकार का 3D (डिस्ट्रक्ट, डायवर्ट और डिस्टोर्ट) रूल पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार मुद्दों से भटकाने, मुद्दों को असत्य रूप से प्रस्तुत करने और कृत्रिम रूप से नया मुद्दा बनाकर देश के सामने रखने के मॉडल पर काम कर रही है, लेकिन ये पॉलिसी ना तो पहले चली और ना ही नेशनल हेराल्ड के मामले में चलेगी। गौरव वल्लभ ने नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र के बारे में बताया कि इस समाचार पत्र की स्थापना पं. जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, पुरुषोत्तम टंडन, आचार्य नरेंद्र देव, रफी अहमद किदवई और अन्य नेताओं ने 1937 में की थी। ताकि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड नामक कंपनी को स्थापित करके देश में स्वतंत्रता आंदोलन को आवाज दी जा सके। 1942 से 1945 तक अंग्रेजों की ओर से ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन के दौरान इस समाचार पत्र को प्रतिबंधित कर दिया गया था, जिसे महात्मा गांधी ने राष्ट्रीय आंदोलन के लिए एक त्रासदी के रूप में वर्णित किया था।
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100 किश्तों में 90 करोड़ रुपये का ऋण दिया
गौरव वल्लभ ने कहा कि इस समाचार पत्र की संपादकीय उत्कृष्टता के बावजूद, नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र निरंतर आर्थिक रूप से घाटे में जाता गया, जिसके परिणामस्वरूप इसकी देय बकाया राशि 90 करोड़ रुपए तक पहुंच गईं। इस संकट में फंसे नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र की सहायता के लिए कांग्रेस पार्टी ने वर्ष 2002 से लेकर 2011 के दौरान लगभग 100 किश्तों में इसे 90 करोड़ रुपये का ऋण दिया। जिसमें से नेशनल हेराल्ड ने 67 करोड़ रुपए अपने कर्मचारियों के वेतन और वीआरएस का भुगतान करने के लिए उपयोग किए। बाकी की राशि बिजली शुल्क, गृह कर, किरायेदारी शुल्क और भवन व्यय आदि जैसी सरकारी देनदारियों के भुगतान के लिए इस्तेमाल की गई।
ऋण देना कैसे आपराधिक कृत्य
गौरव वल्लभ ने कहा कि बीजेपी में बैठे लोग और उनके हितैषी, जो कि नेशनल हेराल्ड को दिए गए इस 90 करोड़ रुपए के ऋण को अपराधिक कृत्य के रूप में मान रहे हैं, ऐसा वो विवेकहीनता और दुर्भावना से अभिप्रेत होकर कह रहे हैं। क्योंकि किसी भी राजनीतिक दल की ओर से ऋण देना भारत में किसी भी कानून के तहत एक आपराधिक कृत्य नहीं है. फिर, कांग्रेस पार्टी का एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को समय-समय पर 90 करोड़ रुपए का ऋण देना कैसे एक आपराधिक कृत्य माना जा सकता है? इस ऋण को विधिवत रूप से कांग्रेस पार्टी के खातों की किताबों में दर्शाया गया था, जिसका विधिवत लेखा-जोखा किया गया और भारत के चुनाव आयोग को प्रस्तुत भी किया गया। यहां तक कि चुनाव आयोग ने 6 नवम्बर, 2012 के अपने एक पत्र के माध्यम से सुब्रमण्यम स्वामी को ये स्पष्ट करते हुए लिखा था कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो किसी राजनीतिक दल की ओर से खर्च को प्रतिबंधित या नियंत्रित करता हो।
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