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Cauliflower Farming: फरीदाबाद के साहुपुरा गांव के इस किसान को पिछली बार गोभी खेती में बहुत बड़ा नुकसान हुआ था, लेकिन इसने हार नहीं मानी है. यह फिर दुबारा गोभी की खेती करने के लिए तैयार है.
गोभी
हाइलाइट्स
- किसान लक्ष्मण सिंह ने तीन बीघा में गोभी की खेती की है.
- गोभी की फसल का नाम माधुरी है, पहले गरिमा थी.
- गोभी की खेती में लगभग ढाई महीने का समय लगता है.
फरीदाबाद. बल्लभगढ़ के साहुपुरा गांव में किसान गोभी की खेती कर अपना घर चला रहे हैं. किसानों का कहना है कि इससे पहले भी उन्होंने गोभी की फसल लगाई थी, लेकिन उस बार नुकसान हो गया था. फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी. इस बार की फसल से उन्हें अच्छी उम्मीदें हैं. मेहनत के साथ खेती कर रहे हैं और भरोसा है कि इस बार मुनाफा जरूर मिलेगा. इसी उम्मीद के साथ फिर से गोभी की खेती कर रहे हैं.
गांव के किसान लक्ष्मण सिंह ने बताया कि उन्होंने तीन बीघा जमीन में गोभी की खेती कर रखी है. वे लगातार नंबर वाइज बुवाई करते हैं. लक्ष्मण सिंह ने बताया कि गोभी की कई वैरायटी होती हैं. उन्होंने जो फसल लगाई है उसका नाम माधुरी है. इससे पहले दिसंबर में जो बुवाई की थी उसका नाम गरिमा था.
लक्ष्मण सिंह ने बताया कि एक बीघा में गोभी की खेती पर करीब दस हजार रुपये की लागत आई है. इसमें मजदूरी, दवा, खाद और सिंचाई का खर्चा शामिल है. खेती में मेहनत भी खूब करनी पड़ती है. खासतौर पर दो बार नलाई करनी पड़ती है, ताकि फसल अच्छी हो सके.
उन्होंने बताया कि गोभी की फसल तैयार होने में ढाई महीने का समय लगता है. यानी अगर सही तरीके से देखभाल करें, तो ढाई महीने बाद खेत से ताजा गोभी बाजार में बेची जा सकती है. पौधों के बीच में डेढ़ ब्लांत (लगभग डेढ़ फुट) का गैप रखना जरूरी होता है ताकि पौधों को बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह मिल सके और फसल अच्छी तरह तैयार हो.

किसानों का कहना है कि इस बार मौसम भी ठीक रहा है और बाजार में गोभी की मांग भी बनी हुई है. ऐसे में सबकी उम्मीदें बढ़ गई हैं. सभी किसान दिन-रात मेहनत कर रहे हैं कि फसल अच्छी हो और उन्हें मेहनत का अच्छा दाम मिल सके.
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