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नीरज कौशल का कॉलम:बाजार टूटकर उबरा, पर क्या सबसे बुरा दौर बीत चुका है? Politics & News

नीरज कौशल, कोलंबिया यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर - Dainik Bhaskar

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6 घंटे पहले

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नीरज कौशल, कोलंबिया यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर - Dainik Bhaskar

नीरज कौशल, कोलंबिया यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर

5 अगस्त को पूरी दुनिया के शेयर बाजार में गिरावट देखी गई। एक दिन बाद, जिसे ‘क्रैश’ समझा जा रहा था, उसे ‘मार्केट-करेक्शन’ बताया गया। लेकिन विश्लेषक पूछ रहे हैं कि क्या सबसे बुरा समय बीत चुका है या अभी आना बाकी है? इसका ईमानदार जवाब है : हम नहीं जानते।

अगर हमें सच में ही पता होता तो हम शेयर बाजार के अपने ज्ञान का लाभ उठाकर अरबों डॉलर कमा रहे होते। लेकिन हकीकत यह है कि एक अस्थिर शेयर बाजार- या यहां तक कि एक शांत शेयर बाजार के बारे में भी कोई सटीक भविष्यवाणी करना या पूर्वानुमान लगाना दुष्कर है।

अमेरिकी फेड रिजर्व के सुविख्यात चेयरमैन एलन ग्रीनस्पैन ने मार्च 2000 में डॉट-कॉम बबल के फटने से कई साल पहले 1995 से ही अमेरिकी शेयरों में तर्कहीन उत्साह के प्रति चेताना शुरू कर दिया था। इसलिए- इस लेख में- हम भविष्यवाणी करने से बचेंगे, लेकिन अतीत को समझाने की कोशिश जरूर करेंगे।

यह कि सोमवार को जैसे बाजार टूटा, उसके पीछे क्या कारण था?
इसकी शुरुआत जापान के बेंचमार्क टॉपिक्स इंडेक्स में सोमवार को 12% की गिरावट के साथ हुई। जिसके बाद अन्य एशियाई देशों और यूरोप के शेयरों में भी गिरावट आई। अमेरिका में कुछ कम नाटकीय लेकिन पर्याप्त गिरावट हुई।

एसएंडपी 3% और नैस्डेक 3.43% टूटा। एनएसई निफ्टी में 2.7% की गिरावट आई और एक दिन बाद फिर से उछाल आया, जैसा कि वैश्विक स्तर पर अधिकांश बाजारों के शेयरों में हुआ। टॉपिक्स में गिरावट अमेरिकी फेडरल रिजर्व और बैंक ऑफ जापान की मौद्रिक नीतियों से जुड़ी है।

फेड ने पिछले दो वर्षों में अमेरिकी मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए ब्याज दरों में लगातार वृद्धि की है, जबकि बैंक ऑफ जापान ने हाल ही में अपनी ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया था। इसने निवेशकों के लिए डॉलर या यूरो या- जिसे ‘कैरी ट्रेड’ कहा जाता है- में निवेश के लिए सस्ती दरों पर जापान की मुद्रा येन में उधार लेने का अवसर खोल दिया। इससे येन कमजोर हो गया।

कमजोर येन ने निर्यात को बढ़ाया और जापानी निर्यातकों को अपनी कमाई डॉलर में रखने के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे येन की मांग कम हो गई और येन और कमजोर हो गया। इस प्रवृत्ति को देखते हुए निवेशकों ने येन की टूटन पर दांव बढ़ा दिए, जिसका मतलब यह था कि येन का मूल्य और गिरेगा।

उन्हें उम्मीद थी कि बैंक ऑफ जापान कोई कार्रवाई नहीं करेगा और फेड अपनी ब्याज दर में कटौती करेगा। लेकिन इसके बजाय 31 जुलाई को, बैंक ऑफ जापान ने अपनी बेंचमार्क दर 0.1% से बढ़ाकर 0.25% कर दी।

येन के मूल्यों में और गिरावट पर दांव लगाने वाले निवेशक घबरा गए और अपने नुकसान को कवर करने के लिए दूसरी दिशा में दौड़ पड़े। नतीजा यह रहा कि येन की कीमत में वृद्धि हुई, जिससे जापानी शेयरों में गिरावट आ गई। लेकिन एक दिन बाद ही शेयरों में उछाल यह दर्शाती है कि निवेशक जापानी कंपनियों को बहुत अधिक संकट में नहीं मानते हैं।

इस सप्ताह की गिरावट या सुधार के अलावा, वैश्विक टेक दिग्गजों के शेयरों में भी तेज उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। जुलाई के मध्य से नैस्डेक 100 में 10% से अधिक की गिरावट आई है। इसे भी हाईप्ड-अप टेक स्टॉक्स में करेक्शन के रूप में देखा जाना चाहिए, जो टेक सेक्टर- विशेष रूप से एआई के बारे में बढ़ती उम्मीदों को दर्शाता है।

अमेरिका में अस्थिरता सूचकांक- जो व्यापारियों द्वारा खुद को बचाने के लिए भुगतान की जाने वाली राशि को मापता है- इस सप्ताह भी तेजी से बढ़ा। यह दर्शाता है कि डर का माहौल जारी है। कई लोगों को डर है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ रही है, हालांकि इसकी बुनियादी स्थितियों में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो इस तरह के अंदेशे को जन्म दे।

ये सच है कि पिछले सप्ताह की जॉब मार्केट रिपोर्ट उम्मीद से कुछ कमजोर थी, लेकिन 4.3% की बेरोजगारी दर इस बात का संकेत है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत बनी हुई है। लेकिन मौजूदा क्रैश और कनेक्शन के बावजूद अमेरिकन स्टॉक अतिमूल्यित बने हुए हैं। यही हालत भारतीय स्टॉक की भी है।

इस सप्ताह हमने बाजार में जैसी उथलपुथल देखी, वह अगले सप्ताह भी जारी रह सकती है। जैसा कि बेट्टी डेविस ने 1950 के दशक की अपनी क्लासिक फिल्म ‘ऑल अबाउट ईव’ में कहा था, ‘अपनी कमरपेटियों को कसकर बांध लीजिए, आगे बहुत झटके लगने वाले हैं!’
(ये लेखिका के अपने विचार हैं।)

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