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पानीपत। नगर पालिका चुनाव भले ही शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गया पर एक बार फिर जातीय समीकरण प्रत्याशियों की जीत को उलझा चुके हैं। माना जा रहा है कि नपा चुनाव में भले ही वोटिंग प्रतिशत 69.3 प्रतिशत का आंकड़ा छू गया हो लेकिन दिग्गजों को करारा झटका लग सकता है। दो दिन पहले से चुनाव प्रचार में बदलाव का परिणाम प्रत्याशियों को चुनाव में देखने को मिल गया, जिनके बूथ स्टॉल सुबह से खाली रहे, वे अपनी हार मानकर घर जा बैठे। इनमें आम आदमी पार्टी से चेयरमैन पद के प्रत्याशी भरत सिंह छौक्कर तक शामिल रहे। कुछ बूथ स्टॉल पर जातीय समीकरणों ने खेल ही पलट दिया।
स्थानीय लोगों ने बताया कि इस बार प्रत्याशियों ने सिर्फ अपनी जात बिरादरी को मनाने का काम किया। अपने से जुड़ी जाति वर्ग को दिल खोलकर विकास कार्य करवाने का आश्वासन दिया। चर्चा रही कि पंजाबी वर्ग ने खुलकर एक दिग्गज प्रत्याशी को वोट नहीं दिया जबकि बनिया वर्ग का पूरा वोट उन्हें ही गया। इस बार पंजाबी वर्ग के साथ जाट और गुर्जर वर्ग का एक अन्य निर्दलीय चेयरमैन प्रत्याशी की तरफ ज्यादा झुकाव रहा। उनका कारोबार इन सभी बड़े वर्गों के साथ बताया गया और इसका फायदा उन्हें चुनाव में देखने को मिला। दूसरी ओर दिग्गज प्रत्याशी को टिकट देने से पहले वह इन वर्गों से ज्यादा घुल मिल नहीं पाए। ऐसे में दोनों के बीच हार और जीत का अंतर अधिक रहने की संभावना है।
खाली दिखे आप के स्टॉल, भाजपा और बेनीवाल पर भीड़, आजाद बदलेंगे रणनीति
समालखा क्षेत्र के सभी बूथों पर देखने में आया कि चेयरमैन पद के लिए तकरीबन सभी जगहों पर आम आदमी पार्टी के बूथ खाली दिखाई दिए। भाजपा के अशोक कुच्छल और कांग्रेस समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी संजय बेनीवाल के स्टॉलों पर भीड़ अधिक रही। अब परिणाम 22 जून को आएंगे, तभी सही स्थिति का पता चलेगा कि जनता ने क्या चुना।
पानीपत। नगर पालिका चुनाव भले ही शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गया पर एक बार फिर जातीय समीकरण प्रत्याशियों की जीत को उलझा चुके हैं। माना जा रहा है कि नपा चुनाव में भले ही वोटिंग प्रतिशत 69.3 प्रतिशत का आंकड़ा छू गया हो लेकिन दिग्गजों को करारा झटका लग सकता है। दो दिन पहले से चुनाव प्रचार में बदलाव का परिणाम प्रत्याशियों को चुनाव में देखने को मिल गया, जिनके बूथ स्टॉल सुबह से खाली रहे, वे अपनी हार मानकर घर जा बैठे। इनमें आम आदमी पार्टी से चेयरमैन पद के प्रत्याशी भरत सिंह छौक्कर तक शामिल रहे। कुछ बूथ स्टॉल पर जातीय समीकरणों ने खेल ही पलट दिया।
स्थानीय लोगों ने बताया कि इस बार प्रत्याशियों ने सिर्फ अपनी जात बिरादरी को मनाने का काम किया। अपने से जुड़ी जाति वर्ग को दिल खोलकर विकास कार्य करवाने का आश्वासन दिया। चर्चा रही कि पंजाबी वर्ग ने खुलकर एक दिग्गज प्रत्याशी को वोट नहीं दिया जबकि बनिया वर्ग का पूरा वोट उन्हें ही गया। इस बार पंजाबी वर्ग के साथ जाट और गुर्जर वर्ग का एक अन्य निर्दलीय चेयरमैन प्रत्याशी की तरफ ज्यादा झुकाव रहा। उनका कारोबार इन सभी बड़े वर्गों के साथ बताया गया और इसका फायदा उन्हें चुनाव में देखने को मिला। दूसरी ओर दिग्गज प्रत्याशी को टिकट देने से पहले वह इन वर्गों से ज्यादा घुल मिल नहीं पाए। ऐसे में दोनों के बीच हार और जीत का अंतर अधिक रहने की संभावना है।
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समालखा क्षेत्र के सभी बूथों पर देखने में आया कि चेयरमैन पद के लिए तकरीबन सभी जगहों पर आम आदमी पार्टी के बूथ खाली दिखाई दिए। भाजपा के अशोक कुच्छल और कांग्रेस समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी संजय बेनीवाल के स्टॉलों पर भीड़ अधिक रही। अब परिणाम 22 जून को आएंगे, तभी सही स्थिति का पता चलेगा कि जनता ने क्या चुना।
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