बठिंडा के गांव कोठे बोध सिंह का सरकारी प्राइमरी स्कूल।
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पंजाब के बठिंडा में सरकारी स्कूल को बच्चों की दरकार है। बठिंडा के गांव कोठे बोध सिंह में एकमात्र सरकारी प्राइमरी स्कूल है, लेकिन इस स्कूल में बच्चों की गिनती न के बराबर है। हैरानी की बात यह है कि स्कूल में सभी तरह की सुख सुविधाएं सरकार की तरफ से मुहैया करवाई जा रही हैं। बावजूद स्कूल में पढ़ने के लिए पूरे गांव से 2 ही बच्चे आते हैं। वहीं बीते वर्ष स्कूल में सिर्फ और सिर्फ एक ही बच्चा पढ़ता था, वो भी अब पासआउट होकर दूसरे स्कूल में चला गया है।
स्कूल शिक्षिका सर्बजीत कौर ने बताया कि वह बीते दो वर्ष से सरकारी प्राइमरी स्कूल कोठे बोध सिंह में सेवारत है। सर्बजीत कौर का कहना है कि गांव के अधिकतर बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं। क्योंकि उनके परिवार वालों ने सरकारी स्कूल में उनका दाखिला ही नहीं करवाया। वहीं, अभी स्कूल में कुल दो बच्चे हैं। दोनों बच्चों का इसी साल ही प्री प्राइमरी में दाखिला हुआ है और दोनों बच्चे नर्सरी कक्षा में पढ़ते हैं।
#WATCH | Bathinda, Punjab: Government Teacher Sarabjit Kaur says, “…Firstly, the population is less and secondly, all the children are studying in private schools. At present only 2 children are studying in the nursery pre-primary class…This school is equipped with all the… pic.twitter.com/p7EuFWOKoL
— ANI (@ANI) August 13, 2024
गांव कोठे बोध सिंह में आज से लगभग 50 साल पहले सरकार की तरफ से प्राइमरी स्कूल खोला गया था। वर्ष 1973 से गांव में यह स्कूल चल रहा है। शिक्षिका सर्बजीत कौर का कहना है कि कुछ वर्ष पहले स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या ज्यादा थी। क्योंकि स्कूल का स्टाफ दूसरे गांव के बच्चों को भी इसी स्कूल में पढ़ाने के लिए लाया करता था। स्कूल स्टाफ की तरफ से अपने खर्च पर बच्चों को लाने और ले जाने की व्यवस्था की गई थी। लेकिन अब दूसरे गांव के लोगों ने भी अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन करवाया है।
टीचर सर्बजीत कौर ने बताया कि गांव कोठे बोध सिंह में कुल मिलाकर 20 से 22 छोटे बच्चे हैं। सरकारी प्राइमरी स्कूल में सरकार की तरफ से हर सुविधा दी गई है। स्कूल में सीसीटीवी, प्रोजेक्ट, बच्चों को बैठने के लिए अच्छे बैंच और लाइब्रेरी तक है। स्कूल में तमाम का इंफ्रास्ट्रक्चर है। सरकारी स्कूल में बच्चों के लिए पूरी सुविधा होने के बावजूद गांव के लोग बच्चों के प्राइवेट स्कूलों में भेज रहे हैं।
दो छात्रों के सहारे सरकारी स्कूल: बठिंडा के प्राइमरी स्कूल में लाइब्रेरी और प्रोजेक्टर की सुविधा, लेकिन बच्चों की दरकार