कथा सुनने पहुंचे श्रद्धालु।
अंबाला सिटी। सेक्टर 9 अग्रवाल भवन में स्थित श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन कथा वाचक साक्षी गोपाल दास ने कि यह मानव शरीर भगवान का मंदिर है इस पर तिलक लगाकर सजाना चाहिए इससे शरीर शुद्ध हो जाता है।
प्रभुपाद जी ने कलयुग की चार तपस्या बताई एक शराब नहीं पीना चाहिए, जुआ नहीं खेलना चाहिए, मांस नहीं खाना चाहिए ,पराई स्त्री या पराए पुरुष का चिंतन नहीं करना चाहिए। 16 माला का जाप करना चाहिए एकादशी का व्रत रखना चाहिए। एकादशी के दिन एक ग्रास अन्न खाने से एक गाय के वध के समान है। विष्णु जी ने एकादशी को अपने मन से प्रकट किया था।
पाप रूपी मनुष्य जो कि पाप था वह पाप रूपी मुझे एकादशी के दिन अन्न प्रवेश कर जाता है। एकादशी के दिन यदि भूखे नहीं रह सकते तो आप फल खा सकते हैं दूध घी की वस्तुएं ले सकते हैं आलू और कुट्टू के आटा इत्यादि। जो भी तप दान आप करते हो भगवान कहते हैं वह मुझे अर्पण करो।
संतोष भक्ति करने से इंद्रियों शुद्ध हो जाती है आत्मा शुद्ध हो जाती है। तब हमारे जीवन में आनंद आ जाएगा चैतन्य प्रभु ने 700 श्लोक को गीत के सार को रूप को आठ श्लोक में दिया। चैतन्य महाप्रभु कहते हैं यह हरे कृष्ण महामंत्र के जपने से आपके सारे कष्ट नष्ट हो जाएंगे।
हरे कृष्ण महामंत्र जपने से आपका जीवन में आनंद से भर देता है। यह है नाम जपने से बुद्धि बढ़ जाती है साक्षी गोपाल दास ने कहा कि कृष्ण जी स्वयं भगवान हैं और भगवान का कोई धर्म नहीं होता। भगवान कृष्ण का अवतार होता है। अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए दुष्टों का नाश करने के लिए और धर्म की स्थापना करने के लिए भगवान अवतार लेते हैं।
दुष्टों के नाश को श्रीकृष्ण लेते अवतार : साक्षी