तीन अरब की मजदूरी और कमीशन अटका


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देव शर्मा
करनाल। गेहूं खरीद का सीजन खत्म हो गया। सरकार ने किसानों को भुगतान कर दिया, लेकिन आढ़तियों और गरीब श्रमिकों के हाथ अभी भी खाली हैं। हरियाणा के करीब 35 हजार आढ़तियों और करीब तीन लाख श्रमिकों को अपनी लगभग 308 करोड़ की मजदूरी और कमीशन का इंतजार है। श्रमिकों में अधिकांश प्रवासी हैं, जो खाली हाथ या अपने आढ़तियों से आधी-अधूरी मजदूरी के रुपये उधार लेकर अपने राज्यों को रवाना हो चुके हैं। हरियाणा सरकार ने अभी तक न आढ़तियों का कमीशन दिया है, न श्रमिकों की मजदूरी का भुगतान जारी किया है।
हरियाणा में करनाल जिला सहित करीब 125 अनाज मंडियां हैं, इसके अलावा सरकार ने अलग से कई गेहूं क्रय केंद्र बनाए थे। पहले तो सरकार ने 15 मई तक गेहूं खरीद का एलान किया था, लेकिन गेहूं की अपेक्षा से काफी कम खरीद होने के कारण केंद्र सरकार ने गेहूं की खरीद को 31 मई तक के लिए बढ़ा दिया था। हालांकि अधिकांश गेहूं 15 मई तक खरीदा जा चुका था, इसके बाद तो नाममात्र को ही किसी मंडी में गेहूं, जिसमें से अधिकांश तो प्राइवेट कंपनियों ने ही खरीद लिया।
हरियाणा राज्य अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार इस बार गेहूं के सीजन में करीब 4.20 करोड़ क्विंटल गेहूं की खरीद की गई है। इसे अंतिम खरीद मानते हुए 46 रुपये प्रति क्विंटल की दर से आढ़तियों का कमीशन करीब 193 करोड़ 20 लाख रुपये का कमीशन बना। इसी हिसाब से श्रमिकों की मजदूरी 27.50 रुपये प्रति क्विंटल की दर 115 करोड़ 50 लाख रुपये बनती है। इस तरह कमीशन और मजदूरी 308 करोड़ 50 लाख रुपये की बनती है। जिसका भुगतान अभी तक नहीं किया गया है।
अधिकांश श्रमिक यूपी और बिहार के
प्रदेश की अनाज मंडियों में अधिकांश श्रमिक बिहार व उत्तर प्रदेश आदि राज्यों के हैं। जिन्हें गेहूं के सीजन के बाद घर लौटना होता है, क्योंकि यहां पूरे सीजन में मिलने वाली मजदूरी से वह अपने घर का खर्च चलाते हैं। किसी को बेटे या बेटी की शादी करनी होती है तो किसी को घर के अन्य खर्च चलाने होते हैं। ये श्रमिक पहले भी आढ़तियों से अपनी मजदूरी लेकर जाते थे, लेकिन तब किसानों का भुगतान भी आढ़तियों के खातों में आता था, किसानों की दी गई उधारी मिल जाती थी, लेकिन गेहूं का भुगतान सीधे किसानों को मिलने के कारण आढ़तियों की जेब भी खाली है, अभी आढ़तियों को भी कमीशन नहीं मिला है, इसलिए आढ़तियों ने भी श्रमिकों को मजदूरी देने में आनाकानी की। फिर भी अधिकांश श्रमिक आढ़तियों से मजदूरी उधार लेकर अपने घरों को लौटे हैं।
हरियाणा की 125 अनाज मंडियों में करीब 35 हजार आढ़तियों ने गेहूं खरीद कराई है, उनका कमीशन करीब 193 करोड़ 20 लाख रुपये बना है। लेबर भी 115 करोड़ रुपये से अधिक है, जिसका सरकार ने अभी तक भुगतान नहीं किया है। जिससे आढ़तियों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। हरियाणा सरकार से मांग की गई है कि तत्काल आढ़तियों को कमीशन व लेबर का भुगतान दिलाया जाए।
– रजनीश चौधरी, चेयरमैन हरियाणा राज्य अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन

देव शर्मा

करनाल। गेहूं खरीद का सीजन खत्म हो गया। सरकार ने किसानों को भुगतान कर दिया, लेकिन आढ़तियों और गरीब श्रमिकों के हाथ अभी भी खाली हैं। हरियाणा के करीब 35 हजार आढ़तियों और करीब तीन लाख श्रमिकों को अपनी लगभग 308 करोड़ की मजदूरी और कमीशन का इंतजार है। श्रमिकों में अधिकांश प्रवासी हैं, जो खाली हाथ या अपने आढ़तियों से आधी-अधूरी मजदूरी के रुपये उधार लेकर अपने राज्यों को रवाना हो चुके हैं। हरियाणा सरकार ने अभी तक न आढ़तियों का कमीशन दिया है, न श्रमिकों की मजदूरी का भुगतान जारी किया है।

हरियाणा में करनाल जिला सहित करीब 125 अनाज मंडियां हैं, इसके अलावा सरकार ने अलग से कई गेहूं क्रय केंद्र बनाए थे। पहले तो सरकार ने 15 मई तक गेहूं खरीद का एलान किया था, लेकिन गेहूं की अपेक्षा से काफी कम खरीद होने के कारण केंद्र सरकार ने गेहूं की खरीद को 31 मई तक के लिए बढ़ा दिया था। हालांकि अधिकांश गेहूं 15 मई तक खरीदा जा चुका था, इसके बाद तो नाममात्र को ही किसी मंडी में गेहूं, जिसमें से अधिकांश तो प्राइवेट कंपनियों ने ही खरीद लिया।

हरियाणा राज्य अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार इस बार गेहूं के सीजन में करीब 4.20 करोड़ क्विंटल गेहूं की खरीद की गई है। इसे अंतिम खरीद मानते हुए 46 रुपये प्रति क्विंटल की दर से आढ़तियों का कमीशन करीब 193 करोड़ 20 लाख रुपये का कमीशन बना। इसी हिसाब से श्रमिकों की मजदूरी 27.50 रुपये प्रति क्विंटल की दर 115 करोड़ 50 लाख रुपये बनती है। इस तरह कमीशन और मजदूरी 308 करोड़ 50 लाख रुपये की बनती है। जिसका भुगतान अभी तक नहीं किया गया है।

अधिकांश श्रमिक यूपी और बिहार के

प्रदेश की अनाज मंडियों में अधिकांश श्रमिक बिहार व उत्तर प्रदेश आदि राज्यों के हैं। जिन्हें गेहूं के सीजन के बाद घर लौटना होता है, क्योंकि यहां पूरे सीजन में मिलने वाली मजदूरी से वह अपने घर का खर्च चलाते हैं। किसी को बेटे या बेटी की शादी करनी होती है तो किसी को घर के अन्य खर्च चलाने होते हैं। ये श्रमिक पहले भी आढ़तियों से अपनी मजदूरी लेकर जाते थे, लेकिन तब किसानों का भुगतान भी आढ़तियों के खातों में आता था, किसानों की दी गई उधारी मिल जाती थी, लेकिन गेहूं का भुगतान सीधे किसानों को मिलने के कारण आढ़तियों की जेब भी खाली है, अभी आढ़तियों को भी कमीशन नहीं मिला है, इसलिए आढ़तियों ने भी श्रमिकों को मजदूरी देने में आनाकानी की। फिर भी अधिकांश श्रमिक आढ़तियों से मजदूरी उधार लेकर अपने घरों को लौटे हैं।

हरियाणा की 125 अनाज मंडियों में करीब 35 हजार आढ़तियों ने गेहूं खरीद कराई है, उनका कमीशन करीब 193 करोड़ 20 लाख रुपये बना है। लेबर भी 115 करोड़ रुपये से अधिक है, जिसका सरकार ने अभी तक भुगतान नहीं किया है। जिससे आढ़तियों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। हरियाणा सरकार से मांग की गई है कि तत्काल आढ़तियों को कमीशन व लेबर का भुगतान दिलाया जाए।

– रजनीश चौधरी, चेयरमैन हरियाणा राज्य अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन

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