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रोहतक। जिला कोर्ट परिसर व दूसरे सरकारी कार्यालयों को सुनारिया पुलिस कांप्लेक्स के पास शिफ्ट करने को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। शुक्रवार को जिला बार एसोसिएशन का एक प्रतिनिधिमंडल डीसी कैप्टन मनोज कुमार से मिला और कोर्ट परिसर व सरकारी कार्यालय शहर से बाहर शिफ्ट न करने की मांग की। कहा कि, बार हाउस का योजना का ड्राफ्ट देने का प्रस्ताव रद्द माना जाए। नया प्रस्ताव यह है कि कोर्ट परिसर शिफ्ट न किया जाए। डीसी ने मांगपत्र सरकार तक पहुंचाने का भरोसा दिया है।
जिला बार प्रधान लोकेंद्र फौगाट के नेतृत्व में पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल दोपहर डीसी कार्यालय पहुंचा। इसमें सह सचिव तृप्ता शर्मा, वरिष्ठ वकील भगत सिंह मलिक, अरविंद श्योराण व नवीन सिंहल भी शामिल रहे। प्रतिनिधिमंडल ने डीसी को बताया कि कोर्ट परिसर व सरकारी कार्यालय शहर से बाहर शिफ्ट न किया जाए, क्योंकि इससे शहरवासियों ही नहीं, सरकार को भी आर्थिक नुकसान होगा। कोर्ट परिसर भवन 2004 में ही बना था, जबकि उपभोक्ता फोरम का कार्यालय 2018 में बना था। इसका खुद सीएम ने उद्घाटन किया था। इसके अलावा वकीलों के चैंबरों को भी बने ज्यादा समय नहीं हुआ है। साथ ही कोर्ट परिसर रेलवे स्टेशन व बस स्टैंड के नजदीक है। आम आदमी अदालत में आता है तो आसपास के सरकारी कार्यालयों में भी जा सकता है। ऐसे में कोर्ट परिसर व सरकारी कार्यालयों में शहर से बाहर शिफ्ट करने से किसी का भी हित नहीं है।
बाक्स
हुडा व ग्रोवर के बीच भी हो चुकी है बयानबाजी
प्रदेश सरकार कोर्ट परिसर चौक, लघु सचिवालय से लेकर दूसरे भवन सुनारिया पुलिस कांप्लेक्स के नजदीक शिफ्ट करना चाहती है, इसके लिए डीसी तक बैठक ले चुके हैं। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बयान दिया था कि जब तक वे जिंदा हैं, कोर्ट परिसर शिफ्ट नहीं होने देंगे। जवाब में पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर ने कहा था कि पूर्व सीएम लंबे समय तक जीवन व्यतीत करें, सीएम घोषणा कर चुके हैं। बिल्डिंग जरूर शिफ्ट होंगी।
रोहतक। जिला कोर्ट परिसर व दूसरे सरकारी कार्यालयों को सुनारिया पुलिस कांप्लेक्स के पास शिफ्ट करने को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। शुक्रवार को जिला बार एसोसिएशन का एक प्रतिनिधिमंडल डीसी कैप्टन मनोज कुमार से मिला और कोर्ट परिसर व सरकारी कार्यालय शहर से बाहर शिफ्ट न करने की मांग की। कहा कि, बार हाउस का योजना का ड्राफ्ट देने का प्रस्ताव रद्द माना जाए। नया प्रस्ताव यह है कि कोर्ट परिसर शिफ्ट न किया जाए। डीसी ने मांगपत्र सरकार तक पहुंचाने का भरोसा दिया है।
जिला बार प्रधान लोकेंद्र फौगाट के नेतृत्व में पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल दोपहर डीसी कार्यालय पहुंचा। इसमें सह सचिव तृप्ता शर्मा, वरिष्ठ वकील भगत सिंह मलिक, अरविंद श्योराण व नवीन सिंहल भी शामिल रहे। प्रतिनिधिमंडल ने डीसी को बताया कि कोर्ट परिसर व सरकारी कार्यालय शहर से बाहर शिफ्ट न किया जाए, क्योंकि इससे शहरवासियों ही नहीं, सरकार को भी आर्थिक नुकसान होगा। कोर्ट परिसर भवन 2004 में ही बना था, जबकि उपभोक्ता फोरम का कार्यालय 2018 में बना था। इसका खुद सीएम ने उद्घाटन किया था। इसके अलावा वकीलों के चैंबरों को भी बने ज्यादा समय नहीं हुआ है। साथ ही कोर्ट परिसर रेलवे स्टेशन व बस स्टैंड के नजदीक है। आम आदमी अदालत में आता है तो आसपास के सरकारी कार्यालयों में भी जा सकता है। ऐसे में कोर्ट परिसर व सरकारी कार्यालयों में शहर से बाहर शिफ्ट करने से किसी का भी हित नहीं है।
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हुडा व ग्रोवर के बीच भी हो चुकी है बयानबाजी
प्रदेश सरकार कोर्ट परिसर चौक, लघु सचिवालय से लेकर दूसरे भवन सुनारिया पुलिस कांप्लेक्स के नजदीक शिफ्ट करना चाहती है, इसके लिए डीसी तक बैठक ले चुके हैं। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बयान दिया था कि जब तक वे जिंदा हैं, कोर्ट परिसर शिफ्ट नहीं होने देंगे। जवाब में पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर ने कहा था कि पूर्व सीएम लंबे समय तक जीवन व्यतीत करें, सीएम घोषणा कर चुके हैं। बिल्डिंग जरूर शिफ्ट होंगी।
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