डीआरडीओ ने विकसित की तकनीक, 90 दिन में हो सकेगा पॉलिथीन का खात्मा


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माई सिटी रिपोर्टर
करनाल। पर्यावरण में फैल रहे प्रदूषण को रोकने में बड़ी बाधा माना जा रहा पॉलिथीन खत्म करने का उपाय ढूंढ़ लिया गया है। केंद्रीय रक्षा मंत्रालय के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) हैदराबाद ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जिसके सहारे सैकड़ों वर्षों तक खत्म न होने वाला पॉलिथीन सिर्फ 90 दिनों में खत्म किया जा सकेगा।
इस तकनीक को शुक्रवार को एमएसएमई की ओर से एक होटल में वर्ल्ड एमएसएमई-डे के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यशाला में डीआरडीओ हैदराबाद के वैज्ञानिक (एफ) डॉक्टर के. वीरा ब्राहमाम ने उद्यमियों से साझा किया। उन्होंने उद्यमियों को पॉलिथीन बैग के रिपलेसमेंट में बायोडिग्रेडेबल एंड कंपोस्टेबल बैग की जानकारी दी। एमएसएमई केंद्र के सहायक निदेशक सतपाल ने बताया कि ये कार्यक्रम एमएसएमई-विकास संस्थान करनाल और वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीटयूट (डबल्यूआरआई) इंडिया, आईएससी और टाइफैक के सहयोग से आयोजित किया गया। जिसका विषय था एमएसएमई में नई तकनीक व क्लीन/ग्रीन एनर्जी को विकसित करना।
बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे डॉक्टर के. वीरा ब्राहमाम ने डीआरडीओ द्वारा तैयार पॉलिथीन बैग के रिपलेसमेंट में बायोडिग्रेडेबल एंड कंपोस्टेबल बैग बनाने की तकनीक की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस नई तकनीक से कैसे हम सदियों तक न खत्म होने वाली पॉलिथीन को सिर्फ 90 दिनों में खत्म कर सकते हैं। कार्पोरेट डिवीजन प्रोग्राम हेड, जनरल मैनेजर ट्रैक ईईएसएल गिरजा शंकर ने ईईटी को अपनाने के लिए योजनाओं व कार्यक्रमों की जानकारी दी।
उद्यमियों को मिल रहा लाभ
एमएसएमई के संयुक्त निदेशक प्रदीप ओझा ने कहा कि एमएसएमई विकास संस्थान ने उर्जा के क्षेत्र में सोलर एनर्जी स्कीम, एनर्जी एफिशिएंसी स्कीम पर कार्यशाला करके हरियाणा एवं आसपास के क्षेत्रों के उद्यमियों को लाभ मिल रहा है। साथ ही ईईएसएल, राज्य सरकार, डब्ल्यूआरआई, क्लीन एवं ग्रीन एनर्जी अपनाने पर सघन कार्य करेंगे। सहायक निदेशक सतपाल ने बताया कि पॉलिथीन को 90 दिन में पूर्णत: खत्म करने की तकनीक प्रदूषण को नियंत्रित रखने में क्रांतिकारी कदम है।
मृदा उर्वरा के लिए भी घातक
पॉलिथीन मृदा उर्वरा के लिए घातक तो है ही, पशु भी इसे खा लेते हैं, उनके पेट में भी ये खत्म नहीं होती है, लेकिन अब नई तकनीक का लाभ मिल सकेगा। प्रोजेक्ट डायरेक्टर बलवान सिंह गोलन ने एमएसएमई के लिए अक्षय और स्वच्छ ऊर्जा पर अपने विचार वयक्त किए। सहायक निदेशक एमएसएमई सुनीता कत्याल ने उद्योगों को दी जा रही सुविधाओं व स्कीमों में दी जाने वाली अनुदान की जानकारी दी। इसमें जीरो डिफेक्ट-जीरो इफेक्ट सर्टिफिकेशन योजना के पत्रक का विमोचन भी किया गया। अतिथियों का स्वागत सहायक निदेशक मीनू धीमान ने कराया। वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीटयूट इंडिया की वरिष्ठ प्रबंधक काजोल ने कार्यक्रम का संक्षिप्त परिचय दिया। कार्यक्रम 27 जून वर्ल्ड एमएसएमई डे तक चलेंगे। मौके पर हरियाणा चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज के राज्य प्रधान रजनीश कुमार गर्ग ने कहा कि एमएसएमई को नई तकनीक अपनाने के लिए वित्त उपलब्ध कराने में समस्या आती है, इसलिए उद्योग इनको अपनाने में हिचकते हैं। हरियाणा फार्मास्यूटिकलस मेन्युफैक्चर्स एसोसिएशन के राज्य प्रधान आरएल शर्मा ने आश्वस्त किया कि वे व उनके उद्यमी अपने उद्योगों में क्लीन एवं ग्रीन एनर्जी को विकसित करेंगे।
प्रदर्शनी में लगाए चौदह स्टॉल
यहां एक विशेष प्रदर्शनी लगाई गई। जिसमें करीब 14 स्टॉल लगाए गए। द्वितीय सत्र में टेक्नोलॉजी प्रोवाइडर्स ने प्रदर्शनी एवं प्रेजेंटेशन के माध्यम से लगभग 10 तकनीक प्रदाताओं ने विभिन्न नवीन व क्लीन तकनीकों पर विस्तार से बताया। एमएसएमई को अपनाने के लिए प्रेरित किया। जिसमें यमुनानगर के हेमंत कुमार गुप्ता की लकड़ी के कचरे से मजबूत खिड़की दरवाजे बनाने की तकनीक आकर्षण का केंद्र रही।
तृतीय सत्र में अक्षय और स्वच्छ ऊर्जा के लिए वित्तपोषण मॉडल और योजनाएं वित्त एमएमएमई पर राज्य सरकार एवं वित्तीय संस्थानों जैसे सिडबी, जिला एमएसएमई हरियाणा सरकार, ईईएसएल द्वारा क्लीन एनर्जी स्कीम प्रोग्राम पर प्रजेंटेशन दी गई।

माई सिटी रिपोर्टर

करनाल। पर्यावरण में फैल रहे प्रदूषण को रोकने में बड़ी बाधा माना जा रहा पॉलिथीन खत्म करने का उपाय ढूंढ़ लिया गया है। केंद्रीय रक्षा मंत्रालय के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) हैदराबाद ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जिसके सहारे सैकड़ों वर्षों तक खत्म न होने वाला पॉलिथीन सिर्फ 90 दिनों में खत्म किया जा सकेगा।

इस तकनीक को शुक्रवार को एमएसएमई की ओर से एक होटल में वर्ल्ड एमएसएमई-डे के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यशाला में डीआरडीओ हैदराबाद के वैज्ञानिक (एफ) डॉक्टर के. वीरा ब्राहमाम ने उद्यमियों से साझा किया। उन्होंने उद्यमियों को पॉलिथीन बैग के रिपलेसमेंट में बायोडिग्रेडेबल एंड कंपोस्टेबल बैग की जानकारी दी। एमएसएमई केंद्र के सहायक निदेशक सतपाल ने बताया कि ये कार्यक्रम एमएसएमई-विकास संस्थान करनाल और वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीटयूट (डबल्यूआरआई) इंडिया, आईएससी और टाइफैक के सहयोग से आयोजित किया गया। जिसका विषय था एमएसएमई में नई तकनीक व क्लीन/ग्रीन एनर्जी को विकसित करना।

बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे डॉक्टर के. वीरा ब्राहमाम ने डीआरडीओ द्वारा तैयार पॉलिथीन बैग के रिपलेसमेंट में बायोडिग्रेडेबल एंड कंपोस्टेबल बैग बनाने की तकनीक की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस नई तकनीक से कैसे हम सदियों तक न खत्म होने वाली पॉलिथीन को सिर्फ 90 दिनों में खत्म कर सकते हैं। कार्पोरेट डिवीजन प्रोग्राम हेड, जनरल मैनेजर ट्रैक ईईएसएल गिरजा शंकर ने ईईटी को अपनाने के लिए योजनाओं व कार्यक्रमों की जानकारी दी।

उद्यमियों को मिल रहा लाभ

एमएसएमई के संयुक्त निदेशक प्रदीप ओझा ने कहा कि एमएसएमई विकास संस्थान ने उर्जा के क्षेत्र में सोलर एनर्जी स्कीम, एनर्जी एफिशिएंसी स्कीम पर कार्यशाला करके हरियाणा एवं आसपास के क्षेत्रों के उद्यमियों को लाभ मिल रहा है। साथ ही ईईएसएल, राज्य सरकार, डब्ल्यूआरआई, क्लीन एवं ग्रीन एनर्जी अपनाने पर सघन कार्य करेंगे। सहायक निदेशक सतपाल ने बताया कि पॉलिथीन को 90 दिन में पूर्णत: खत्म करने की तकनीक प्रदूषण को नियंत्रित रखने में क्रांतिकारी कदम है।

मृदा उर्वरा के लिए भी घातक

पॉलिथीन मृदा उर्वरा के लिए घातक तो है ही, पशु भी इसे खा लेते हैं, उनके पेट में भी ये खत्म नहीं होती है, लेकिन अब नई तकनीक का लाभ मिल सकेगा। प्रोजेक्ट डायरेक्टर बलवान सिंह गोलन ने एमएसएमई के लिए अक्षय और स्वच्छ ऊर्जा पर अपने विचार वयक्त किए। सहायक निदेशक एमएसएमई सुनीता कत्याल ने उद्योगों को दी जा रही सुविधाओं व स्कीमों में दी जाने वाली अनुदान की जानकारी दी। इसमें जीरो डिफेक्ट-जीरो इफेक्ट सर्टिफिकेशन योजना के पत्रक का विमोचन भी किया गया। अतिथियों का स्वागत सहायक निदेशक मीनू धीमान ने कराया। वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीटयूट इंडिया की वरिष्ठ प्रबंधक काजोल ने कार्यक्रम का संक्षिप्त परिचय दिया। कार्यक्रम 27 जून वर्ल्ड एमएसएमई डे तक चलेंगे। मौके पर हरियाणा चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज के राज्य प्रधान रजनीश कुमार गर्ग ने कहा कि एमएसएमई को नई तकनीक अपनाने के लिए वित्त उपलब्ध कराने में समस्या आती है, इसलिए उद्योग इनको अपनाने में हिचकते हैं। हरियाणा फार्मास्यूटिकलस मेन्युफैक्चर्स एसोसिएशन के राज्य प्रधान आरएल शर्मा ने आश्वस्त किया कि वे व उनके उद्यमी अपने उद्योगों में क्लीन एवं ग्रीन एनर्जी को विकसित करेंगे।

प्रदर्शनी में लगाए चौदह स्टॉल

यहां एक विशेष प्रदर्शनी लगाई गई। जिसमें करीब 14 स्टॉल लगाए गए। द्वितीय सत्र में टेक्नोलॉजी प्रोवाइडर्स ने प्रदर्शनी एवं प्रेजेंटेशन के माध्यम से लगभग 10 तकनीक प्रदाताओं ने विभिन्न नवीन व क्लीन तकनीकों पर विस्तार से बताया। एमएसएमई को अपनाने के लिए प्रेरित किया। जिसमें यमुनानगर के हेमंत कुमार गुप्ता की लकड़ी के कचरे से मजबूत खिड़की दरवाजे बनाने की तकनीक आकर्षण का केंद्र रही।

तृतीय सत्र में अक्षय और स्वच्छ ऊर्जा के लिए वित्तपोषण मॉडल और योजनाएं वित्त एमएमएमई पर राज्य सरकार एवं वित्तीय संस्थानों जैसे सिडबी, जिला एमएसएमई हरियाणा सरकार, ईईएसएल द्वारा क्लीन एनर्जी स्कीम प्रोग्राम पर प्रजेंटेशन दी गई।

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