छात्रों की मेहनत रंग लाई, जिले ने 9 से 2 की छलांग लगाई


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कौन कहता है, आसमां में छेद नहीं होता, एक पत्थर तबीयत से उछालो यारो, ये पंक्तियां हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के कक्षा बारहवीं के जिले के परीक्षा परिणाम को देखकर सही साबित हो रही हैं। पिछले साल जो जिला नवें स्थान पर था, वह इस बार प्रदेश भर में दूसरे पायदान तक पहुंचने में कामयाब रहा। यह जिले के लिए अद्वितीय उपलब्धि कही जाएगी।
कोरोना काल में परीक्षाएं नहीं होने के बाद शिक्षा बोर्ड को औसत आधार पर परीक्षा परिणाम जारी करना पड़ा। औसत परीक्षा परिणाम जारी होने से पहले लगातार 2017 से 2019 तक टॉप में रहने वाला जिला रेवाड़ी नौवें पायदान पर फिसल गया। हालांकि बुधवार को जारी परीक्षा परिणाम ने जिले की शिक्षा क्षेत्र में गिरती साख को ऊंचा उठाने में अहम भूमिका निभाई। जिले में इस परीक्षा का पास प्रतिशत बढ़ना, निश्चित तौर पर अच्छा संकेत है। साल 2021 में परीक्षाएं नहीं हुई और बोर्ड को आंतरिक मूल्यांकन व प्रायोगिक परीक्षाओं के आधार पर जारी हुआ था, जिसमें सभी विद्यार्थियों को उत्तीर्ण कर दिया गया। गत वर्ष भी बोर्ड परीक्षाओं में जिले की झोली खाली रही।
साल 2020 के मुकाबले इस बार इस परीक्षा के परिणाम में 7.52 प्रतिशत सुधार हुआ। कोरोना काल की वजह से बीते दो सालों में जिले का परीक्षा परिणाम औसत आधार पर जारी होने के बाद जिला शिक्षा क्षेत्र में अपनी साख को बचाने की जद्दोजेहद में जुटा था। इस बार शिक्षा विभाग को इस परीक्षा में बेहतर परिणाम मिलने की उम्मीद थी। शिक्षा विभाग की जी तोड़ मेहनत का परिणाम यह रहा कि जिला रेवाड़ी 9वें पायदान से उछलकर दूसरे पायदान तक पहुंच गया। हालांकि इस बार छलांग प्रदेश में टॉप रहने की थी मगर .55 प्रतिशत पीछे रह जाने की वजह से जिला चरखी दादरी हमारे जिले को पटखनी देकर आगे निकल गया। हालांकि जिला शिक्षा अधिकारी नसीब सिंह ने इस वर्ष के परीक्षा परिणाम पर संतोष जताते हुए इसे उत्साह वर्धक बताया है।
गत पांच सालों के परिणाम पर एक नजर
साल परिणाम – प्रतिशत – स्थान
2017 – 74.66 – प्रथम
2018 – 72.43 – प्रथम
2019 – 80.88 – प्रथम
2020 – 82.78 – नौवें(औसत आधार परिणाम)
2021 – 100 – बिना परीक्षा परिणाम जारी
2022 – 90.30 – दूसरा
शिक्षा विभाग ने इस परीक्षा के परिणाम को टॉप 9 से टॉप 2 तक लाने के लिए अपनी ओर से कई गुणात्मक सुधार अमल में लाए। शिक्षा विभाग की ओर से चंद बातों का अनुसरण करके छात्र शक्ति को अपने निर्धारित लक्ष्य को पाने के कड़ी मेहनत करने का मूल मंत्र दिया, जिसका परिणाम यह रहा कि आज जिला रेवाड़ी 90.30 प्रतिशत पास प्रतिशत लाने में कामयाब हो गया। सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों ने विद्यार्थियों को पुराने प्रश्न पत्रों का अभ्यास कराया। प्रत्येक सप्ताह विद्यार्थियों की परीक्षा लेकर उनकी लेखन कला को बढ़ाया गया, जिससे उनके लेखन एवं स्मरण शक्ति में इजाफा हुआ। जो बच्चे किसी विषय में पिछड़ रहे थे उनके लिए अलग से समूह बनाकर अतिरिक्त कक्षाएं लगाई गईं। जिन विद्यालयों में संबंधित विषयों के शिक्षक उपलब्ध नहीं थे उनके लिए खास तौर पर शिक्षकों को प्रेरित करके बच्चों की शिक्षा की नींव को मजबूत किया गया। शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों, जिनमें जिला शिक्षा अधिकारी, उप जिला शिक्षा अधिकारी और खंड शिक्षा अधिकारियों ने समय – समय पर विद्यालयों में जाकर पठन – पाठन की स्थिति और बच्चों के ज्ञान की परख की और परिणाम सबके सामने है। इनके अलावा शिक्षकों को बच्चों के पाठन या विषय संबंधी कमियां के बारे में जानकारी दी गई तथा उन्हें दूर करने के लिए नए निर्देश भी दिए गए, जिसका शिक्षकों के मनोवृति पर रचनात्मक प्रभाव पड़ा।
जिले में शिक्षा क्षेत्र को आगे बढ़ाने और बच्चों के सार्वभौमिक विकास के लिए शिक्षकों को नई शिक्षा नीति के तहत पठन – पाठन की आधुनिक पद्घति अपनाने के साथ ही बच्चों के अध्ययन और मनन के साथ स्मरण शक्ति पर विशेष ध्यान देने के लिए प्रेरित किया गया। बारहवीं कक्षा के परिणाम में इसका सकारात्मक चित्र सामने आया है।
– नसीब सिंह, जिला शिक्षा अधिकारी।

कौन कहता है, आसमां में छेद नहीं होता, एक पत्थर तबीयत से उछालो यारो, ये पंक्तियां हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के कक्षा बारहवीं के जिले के परीक्षा परिणाम को देखकर सही साबित हो रही हैं। पिछले साल जो जिला नवें स्थान पर था, वह इस बार प्रदेश भर में दूसरे पायदान तक पहुंचने में कामयाब रहा। यह जिले के लिए अद्वितीय उपलब्धि कही जाएगी।

कोरोना काल में परीक्षाएं नहीं होने के बाद शिक्षा बोर्ड को औसत आधार पर परीक्षा परिणाम जारी करना पड़ा। औसत परीक्षा परिणाम जारी होने से पहले लगातार 2017 से 2019 तक टॉप में रहने वाला जिला रेवाड़ी नौवें पायदान पर फिसल गया। हालांकि बुधवार को जारी परीक्षा परिणाम ने जिले की शिक्षा क्षेत्र में गिरती साख को ऊंचा उठाने में अहम भूमिका निभाई। जिले में इस परीक्षा का पास प्रतिशत बढ़ना, निश्चित तौर पर अच्छा संकेत है। साल 2021 में परीक्षाएं नहीं हुई और बोर्ड को आंतरिक मूल्यांकन व प्रायोगिक परीक्षाओं के आधार पर जारी हुआ था, जिसमें सभी विद्यार्थियों को उत्तीर्ण कर दिया गया। गत वर्ष भी बोर्ड परीक्षाओं में जिले की झोली खाली रही।

साल 2020 के मुकाबले इस बार इस परीक्षा के परिणाम में 7.52 प्रतिशत सुधार हुआ। कोरोना काल की वजह से बीते दो सालों में जिले का परीक्षा परिणाम औसत आधार पर जारी होने के बाद जिला शिक्षा क्षेत्र में अपनी साख को बचाने की जद्दोजेहद में जुटा था। इस बार शिक्षा विभाग को इस परीक्षा में बेहतर परिणाम मिलने की उम्मीद थी। शिक्षा विभाग की जी तोड़ मेहनत का परिणाम यह रहा कि जिला रेवाड़ी 9वें पायदान से उछलकर दूसरे पायदान तक पहुंच गया। हालांकि इस बार छलांग प्रदेश में टॉप रहने की थी मगर .55 प्रतिशत पीछे रह जाने की वजह से जिला चरखी दादरी हमारे जिले को पटखनी देकर आगे निकल गया। हालांकि जिला शिक्षा अधिकारी नसीब सिंह ने इस वर्ष के परीक्षा परिणाम पर संतोष जताते हुए इसे उत्साह वर्धक बताया है।

गत पांच सालों के परिणाम पर एक नजर

साल परिणाम – प्रतिशत – स्थान

2017 – 74.66 – प्रथम

2018 – 72.43 – प्रथम

2019 – 80.88 – प्रथम

2020 – 82.78 – नौवें(औसत आधार परिणाम)

2021 – 100 – बिना परीक्षा परिणाम जारी

2022 – 90.30 – दूसरा

शिक्षा विभाग ने इस परीक्षा के परिणाम को टॉप 9 से टॉप 2 तक लाने के लिए अपनी ओर से कई गुणात्मक सुधार अमल में लाए। शिक्षा विभाग की ओर से चंद बातों का अनुसरण करके छात्र शक्ति को अपने निर्धारित लक्ष्य को पाने के कड़ी मेहनत करने का मूल मंत्र दिया, जिसका परिणाम यह रहा कि आज जिला रेवाड़ी 90.30 प्रतिशत पास प्रतिशत लाने में कामयाब हो गया। सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों ने विद्यार्थियों को पुराने प्रश्न पत्रों का अभ्यास कराया। प्रत्येक सप्ताह विद्यार्थियों की परीक्षा लेकर उनकी लेखन कला को बढ़ाया गया, जिससे उनके लेखन एवं स्मरण शक्ति में इजाफा हुआ। जो बच्चे किसी विषय में पिछड़ रहे थे उनके लिए अलग से समूह बनाकर अतिरिक्त कक्षाएं लगाई गईं। जिन विद्यालयों में संबंधित विषयों के शिक्षक उपलब्ध नहीं थे उनके लिए खास तौर पर शिक्षकों को प्रेरित करके बच्चों की शिक्षा की नींव को मजबूत किया गया। शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों, जिनमें जिला शिक्षा अधिकारी, उप जिला शिक्षा अधिकारी और खंड शिक्षा अधिकारियों ने समय – समय पर विद्यालयों में जाकर पठन – पाठन की स्थिति और बच्चों के ज्ञान की परख की और परिणाम सबके सामने है। इनके अलावा शिक्षकों को बच्चों के पाठन या विषय संबंधी कमियां के बारे में जानकारी दी गई तथा उन्हें दूर करने के लिए नए निर्देश भी दिए गए, जिसका शिक्षकों के मनोवृति पर रचनात्मक प्रभाव पड़ा।

जिले में शिक्षा क्षेत्र को आगे बढ़ाने और बच्चों के सार्वभौमिक विकास के लिए शिक्षकों को नई शिक्षा नीति के तहत पठन – पाठन की आधुनिक पद्घति अपनाने के साथ ही बच्चों के अध्ययन और मनन के साथ स्मरण शक्ति पर विशेष ध्यान देने के लिए प्रेरित किया गया। बारहवीं कक्षा के परिणाम में इसका सकारात्मक चित्र सामने आया है।

– नसीब सिंह, जिला शिक्षा अधिकारी।

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