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हाईकोर्ट ने 20 लाख सिक्योरिटी लेने पर चंडीगढ़ प्रशासन को विचार करने का कहा।

चंडीगढ़ में मरीजों से 20 लाख रुपए की सिक्योरिटी राशि मांगने के मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने इसे बहुत ज्यादा (exorbitant) बताते हुए कहा कि इतनी बड़ी रकम की शर्त के कारण जरूरतमंद मरीज इलाज से वंचित हो रहे हैं। यह
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मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति सुमीत गोयल की खंडपीठ ने यूटी प्रशासन को निर्देश दिया है कि वह इस नीति पर दोबारा विचार करे और सिक्योरिटी राशि की रकम कम करने पर गंभीरता से सोचे। कोर्ट ने कहा कि मानसिक रूप से बीमार लोगों को गरिमा के साथ और बिना भेदभाव के इलाज पाने का अधिकार है।
अब इस मामले की अगली सुनवाई 24 जुलाई को होगी, जिसमें कोर्ट देखेगी कि प्रशासन और सोसाइटी ने इस मुद्दे पर क्या कदम उठाए हैं।

मौलिक अधिकारों का उल्लंघन कोर्ट में वरिष्ठ वकील आरएस बैंस और वकील सरबजीत सिंह चीमा, क्षितिज शर्मा और शॉबित शर्मा ने दलील दी कि 20 लाख रुपए जमा करवाने की अनिवार्यता मेंटल हेल्थकेयर एक्ट, 2017 का उल्लंघन है। कोर्ट ने इस एक्ट की धारा 18 से 21 का हवाला देते हुए कहा कि हर मानसिक रोगी को सम्मान और न्यायसंगत तरीके से इलाज का हक है।
कोर्ट ने कहा कि इतनी बड़ी रकम मांगने से कई जरूरतमंद मरीज भर्ती ही नहीं हो पाते क्योंकि उनके पास पैसे नहीं होते। इसलिए यह नीति उन लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
सोसाइटी भी अब ‘स्टेट’ मानी जाएगी कोर्ट ने यह भी माना कि समूह उत्थान सोसाइटी, जो इस मानसिक रोगियों के घर को संचालित करती है, संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत ‘स्टेट’ (राज्य) मानी जाएगी। क्योंकि इस सोसाइटी की गवर्निंग बॉडी में 13 में से ज्यादातर सदस्य यूटी प्रशासन से हैं, इसलिए यह सरकारी जिम्मेदारी बनती है कि वे मरीजों की सुविधा का ध्यान रखें।
कोर्ट ने यूटी प्रशासन को कहा है कि वह इस सोसाइटी की गवर्निंग बॉडी की आपात बैठक बुलाकर 20 लाख रुपए की सिक्योरिटी पर दोबारा विचार करें। खासतौर पर उन मरीजों को ध्यान में रखते हुए जिनके पास इतनी राशि नहीं है।
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चंडीगढ़ में मरीजों से सिक्योरिटी मांगने पर हाईकोर्ट सख्त: नियम पर दोबारा विचार के आदेश, मेंटल इलनेस होम ने मांगे थे 20 लाख – Chandigarh News