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चंडीगढ़ में प्रोबेशन पीरियड में मिलेगा पूरा वेतन-भत्ते: CAT ने रद्द किया 2015 का नोटिफिकेशन; 15 कर्मियों ने दी थी चुनौती – Chandigarh News Chandigarh News Updates

चंडीगढ़ में प्रोबेशन पीरियड में मिलेगा पूरा वेतन-भत्ते:  CAT ने रद्द किया 2015 का नोटिफिकेशन; 15 कर्मियों ने दी थी चुनौती – Chandigarh News Chandigarh News Updates

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चंडीगढ़ कैट ने किया प्रोबेशन पर कम वेतन देने का नियम रद्द। 

चंडीगढ़ प्रशासन को बड़ा झटका देते हुए केंद्र प्रशासनिक अधिकरण (Central Administrative Tribunal – CAT) की चंडीगढ़ बेंच ने वर्ष 2015 का वह नोटिफिकेशन रद्द कर दिया है, जिसके तहत नए भर्ती कर्मचारियों को प्रोबेशन (परीक्षण) अवधि के दौरान फिक्स वेतन पर रखा

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CAT ने इस नोटिफिकेशन को गैर-कानूनी करार देते हुए प्रशासन को आदेश दिया है कि वे ऐसे सभी कर्मचारियों को उनका बकाया भुगतान करें, जिसमें उन्हें नियमित वेतन और सभी भत्ते दिए जाएं, और इसमें से पहले दी गई फिक्स सैलरी घटा ली जाए। यह पूरा भुगतान आदेश की प्रति मिलने से 3 महीने के भीतर करना होगा।

ये था मामला

करीब 15 कर्मचारियों ने ट्रिब्यूनल में याचिका दायर की थी। ये सभी 2016 में क्लर्क और स्टेनो टाइपिस्ट पद पर भर्ती किए गए थे, जोकि 6 अक्टूबर 2015 को प्रकाशित विज्ञापन के आधार पर नियुक्त हुए थे।

हालाँकि जब इन्हें नियुक्ति पत्र मिला, तो उसमें क्लॉज 4 के तहत यह शर्त जोड़ी गई कि पहले दो साल की प्रोबेशन अवधि में उन्हें केवल ‘Fixed Emoluments’ (न्यूनतम वेतन) दिया जाएगा, जिसमें न तो ग्रेड पे, न सालाना इन्क्रीमेंट और न ही अन्य भत्ते (ट्रैवलिंग अलाउंस को छोड़कर) शामिल होंगे।

कर्मचारियों की आपत्ति

याचिकाकर्ताओं का कहना था कि इस नियम की वजह से उन्हें हर महीने सैकड़ों नहीं बल्कि हज़ारों रुपये का नुकसान हो रहा है। वे ऐसे लोगों से भी कम वेतन पा रहे थे, जो ठेके (contract basis) पर उन्हीं पदों पर काम कर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि यह नियम 15 जनवरी 2015 को पंजाब सरकार द्वारा पंजाब सिविल सर्विस रूल्स में संशोधन कर लाया गया था, जिसे चंडीगढ़ प्रशासन ने 10 जुलाई 2015 को अपनाया।

प्रशासन का बचाव और CAT की टिप्पणी

प्रशासन ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उन्होंने यह नियम पंजाब सरकार के निर्देशों के आधार पर लागू किया था। लेकिन ट्रिब्यूनल ने स्पष्ट किया कि पंजाब सरकार का वह नियम पहले ही अवैध घोषित किया जा चुका है, और उसी आधार पर चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा जारी आदेश भी रद्द और अमान्य हो जाता है।

CAT ने यह भी कहा कि प्रशासन अपने पक्ष में कोई वैध कानून पेश नहीं कर सका, जबकि याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट और पिछले ट्रिब्यूनल आदेशों के हवाले से मजबूत दलीलें दीं। CAT ने डॉ. विश्वदीप सिंह केस का हवाला देते हुए कहा कि यह मामला पूरी तरह उसी से मेल खाता है और याचिका को मंज़ूरी दी जाती है।

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