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रोहतक। गुजरात से पानीपत तक बिछाई जा रही गैस पाइपलाइन के मुआवजे को लेकर ठगी का मामला सामने आया है। कंपनी की तरफ से शहर थाने में 26 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है।
पुलिस के मुताबिक गुजरात की गैस कंपनी जीएसपीएल इंडिया गैस नेट लिमिटेड के वरिष्ठ मैनेजर संजय भूषण ने दी शिकायत में बताया कि कंपनी ने गुजरात के मेहसाना से पानीपत तक भूमिगत गैस पाइपलाइन डालने का ठेका ले रखा है। गैस पाइपलाइन डालने के लिए कंपनी को भू-मालिकों की जमीन के उपयोग का अधिकार के लिए पेट्रोलियम एवं मिनरल्स पाइपलाइन एक्ट 1962 के तहत संपूर्ण अधिग्रहण की कार्रवाई करने व जमीन मालिकों को राजस्व विभाग के रिकॉर्ड के तहत मुआवजा भी वितरित करना है। मुआवजा वितरण के लिए जयदेव (रिटायर्ड डीआरडीओ) को अधिकारी नियुक्त किया। साथ ही तकनीकी जानकारी देने के लिए एक निजी कंपनी से अनुबंध किया। निजी कंपनी का कार्यालय सुखपुरा चौक के नजदीक था। कंपनी ने इस कार्य के लिए एक कर्मचारी विकास को नियुक्त किया था। मुआवजे के लिए 1 करोड़ 37 लाख 25 हजार 357 रुपये की राशि निकाली गई। जबकि जांच में पाया कि जिन लोगों को मुआवजा दिया गया है, उनका संबंधित जमीन से कोई संबंध नहीं है। फर्जी रिकॉर्ड तैयार करके धोखाधड़ी की गई।
ये बनाए गए आरोपी
कंपनी की तरफ से तिलक नगर निवासी विकास, रेलवे कॉलोनी निवासी बीरमो देवी, रघुबीर सिंह निवासी राजेन्द्रा नगर कॉलोनी, भिवानी चुंगी, जगमती देवी निवासी गांव भाली आनन्दपुर, सुनीता निवासी तिलक नगर, अरुण निवासी रामनगर, नितेश सैनी निवासी वार्ड 15, वेद प्रकाश निवासी कलानौर, आतिश गहलावत, घड़सी वाला, गुड्डी, कर्मजीत, रोहित कुमार, सुशील कुमार, जयपाल, कपिल गुलाटी, लखन, मनीष सैनी, मीना, अतुल, हरीश वधवा, परमबीर, राजबाला, सुधीर, सुनील व वीरेंद्र सहित अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी व अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है।
रोहतक। गुजरात से पानीपत तक बिछाई जा रही गैस पाइपलाइन के मुआवजे को लेकर ठगी का मामला सामने आया है। कंपनी की तरफ से शहर थाने में 26 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है।
पुलिस के मुताबिक गुजरात की गैस कंपनी जीएसपीएल इंडिया गैस नेट लिमिटेड के वरिष्ठ मैनेजर संजय भूषण ने दी शिकायत में बताया कि कंपनी ने गुजरात के मेहसाना से पानीपत तक भूमिगत गैस पाइपलाइन डालने का ठेका ले रखा है। गैस पाइपलाइन डालने के लिए कंपनी को भू-मालिकों की जमीन के उपयोग का अधिकार के लिए पेट्रोलियम एवं मिनरल्स पाइपलाइन एक्ट 1962 के तहत संपूर्ण अधिग्रहण की कार्रवाई करने व जमीन मालिकों को राजस्व विभाग के रिकॉर्ड के तहत मुआवजा भी वितरित करना है। मुआवजा वितरण के लिए जयदेव (रिटायर्ड डीआरडीओ) को अधिकारी नियुक्त किया। साथ ही तकनीकी जानकारी देने के लिए एक निजी कंपनी से अनुबंध किया। निजी कंपनी का कार्यालय सुखपुरा चौक के नजदीक था। कंपनी ने इस कार्य के लिए एक कर्मचारी विकास को नियुक्त किया था। मुआवजे के लिए 1 करोड़ 37 लाख 25 हजार 357 रुपये की राशि निकाली गई। जबकि जांच में पाया कि जिन लोगों को मुआवजा दिया गया है, उनका संबंधित जमीन से कोई संबंध नहीं है। फर्जी रिकॉर्ड तैयार करके धोखाधड़ी की गई।
ये बनाए गए आरोपी
कंपनी की तरफ से तिलक नगर निवासी विकास, रेलवे कॉलोनी निवासी बीरमो देवी, रघुबीर सिंह निवासी राजेन्द्रा नगर कॉलोनी, भिवानी चुंगी, जगमती देवी निवासी गांव भाली आनन्दपुर, सुनीता निवासी तिलक नगर, अरुण निवासी रामनगर, नितेश सैनी निवासी वार्ड 15, वेद प्रकाश निवासी कलानौर, आतिश गहलावत, घड़सी वाला, गुड्डी, कर्मजीत, रोहित कुमार, सुशील कुमार, जयपाल, कपिल गुलाटी, लखन, मनीष सैनी, मीना, अतुल, हरीश वधवा, परमबीर, राजबाला, सुधीर, सुनील व वीरेंद्र सहित अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी व अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है।
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