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चीन अंतरराष्ट्रीय मंचों पर फिलिस्तीनी अधिकारों की वकालत करता है, लेकिन जमीनी हकीकत इसके उलट है। वह फिलिस्तीन के गाजा व पश्चिमी तट (वेस्ट बैंक) में यहूदी बस्तियों के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
चीन के वर्कर न सिर्फ इन बस्तियों में काम कर रहे हैं, बल्कि उसकी सरकारी और निजी कंपनियां भी इन इलाकों में सर्विस दे रही हैं। 2016 में चीन और इजराइल के बीच हुए समझौते के तहत 6 हजार चीनी मजदूरों को इजराइल भेजना तय हुआ था, जिसमें शर्त थी कि उन्हें वेस्ट बैंक की अवैध बस्तियों में काम नहीं दिया जाएगा।
हालांकि, रिपोर्टों और स्थानीय निवासियों के मुताबिक, नब्लुस, रामल्ला, बेइत एल और हेब्रोन जैसे इलाकों में चीनी मजदूरों को निर्माण काम करते हुए देखा गया है।
चीन की कंपनियों में ‘अदमा’ ‘त्नूवा’ व ‘अहावा’ प्रमुख हैं, जो इन बस्तियों में एक्टिव हैं। अहावा, जो पहले एक इजराइली कंपनी थी, 2016 में चीनी कंपनी फोसुन ग्रुप ने इसे खरीदी लिया था। यह संयुक्त राष्ट्र द्वारा अवैध करार दी जा चुकी है। इस कंपनी की फैक्ट्री वेस्ट बैंक के मित्जपे शालेम में है, जिसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय अवैध मानता है।

इजराइल ने 2023 में वेस्ट बैंक में हजारों नए घर बनाने का प्लान पेश किया था, जिसकी दुनिया भर के कई ने निंदा की थी।
फिलिस्तीनी इलाके से खनिजों के दोहन में भी चीन का नाम आया
1. अहावा ब्यूटी प्रोडक्ट कंपनी है, जो इजराइल के कब्जे वाले फिलिस्तीनी इलाके से खनिजों का दोहन कर उत्पाद बनाती है। 2016 में, चीन की फोसुन ग्रुप ने अहावा को 659 करोड़ रुपए में खरीदा था।
हालांकि कंपनी ने अपनी फैक्ट्री को इजराइल के एइन गेडी में ट्रांसफर करने की घोषणा की, लेकिन रिपोर्टों के मुताबिक, वह अभी भी मित्जपे शालेम से खनिजों की माइनिंग कर रही है।
2. त्नूवा इजराइल में सबसे बड़ी फूड प्रोसेस्ड कंपनी है, जो दूध, मांस और अन्य फूड प्रोडक्ट्स का उत्पादन करती है। 2014 में, चीन की सरकारी कंपनी ब्राइट फूड ने त्नूवा में 56% हिस्सेदारी खरीदी। 2021 में, त्नूवा ने मतेह यहूदा क्षेत्र में 22 पब्लिश ट्रांसपोर्ट लाइनों का संचालन शुरू किया, जो 16 अवैध बस्तियों को सर्विस देती हैं।
त्नूवा न सिर्फ फूड प्रोडक्ट्स के जरिए से, बल्कि ट्रांसपोर्ट सर्विस के जरिए भी इन बस्तियों को बसाने में योगदान दे रही है।
3. अदमा को चीन की सरकारी कंपनी केमचाइना ने अधिग्रहित किया है। यह कंपनी इजराइल में एग्री केमिकल का उत्पादन करती है। गाजा युद्ध में फिलिस्तीनियों की मदद करने के बजाए अदमा ने इजराइली किसानों को मदद दी।
10 लाख गाजावासियों को लीबिया भेजने की डील कर रहा अमेरिका
अमेरिका फिलिस्तीनियों को लीबिया में स्थायी रूप से बसाने की योजना बना रहा है। अमेरिका इसके लिए लीबिया से समझौता करने की कोशिश में है। रिपोर्ट के मुताबिक, यह प्रस्ताव अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की टीम के लीबियाई नेतृत्व के साथ बातचीत में उठाया गया है।
रिपोर्ट में दावा है कि इस समझौते के बदले लीबिया की फ्रीज अरबों डॉलर की संपत्ति को मुक्त किया जा सकता है। इससे पहले ट्रम्प ने गाजावासियों को जॉर्डन और मिस्र में बसाने की योजना बनाई थी, लेकिन दोनों देशों ने इनकार कर दिया था।

गाजा में बीते 19 महीनों से जारी जंग के बीच 5 लाख लोगों पर भुखमरी का संकट पैदा हो गया है।

UN की रिपोर्ट के मुताबिक गाजा में हर 5 में से 1 व्यक्ति भुखमरी की चपेट में आ सकता है। साथ ही 21 लाख लोगों को अकाल का सामना भी करना पड़ सकता है।
इजराइल ने हमास के खात्मे को सबसे बड़ा ऑपरेशन शुरू किया
बड़ा सैन्य ऑपरेशन शुरू कर दिया है। अभियान का नाम ‘गिदोन चैरियट्स’ है। इसका टारगेट हमास का पूरी तरह खात्मा और बंधकों की रिहाई है। इस ऑपरेशन में 24 घंटों में 150 से अधिक फिलिस्तीनियों की मौत हो चुकी है और 459 घायल हुए हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इसे अमानवीय बताते हुए कहा कि गाजा में हालात अब नरसंहार जैसे हो गए हैं। उन्होंने कहा, घेराबंदी और भुखमरी की नीति अंतरराष्ट्रीय कानून का मजाक है। पीएम नेतन्याहू पहले ही कह चुके हैं कि इजराइल गाजा पर कब्जा चाहता है।
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गाजा पर इजराइली हमले में 3 दिन में 250 मौत:हमास के 150 ठिकानों पर हमला; गाजा खाली कराने का ऑपरेशन जारी

इजराइली सेना ने हमास को हराने और अपने बंधकों की रिहाई के लिए गाजा में एक बड़ा मिलिट्री ऑपरेशन शुरू किया है। इस ऑपरेशन के तहत इजराइल ने बीते 3 दिन में गाजा पर कई बड़े हमले किए, जिसमें 250 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। यहां पढ़ें पूरी खबर…
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गाजा में इजराइल के लिए काम कर रही चीन कंपनियां: 6 हजार चीनी वर्कर कंस्ट्रक्शन में जुटे; खनिजों की माइनिंग भी कर रहे