खेल हर उम्र की जरूरत, स्वास्थ्य के लिए संजीवनी


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भानू भारद्वाज
करनाल। अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस हर वर्ष 23 जून को मनाया जाता है। यह खेल, स्वास्थ्य और एक साथ रहने का एक उत्सव है। यह दिन हर किसी को साथ होने और एक उद्देश्य के साथ सक्रिय रहने के लिए प्रेरित करता है। पिछले 20 वर्षों से ओलंपिक दिवस लगभग विश्व के हर कोने में मनाया जा रहा है। बड़े पैमाने पर खेलों को बढ़ावा देने के लिए विश्व भर में कई तरह की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। ओलंपिक दिवस को लेकर खिलाड़ियों और खेल से जुड़े लोगों से बात की गई।
उनका कहना था कि खेल स्वास्थ्य के साथ-साथ एकाग्रता को बढ़ाता है। यह हर उम्र की जरूरत है। बढ़ती उम्र में तो खेल किसी संजीवनी से कम नहीं है। यह तंदुरुस्त रखने में मदद करता है। 25 जून 1894 को ओलंपिक खेलों के आयोजन और उसके प्रमोशन के लिए पेरिस के सोरबोन में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) की स्थापना की गई। जिसके बाद आईओसी के सदस्य डॉ. ग्रस के प्रस्ताव के बाद वर्ष 1948 में आईओसी के 42 वें सीजन में विश्व ओलंपिक दिवस मनाने की घोषणा की गई।
बुखार में दौड़कर पदक लाए 85 वर्षीय एथलीट
घोघड़ीपुर निवासी 85 वर्षीय एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक विजेता मास्टर एथलीट धर्म चंद शर्मा ने बताया कि वे लगभग 40 वर्षों से खेलों से जुड़े हैं। बिजली विभाग से रिटायर होने के बाद पूरी तरह से खेलों में हिस्सा लेने लगे। हाल ही में गुजरात में आयोजित हुए प्रथम नेशनल ओपन मास्टर एथलेटिक्स प्रतियोगिता के दौरान तेज बुखार में सात किलोमीटर और दो सौ मीटर की दौड़ में हिस्सा लेकर दो रजत पदक जीते थे। इस उम्र में अपने स्वास्थ्य को लेकर तो फायदा हुआ है, लेकिन प्रदेश सरकारों की ओर से मास्टर खिलाड़ियों के लिए कोई खास योजना नही है।
रिटायरमेंट के बाद भी लहरा रहे परचम
पुलिस विभाग में सब इंस्पेक्टर पद से रिटायर हुए 70 वर्षीय राष्ट्रीय स्तर के मास्टर एथलीट महाबीर सिंह तालियान बताते हैं कि लंबे समय से अपने खेल प्रदर्शन से वे प्रदेश के लिए कई पदक जीते हैं। 2008 में मुंबई में रिले दौड़ में स्वर्ण, 2009 में नेशनल प्रतियोगिता में कांस्य पदक सहित हाल में गुजरात में हुई प्रथम नेशनल ओपन मास्टर्स एथलेटिक्स प्रतियोगिता में रजत पदक जीता है। 2010 में रिटायर होने के बाद 2015 में हरियाणा मास्टर एथलेटिक्स एसोसिएशन के जरनल सेक्रेटरी राम किशोर शर्मा से प्रेरणा लेकर मास्टर एथलेटिक्स एसोसिएशन करनाल की शुरूआत की। शुरू में 10-12 खिलाड़ी ही जुडे़ थे, लेकिन आज 50 से 60 मास्टर खिलाड़ी जुड़ चुके हैं। उन्होंने बताया खेल तो हर उम्र की जरूरत हैं, खास कर हमारी उम्र में तो खेल किसी संजीवनी से कम नहीं। खेल से जीवन हैं, जिससे शारीरिक और मानसिक विकास होता है। मेरा सपना अधिक से अधिक बुजुर्गों को मास्टर खिलाड़ियों के तौर पर जोड़ना है। जल्द जिला स्तर पर प्रतियोगिता भी कराने की योजना है।
पढ़ाने के साथ-साथ खेलों में जीते कई पदक
शिक्षा विभाग में कार्यरत 45 वर्षीय संगीता बचपन से खेलों से जुड़ी हैं। उन्होंने बताया कि वह नौकरी के साथ समय-समय पर होने वाली खेल प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर जिला और प्रदेश स्तर पर कई पदक जीत चुकी हैं। हाल में गुजरात में आयोजित हुई प्रथम नेशनल ओपन मास्टर्स एथलेटिक्स प्रतियोगिता के थ्रो इवेंट में रजत पदक हासिल किया। उनका बचपन से देश और प्रदेश का नाम रोशन करने का सपना रहा है। साथ ही खेलों में जुडे़ रहने से स्वास्थ्य के साथ एकाग्रता भी बढ़ती है। वे उनकी जैसी लड़कियों और महिलाओं से कहना चाहती हैं कि मुकाम हासिल करने के लिए आत्मविश्वास जरूरी है। उनकी दो बेटियां हैं, दोनो बास्केटबॉल नेशनल स्तर की खिलाड़ी हैं। शुरुआत में मुझे खास सुविधा नहीं मिल पाई थी। इस बात को ध्यान में रखते हुए वे अपनी बेटियों पर किसी तरह की बंदिशें नहीं लगाती हैं।

54: 85 वर्षिय एथलीट धर्म चंद शर्मा।

54: 85 वर्षिय एथलीट धर्म चंद शर्मा।

51: 70 वर्षिय एथलीट महावीर तालियान

51: 70 वर्षिय एथलीट महावीर तालियान

भानू भारद्वाज

करनाल। अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस हर वर्ष 23 जून को मनाया जाता है। यह खेल, स्वास्थ्य और एक साथ रहने का एक उत्सव है। यह दिन हर किसी को साथ होने और एक उद्देश्य के साथ सक्रिय रहने के लिए प्रेरित करता है। पिछले 20 वर्षों से ओलंपिक दिवस लगभग विश्व के हर कोने में मनाया जा रहा है। बड़े पैमाने पर खेलों को बढ़ावा देने के लिए विश्व भर में कई तरह की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। ओलंपिक दिवस को लेकर खिलाड़ियों और खेल से जुड़े लोगों से बात की गई।

उनका कहना था कि खेल स्वास्थ्य के साथ-साथ एकाग्रता को बढ़ाता है। यह हर उम्र की जरूरत है। बढ़ती उम्र में तो खेल किसी संजीवनी से कम नहीं है। यह तंदुरुस्त रखने में मदद करता है। 25 जून 1894 को ओलंपिक खेलों के आयोजन और उसके प्रमोशन के लिए पेरिस के सोरबोन में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) की स्थापना की गई। जिसके बाद आईओसी के सदस्य डॉ. ग्रस के प्रस्ताव के बाद वर्ष 1948 में आईओसी के 42 वें सीजन में विश्व ओलंपिक दिवस मनाने की घोषणा की गई।

बुखार में दौड़कर पदक लाए 85 वर्षीय एथलीट

घोघड़ीपुर निवासी 85 वर्षीय एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक विजेता मास्टर एथलीट धर्म चंद शर्मा ने बताया कि वे लगभग 40 वर्षों से खेलों से जुड़े हैं। बिजली विभाग से रिटायर होने के बाद पूरी तरह से खेलों में हिस्सा लेने लगे। हाल ही में गुजरात में आयोजित हुए प्रथम नेशनल ओपन मास्टर एथलेटिक्स प्रतियोगिता के दौरान तेज बुखार में सात किलोमीटर और दो सौ मीटर की दौड़ में हिस्सा लेकर दो रजत पदक जीते थे। इस उम्र में अपने स्वास्थ्य को लेकर तो फायदा हुआ है, लेकिन प्रदेश सरकारों की ओर से मास्टर खिलाड़ियों के लिए कोई खास योजना नही है।

रिटायरमेंट के बाद भी लहरा रहे परचम

पुलिस विभाग में सब इंस्पेक्टर पद से रिटायर हुए 70 वर्षीय राष्ट्रीय स्तर के मास्टर एथलीट महाबीर सिंह तालियान बताते हैं कि लंबे समय से अपने खेल प्रदर्शन से वे प्रदेश के लिए कई पदक जीते हैं। 2008 में मुंबई में रिले दौड़ में स्वर्ण, 2009 में नेशनल प्रतियोगिता में कांस्य पदक सहित हाल में गुजरात में हुई प्रथम नेशनल ओपन मास्टर्स एथलेटिक्स प्रतियोगिता में रजत पदक जीता है। 2010 में रिटायर होने के बाद 2015 में हरियाणा मास्टर एथलेटिक्स एसोसिएशन के जरनल सेक्रेटरी राम किशोर शर्मा से प्रेरणा लेकर मास्टर एथलेटिक्स एसोसिएशन करनाल की शुरूआत की। शुरू में 10-12 खिलाड़ी ही जुडे़ थे, लेकिन आज 50 से 60 मास्टर खिलाड़ी जुड़ चुके हैं। उन्होंने बताया खेल तो हर उम्र की जरूरत हैं, खास कर हमारी उम्र में तो खेल किसी संजीवनी से कम नहीं। खेल से जीवन हैं, जिससे शारीरिक और मानसिक विकास होता है। मेरा सपना अधिक से अधिक बुजुर्गों को मास्टर खिलाड़ियों के तौर पर जोड़ना है। जल्द जिला स्तर पर प्रतियोगिता भी कराने की योजना है।

पढ़ाने के साथ-साथ खेलों में जीते कई पदक

शिक्षा विभाग में कार्यरत 45 वर्षीय संगीता बचपन से खेलों से जुड़ी हैं। उन्होंने बताया कि वह नौकरी के साथ समय-समय पर होने वाली खेल प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर जिला और प्रदेश स्तर पर कई पदक जीत चुकी हैं। हाल में गुजरात में आयोजित हुई प्रथम नेशनल ओपन मास्टर्स एथलेटिक्स प्रतियोगिता के थ्रो इवेंट में रजत पदक हासिल किया। उनका बचपन से देश और प्रदेश का नाम रोशन करने का सपना रहा है। साथ ही खेलों में जुडे़ रहने से स्वास्थ्य के साथ एकाग्रता भी बढ़ती है। वे उनकी जैसी लड़कियों और महिलाओं से कहना चाहती हैं कि मुकाम हासिल करने के लिए आत्मविश्वास जरूरी है। उनकी दो बेटियां हैं, दोनो बास्केटबॉल नेशनल स्तर की खिलाड़ी हैं। शुरुआत में मुझे खास सुविधा नहीं मिल पाई थी। इस बात को ध्यान में रखते हुए वे अपनी बेटियों पर किसी तरह की बंदिशें नहीं लगाती हैं।

54: 85 वर्षिय एथलीट धर्म चंद शर्मा।

54: 85 वर्षिय एथलीट धर्म चंद शर्मा।

51: 70 वर्षिय एथलीट महावीर तालियान

51: 70 वर्षिय एथलीट महावीर तालियान

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