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चंडीगढ़ : सुप्रीम कोर्ट अगर ‘सुप्रीम’ है तो हाईकोर्ट भी ‘कम हाई’ नहीं… पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस राजबीर सहरावत शीर्ष अदालत पर कर ये टिप्पणी कर मुश्किल में घिरते नजर आ रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के इस आदेश पर स्वत: संज्ञान ले लिया है, जिसमें इसमें हाईकोर्ट के जज राजबीर सहरावत ने सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठा दिए थे. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ सहित पांच जजों की संवैधानिक बेंच आज इस मामले की सुनवाई करेगी. ऐसे में ये देखना काफी अहम होगा कि सुप्रीम कोर्ट क्या कदम उठाता है.. जस्टिस सहरावत कौन हैं, आइये ये भी जानते हैं…
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति राजबीर सहरावत के हालिया आदेश के संबंध में सुओ मोटो लेते हुए मामला शुरू किया, जिसमें उन्होंने अपनी पीठ के समक्ष लंबित एक मामले (नौटी राम बनाम देवेंद्र सिंह आईएएस और अन्य) में कार्यवाही पर रोक लगाने के लिए शीर्ष अदालत की आलोचना की थी.
17 जुलाई को दिए आदेश में जस्टिस सहरावत ने कहा था कि उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश से संबंधित अदालती अवमानना कार्यवाही के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय की कोई भूमिका नहीं है. जस्टिस सहरावत ने कहा कि शायद सुप्रीम कोर्ट की ओर से अधिक सावधानी बरतना ज्यादा उचित होता.
यह टिप्पणी करने वाले जस्टिस राजबीर सहरावत के बारे में आपको बताते हैं…
जस्टिस राजबीर सहरावत का जन्म सोनीपत जिले के जागसी गांव में हुआ था. उनके पिता स्व. राम सरूप सहरावत इलाके के एक प्रसिद्ध स्कूल शिक्षक थे. उन्होंने मिडिल तक अपने गांव के स्कूल में पढ़ाई की और उसके बाद एस.एम. हिंदू हाई स्कूल, सोनीपत से मैट्रिक तक की पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने वर्ष 1982-83 में ऑल इंडिया जाट हीरोज मेमोरियल (AIJHM) कॉलेज, रोहतक से स्नातक (B.Sc.) (B.ED) की.
जस्टिस सहरावत ने 1983 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र में विधि विभाग में एडमिशन लिया और वर्ष 1986 में लॉ में डिग्री पाई और पंजाब एवं हरियाणा बार काउंसिल के सदस्य के रूप में नामांकित हुए. इसके अलावा उन्होंने वर्ष 1988 में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर किया.
न्यायाधीश ने सिविल, आपराधिक, श्रम, संवैधानिक और कानून के जटिल प्रश्नों से जुड़े अन्य मामलों से संबंधित मामलों को निपटाया है. उन्होंने 2010 से पंडित बीडी शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, रोहतक का भी प्रतिनिधित्व किया. इसके अलावा वे हरियाणा राज्य हथकरघा और हस्तशिल्प निगम, हरियाणा राज्य सहकारी आवास विकास संघ और हरियाणा वित्तीय निगम के लिए कानूनी सलाहकार-सह-स्थायी वकील के रूप में रहे.
वह 17.7.2001 से 23.02.2004 तक हरियाणा के वरिष्ठ उप महाधिवक्ता के रूप में हरियाणा में कार्यरत रहे. 10 जुलाई, 2017 को उन्हें पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय, चंडीगढ़ के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था.
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