राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा पर पलटवार किया है। सचिन पायलट ने कहा कि सुभाष चंद्रा राज्यसभा चुनाव की वोटिंग से पहले बाहर हो जाए तो बेहतर है। राजनीति कोई टीवी सीरियल नहीं है जहां आप तय करते है कि कौन क्या करेगा। पायलट ने कहा कि 10 तारीख को वोटिंग से पहले मुकाबले से बाहर हो जाएं तो बेहतर रहेगा। बेइज्जती झेलने से अच्छा विनम्रता की तरफ झुकना होता है।
सुभाष चंद्रा ने कांग्रेस में सेंध लगाने का किया था दावा
दरअसल, सुभाष चंद्रा ने बुधवार को कहा कि 30 भाजपा विधायकों के अलावा 12 विधायकों का समर्थन मेरे साथ है। कांग्रेस के 8 विधायक क्राॅस वोटिंग करेंगे। जबकि दूसरी पार्टियों के चार विधायक भी मुझे वोट देंगे। सुभाष चंद्रा ने कहा कि बाड़ेबंदी में शामिल 8 विधायकों ने मुझे वोट देने का वादा किया है। सुभाष चंद्रा ने गहलोत सरकार हमारे 30-40 विधायकों को फोन टैप करवा रही है। इस संबंध में निर्वाचन विभाग में शिकायत दर्ज कराई जाएगी। सुभाष चंद्रा ने कहा कि राज्यसभा चुनाव 2023 की दिशा तय करेगा।
सुभाष चंद्रा बोले- पायलट के पास सीएम बनने का अवसर
सुभाष चंद्रा ने एक सवाल के जवाब में कहा कि सचिन पायलट के पास एक अवसर है सीएम बनने का। पायलट अगर यह अवसर चूक गए तो 2028 तक सीएम नही बन पाएंगे। सुभाष चंद्रा ने कहा कि उन्होंने सचिन पायलट से भी समर्थन देने की मांग की है। सचिन पायलट के पिताजी से मेरी अच्छी मित्रता रही है। सचिन पायलट कर्मठ और जुझारू प्रकृति के व्यक्ति है। सुभाष चंद्रा ने गहलोत को अपना मित्र बताया और चुनाव जीतने का दावा किया।
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सुभाष चंद्रा को चाहिए 8 वोट
मौजूदा संख्या बल के हिसाब से BJP एक सीट पर जीत रही है। दूसरी सीट के लिए उसे 11 वोट चाहिए। भाजपा ने घनश्याम तिवाड़ी को राज्यसभा उम्मीदवार बनाया है। सुभाष चंद्रा भी मैदान में है। भाजपा के 71 विधायक हैं। एक सीट जीतने के लिए 41 विधायकों के वोट चाहिए। दो उम्मीदवारों के लिए 82 वोट चाहिए। भाजपा समर्थक दूसरे उम्मीदवार को जीतने के लिए 11 वोट कम पड़ रहे हैं। अगर हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी के 3 विधायकों का सपोर्ट सुभाष चंद्रा को मिल गया है। कुल संख्या 74 हो गई है। फिर दूसरे उम्मीदवार के लिए 8 वोटों की कमी रहती है। कांग्रेसी खेमे में सेंध लगाकर आठ वोट का प्रबंध करने पर ही भाजपा समर्थक दूसरा उम्मीदवार जीत सकता है। कांग्रेस के रणनीतिकार कांग्रेस के 108, 13 निर्दलीय, एक आरएलडी, दो सीपीएम और दो बीटीपी विधायकों को मिलाकर 126 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहे हैं। इसलिए मुकाबला बहुत रोचक है। कांग्रेसी खेमे से भाजपा कुछ निर्दलीयों और नाराज कांग्रेस विधायकों में सेंध लगाने के प्रयास में है।
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