कड़वे बोल बिगाड़ रहे सांप्रदायिक माहौल


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संवाद न्यूज एजेंसी
कुरुक्षेत्र। एक-दूसरे के धर्म पर आपत्तिजनक टिप्पणियों से इस समय देश का सांप्रदायिक माहौल पूरी तरह से बिगड़ा हुआ है। विभिन्न राज्यों में समुदाय विशेष के बीच टकराव, पथराव, आगजनी और प्रदर्शनों का दौर जारी है। इतना सब कुछ होने के बाद भी नेताओं के बेतुके बयान सामने आ रहे हैं। सांप्रदायिक एकता माहौल फिर से कायम करने के लिए केंद्र व राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर पर लगातार प्रयास कर रही हैं। ऐसे में बुद्धिजीवी भी सामने आकर विभिन्न समुदायों से आपसी भाईचारा कायम रखने की अपील कर रहे हैं।
राजकीय प्राथमिक पाठशाला धूलगढ़ (गुलडेहरा) के प्राचार्य पवन मित्तल ने कहा कि आपसी भाईचारा सबसे बढ़कर है। किसी भी प्रकार की टिप्पणी करने से पहले यह देखना अति आवश्यक है कि उससे किसी की भावना आहत तो नहीं होती।
समाजसेवी गुलशन ग्रोवर का कहना है कि इस समय देश बड़ी विकट परिस्थिति से गुजर रहा है। देश विरोधी ताकतें देश को कमजोर करने में जुटी हैं। हम सब को उनसे सावधान रहना है। इस समय आवश्यकता है कि हम जात-पात, संप्रदाय, धर्म इत्यादि का भेदभाव भुलाकर अपने देश को एकजुट रखने के लिए प्रयत्नशील रहें। इसके लिए सभी देशभक्तों को मिलकर प्रयास करना चाहिए।
अग्रवाल वैश्य समाज के प्रदेश महासचिव राजेश सिंगला ने कहा कि देश में भाईचारा सबसे ज्यादा हेट स्पीच की वजह से खराब हो रहा है। इस पर बैन लगना चाहिए। हथियार से वार का जख्म तो भर जाता है, लेकिन कड़वे शब्दों के जो जख्म देते हैं वह कभी नहीं भरते। शब्दों पर लगाम होना जरूरी है, ताकि भाईचारा कायम रहे।
सार्थक साहित्य मंच के जिलाध्यक्ष डॉ. चित्तरंजन दयाल सिंह कौशल ने कहा कि सभी लोग संयम व दृढ़ता से काम लेते हुए भाईचारा पैदा करने की बात करें। सामाजिक सौहार्द पर साहित्यिक व सामाजिक गोष्ठी स्थान-स्थान पर आयोजित की जाए। युवा पीढ़ी को राष्ट्रीय व समाज सेवा से जोड़ने की हर कोशिश की जाए। सर्वत्र सद्भाव को फैलाने वालों को सम्मानित किया जाए। भारत की संस्कृति का स्वर संवाद से समाधान है।
जिला बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान एडवोकेट गुरतेज सिंह शेखो ने कहा कि हमारा देश को एकता का देश कहा जाता है। एकता हम सबके एक साथ मिल-जुलकर रहने में है। देश में शांति का माहौल कायम रहना चाहिए। सभी एक दूसरे की भावनाओं की कद्र करें।
कृषि विशेषज्ञ डॉ. सीबी सिंह ने कहा कि हमारे देश की सबसे बड़ी खूबसूरती यही है कि यहां सभी धर्म और जाति के लोग एक साथ मिलकर रहते हैं। हमें इस खूबसूरती को बरकरार रखना चाहिए। आजकल जो देश में चल रहा है, इससे भारत की दूसरे देशों में छवि खराब हो सकती है। सभी धर्मों का सम्मान जरूरी है।
पूर्व सूबेदार रविंद्र कौशिक ने कहा कि युवा पीढ़ी को भड़काने वाले बयान किसी भी संप्रदाय के प्रबुद्ध व्यक्तियों को नहीं देने चाहिए। देश व्यक्ति, जाति, संप्रदाय, धर्म से ऊपर है। देश रहेगा तो हम रहेंगे। हम कुछ ऐसा न करें जिससे देश को नुकसान हो और हमें बाद में पछताना पड़े। युवा पीढ़ी को जोश के साथ होश से भी काम लेना होगा।
श्री देवीकूप मां भद्रकाली मंदिर के पीठाध्यक्ष्य सतपाल शर्मा ने कहा कि सभी धर्म पूजनीय है। जहां से किसी भी धर्म की शुरूआत हुई वे सब भी अति पूजनीय हैं। भारत महापुरुषों की भूमि है और सभी महापुरुषों ने आपस में मिल-जुलकर रहने का संदेश दिया है। हमें धर्म की राह पर चलकर अपना जीवन व्यतीत करना चाहिए।

संवाद न्यूज एजेंसी

कुरुक्षेत्र। एक-दूसरे के धर्म पर आपत्तिजनक टिप्पणियों से इस समय देश का सांप्रदायिक माहौल पूरी तरह से बिगड़ा हुआ है। विभिन्न राज्यों में समुदाय विशेष के बीच टकराव, पथराव, आगजनी और प्रदर्शनों का दौर जारी है। इतना सब कुछ होने के बाद भी नेताओं के बेतुके बयान सामने आ रहे हैं। सांप्रदायिक एकता माहौल फिर से कायम करने के लिए केंद्र व राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर पर लगातार प्रयास कर रही हैं। ऐसे में बुद्धिजीवी भी सामने आकर विभिन्न समुदायों से आपसी भाईचारा कायम रखने की अपील कर रहे हैं।

राजकीय प्राथमिक पाठशाला धूलगढ़ (गुलडेहरा) के प्राचार्य पवन मित्तल ने कहा कि आपसी भाईचारा सबसे बढ़कर है। किसी भी प्रकार की टिप्पणी करने से पहले यह देखना अति आवश्यक है कि उससे किसी की भावना आहत तो नहीं होती।

समाजसेवी गुलशन ग्रोवर का कहना है कि इस समय देश बड़ी विकट परिस्थिति से गुजर रहा है। देश विरोधी ताकतें देश को कमजोर करने में जुटी हैं। हम सब को उनसे सावधान रहना है। इस समय आवश्यकता है कि हम जात-पात, संप्रदाय, धर्म इत्यादि का भेदभाव भुलाकर अपने देश को एकजुट रखने के लिए प्रयत्नशील रहें। इसके लिए सभी देशभक्तों को मिलकर प्रयास करना चाहिए।

अग्रवाल वैश्य समाज के प्रदेश महासचिव राजेश सिंगला ने कहा कि देश में भाईचारा सबसे ज्यादा हेट स्पीच की वजह से खराब हो रहा है। इस पर बैन लगना चाहिए। हथियार से वार का जख्म तो भर जाता है, लेकिन कड़वे शब्दों के जो जख्म देते हैं वह कभी नहीं भरते। शब्दों पर लगाम होना जरूरी है, ताकि भाईचारा कायम रहे।

सार्थक साहित्य मंच के जिलाध्यक्ष डॉ. चित्तरंजन दयाल सिंह कौशल ने कहा कि सभी लोग संयम व दृढ़ता से काम लेते हुए भाईचारा पैदा करने की बात करें। सामाजिक सौहार्द पर साहित्यिक व सामाजिक गोष्ठी स्थान-स्थान पर आयोजित की जाए। युवा पीढ़ी को राष्ट्रीय व समाज सेवा से जोड़ने की हर कोशिश की जाए। सर्वत्र सद्भाव को फैलाने वालों को सम्मानित किया जाए। भारत की संस्कृति का स्वर संवाद से समाधान है।

जिला बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान एडवोकेट गुरतेज सिंह शेखो ने कहा कि हमारा देश को एकता का देश कहा जाता है। एकता हम सबके एक साथ मिल-जुलकर रहने में है। देश में शांति का माहौल कायम रहना चाहिए। सभी एक दूसरे की भावनाओं की कद्र करें।

कृषि विशेषज्ञ डॉ. सीबी सिंह ने कहा कि हमारे देश की सबसे बड़ी खूबसूरती यही है कि यहां सभी धर्म और जाति के लोग एक साथ मिलकर रहते हैं। हमें इस खूबसूरती को बरकरार रखना चाहिए। आजकल जो देश में चल रहा है, इससे भारत की दूसरे देशों में छवि खराब हो सकती है। सभी धर्मों का सम्मान जरूरी है।

पूर्व सूबेदार रविंद्र कौशिक ने कहा कि युवा पीढ़ी को भड़काने वाले बयान किसी भी संप्रदाय के प्रबुद्ध व्यक्तियों को नहीं देने चाहिए। देश व्यक्ति, जाति, संप्रदाय, धर्म से ऊपर है। देश रहेगा तो हम रहेंगे। हम कुछ ऐसा न करें जिससे देश को नुकसान हो और हमें बाद में पछताना पड़े। युवा पीढ़ी को जोश के साथ होश से भी काम लेना होगा।

श्री देवीकूप मां भद्रकाली मंदिर के पीठाध्यक्ष्य सतपाल शर्मा ने कहा कि सभी धर्म पूजनीय है। जहां से किसी भी धर्म की शुरूआत हुई वे सब भी अति पूजनीय हैं। भारत महापुरुषों की भूमि है और सभी महापुरुषों ने आपस में मिल-जुलकर रहने का संदेश दिया है। हमें धर्म की राह पर चलकर अपना जीवन व्यतीत करना चाहिए।

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