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एन. रघुरामन का कॉलम:‘हम’ शब्द में छुपी हुई ताकत है! Politics & News

एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु - Dainik Bhaskar

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6 दिन पहले

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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु - Dainik Bhaskar

एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

‘आपने लिखा कि ‘हम लोग कूड़े को कैसे निष्पादित करते हैं, ये बताने के लिए अलग पन्ने की जरूरत होगी…’ फिर तो आपको खुद में सुधार लाना चाहिए ताकि आप कूड़े को सही से निष्पादित कर सकें। ना केवल कूड़े बल्कि हर उस मुद्दे को जिसमें आप ‘हम’ शब्द सम्मिलित कर रहे हैं।

अगर आप कुछ बातों में अपने आपको उनसे अलग समझते हैं, जिनकी बात कर रहे होते हैं, तो ‘हम’ के बजाय ‘कुछ लोग’ शब्द प्रयोग करें ताकि आप खुद को उनसे अलग रख सकें, जो गलत कर रहे हैं। ‘कुछ लोग’ में आप भी हो या नहीं, ये किसी को नहीं पता, पर ‘हम’ में साफ स्वीकारोक्ति है।’

मैं एक विनिर्माण कंपनी के बाहर खड़ा था और एचआर के व्यक्ति वहां हुआ एक घटनाक्रम मुझे बता रहे थे, तभी मुझे एक पाठक का हाल ही में मिला ये पत्र याद आ गया। कुछ विचित्र कारणों से, एक वेंडर का भुगतान नहीं हो पाया था। और लेखा विभाग के लोग उसे दफ्तर के कई चक्कर लगवा रहे थे।

थक-हारकर एक दिन उस व्यक्ति ने विरोध करने का तय किया और मुख्य द्वार के सामने जाकर लेट गया, जहां से बाहरी लोग कंपनी परिसर में दाखिल होते हैं। कई मंझोले स्तर के अधिकारियों ने उसे कहा कि परिसर के बाहर तुम ये सब हरकतें नहीं कर सकते। कुछ ने धमकाया भी, “तुम्हें जेल भी जाना पड़ सकता है, क्योंकि कंपनी वालों के स्थानीय पुलिस वालों से अच्छे संबंध हैं।’

लेकिन उसने किसी की भी बात सुनने से इंकार कर दिया। फिर एचआर विभाग के वरिष्ठतम अधिकारी की मदद मांगी गई। कद-काठी से लंबे वह अधिकारी गाड़ी से आए और उससे बोले, “क्या हम दोनों मिलकर चाय पी सकते हैं, फिर आपके मुद्दे पर बात करते हैं?’

प्रदर्शन करने वाला वो वेंडर तुरंत उठा और उनके साथ अंदर आ गया। चंद मिनटों बाद ही वह मुस्कराते हुआ दिखा और पैसे लिए बिना ही उनसे हाथ मिलाकर फैक्ट्री से चला गया। ऐसे तमाम अध्ययनों में शोधकर्ताओं ने पाया है कि जब भी टकराव जैसे हालात बनते हैं, तब “यू’ यानी तुम या आप के इस्तेमाल से सामने वाले को लगता है कि उसे ही टारगेट किया जा रहा है और फिर कम ही साथ आता है।

इसके उलट, “हम’ शब्द ज्यादा समावेशी है और बातचीत में दूसरों की ज्यादा रुचि जगाता है। नए शोध के मुताबिक ऐसे बॉस, जो हम (वी) के बजाय मैं (आई) इस्तेमाल करते हैं, उन्हें कर्मचारियों या बाहरी व्यक्तियों से नकारात्मक फीडबैक मिलता है। ऊपर वाले मसले में एचआर प्रमुख ने उन सज्जन से कहा कि इस तरह अभद्र तरीके से विरोध करके आप अपना ही केस कमजोर कर रहे हैं और गेट के बाहर सोने का कोई कारण नहीं है।

उन्होंने कहा कि ऐसी हरकत से कंपनी के साथ-साथ विक्रेता की भी बदनामी होती है।जब उसे समझाया गया, तब वेंडर को शर्म आई और उसने माफी मांगी। उस पूरी बातचीत में एचआर हेड ने खासतौर पर कहा, ‘अगर कंपनी कुछ गलत करती है, तो क्या ‘हम’ उस एक गलती को ठीक करने के लिए उससे भी बड़ी गलती करें?’

अध्ययन में पाया गया कि जब लोग तुम/आप या कुछ लोग जैसे शब्दों के साथ वाक्य सुनते हैं, तो वे उस परिचर्चा पर कम ही ध्यान देते हैं, वहीं “हम’ शब्द का इस्तेमाल करते हुए उसी पिच में बात करने वालों की बात ज्यादा सुनी जाती है। भाषा के लिहाज से देखें तो कुछ शब्द व्याकरण में सही होते हैं। उसमें तर्क की जरूरत नहीं। पर लोगों से पेश आने में भाव मायने रखता है और हम जैसे शब्द श्रोता को शांत करते हैं।

“तुम/आप’ या “कुछ लोग’ जैसे शब्दों से दूसरों को ऐसा लगता है, ‘जैसे लेखक या वक्ता सामने वाले के बारे में ही सोच रहे हैं।’ इससे उन्हें अदालत के आरोपी जैसा अकेलापन लगता है। इसलिए जब भी कोई ताकतवर संदेश देना है, तो हमेशा ऐसे शब्द चुनने चाहिए जो सुनने वालों को निराश न करें, फिर चाहे वो व्याकरण के हिसाब से सही क्यों न हों।

फंडा यह है कि कुछ शब्द बहुत सुकून देते हैं और कुछ किसी को सीधे जाकर चुभ सकते हैं। जब ‘वी’ और ‘आई’ के बीच चुनना हो तो यकीनन ‘वी’ में जबरदस्त ताकत है, खासकर मुश्किल बातचीत में।

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